वैश्विक रियल्टी पारदर्शिता सूचकांक में भारत 35वें स्थान पर | 29 Jun 2018

चर्चा में क्यों?

रियल्टी सलाहकार जेएलएल के वैश्विक रियल एस्टेट पारदर्शिता सूचकांक-2018 (Global Real Estate Transparency Index-2018) में भारत की स्थिति में एक स्थान का सुधार हुआ है। इस द्विवार्षिक सर्वेक्षण में भारत 35वें स्थान पर आ गया है, जबकि पिछली सूचकांक में भारत का स्थान 36वाँ था। नीतिगत सुधार, रियल्टी तथा रिटेल क्षेत्र में एफडीआई में उदारीकरण, सार्वजनिक सूचना के क्षेत्र में मज़बूती और किफायती आवास के लिये उद्योग की स्थिति निर्दिष्ट करने आदि उपायों ने भारत की रैंकिंग में सुधार लाने में मदद की।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • इस पारदर्शिता के परिणामस्वरूप भारतीय रियल एस्टेट में पीई निवेश 2014 के 2.2 अरब डॉलर से बढ़कर 2017 में 6.3 अरब डॉलर हो गया है, जो कि वैश्विक फंडों के प्रति बढ़ते आत्मविश्वास को दर्शाता है।
  • जेएलएल इंडेक्स के पिछले दो चक्रों पर भारत का प्रदर्शन इंगित करता है कि 2014 से भारत ने पाँच स्थान का सुधार किया है।
  • भारत के सभी बाज़ारों के पारदर्शिता स्कोर में उल्लेखनीय सुधार ने देश में अंतर्राष्ट्रीय पूंजी की मात्रा में वृद्धि की है। नीतिगत सुधार, एफडीआई के उदारीकरण, संपत्ति अभिलेखों के डिजिटलीकरण ने भी रेटिंग को प्रभावित किया है। प्रौद्योगिकी का उपयोग इस क्षेत्र में अधिक पारदर्शिता बढ़ाएगा।
  • देश के रियल्टी बाज़ार को अभी “अर्द्ध-पारदर्शी समूह” (semi-transparent group) में रखा गया है।
  • 2020 में होने वाले सर्वेक्षण में यह रैंकिंग और बेहतर होने की संभावना है। इसके पीछे अहम वज़ह बेनामी लेनदेन अधिनियम, वस्तु एवं सेवा कर (GST) और रियल एस्टेट (विनियम एवं विकास) अधिनियम जैसी कई सरकारी पहलें हैं।

ब्रिक्स देशों की स्थिति

  • ब्रिक्स देशों में  चीन और दक्षिण अफ्रीका को क्रमशः 33वें और 21वें स्थान पर रखा गया है जो 2016 के सूचकांक में भी इसी स्थान पर थे। पूर्व की रैंकिंग की भाँति ब्राज़ील 37वें तथा रूस 38वें स्थान पर हैं।

वैश्विक स्थिति

  • सर्वेक्षण में ब्रिटेन शीर्ष पर है। इसके बाद 10 शीर्ष देशों में ऑस्ट्रेलिया,  अमेरिका, फ्राँस, कनाडा, नीदरलैंड,  न्यूज़ीलैंड, जर्मनी, आयरलैंड और स्वीडन शामिल हैं।
  • भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका का इस सूची में 66वाँ और पाकिस्तान का 75वाँ स्थान है। वेनेजुएला इस सूची में 100 वें स्थान पर है।

सूचकांक कैसे तैयार किया जाता है?

  • सूचकांक, डेटा उपलब्धता, इसकी प्रामाणिकता और सटीकता, सार्वजनिक एजेंसियों के साथ-साथ रियल्टी क्षेत्र के हितधारकों, लेनदेन प्रक्रियाओं, नियामक और कानूनी माहौल सहित संबंधित लागत एवं विभिन्न कारकों का मूल्यांकन करते हुए पारदर्शिता का आकलन किया जाता है।