हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आपसी सहयोग मज़बूत करेंगे भारत और जापान | 19 Sep 2017

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत और जापान ने अपने सामरिक संबंधों को ऊँचाई देते हुए हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आपसी सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई। इस क्षेत्र में चीन की बढ़ती सक्रियता के मद्देनज़र दोनों देशों ने यह फैसला किया है।

साथ ही जापान ने पाकिस्तान की ज़मीन से अपनी गतिविधियाँ चला रहे जैश-ए- मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा सहित सभी आतंकवादी संगठनों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का समर्थन भी किया है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और हाल ही में भारत की यात्रा पर आए उनके जापानी समकक्ष शिंजो आबे के बीच व्यापक बातचीत के बाद दोनों देशों द्वारा नागरिक उड्डयन और व्यापार सहित 15 समझौतों पर हस्ताक्षर किये गए हैं।
  • दोनों नेताओं ने रक्षा, सुरक्षा, व्यापार और असैन्य परमाणु ऊर्जा जैसे रणनीतिक क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के उपायों पर चर्चा की है।
  • उल्लेखनीय है कि अहम् क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी समंवित दृष्टिकोण एवं सहयोगात्मक मूल्यों पर आधारित इस गठजोड़ को मुक्त, निर्बाध और समृद्ध हिन्द-प्रशांत क्षेत्र का निर्माण करने में उपयोग करने की प्रतिबद्धता जताई गई है।
  • इस बात पर ज़ोर दिया गया है कि देशों की संप्रभुता और अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का सम्मान किया जाना चाहिये तथा आपसी मतभेदों को बातचीत के ज़रिये सुलझाया जाना चाहिये
  • हालाँकि दोनों नेताओं के बीच बातचीत के बाद जारी संयुक्त बयान में सीधे तौर पर दक्षिण चीन सागर का उल्लेख नहीं किया गया है।

निष्कर्ष

  • हाल ही में संपन्न जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे की भारत यात्रा भारत के लिये सकारात्मक परिणामों वाली रही है।
  • आबे ने कहा कि जापान हमेशा भारत का दोस्त रहेगा। उनकी इस बात में सहयोगी की जो भावना और रिश्तों की गर्माहट है उसे किसी दूसरे तरीके से प्रकट नहीं किया जा सकता।
  • सामरिक मुद्दों पर दोनों देशों की बढ़ती एकता और साझा समझ ऐसे समय पर आई है, जब दोनों देशों को ही इसकी ज़रूरत है।
  • जापान प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका का सबसे अहम साझेदार है और उसे उत्तर कोरिया के भड़काऊ मिज़ाज का लगातार सामना करना पड़ रहा है, जबकि चीन भी इस क्षेत्र में लगातार अपनी घुसपैठ मज़बूत करने के लिये प्रयासरत है।
  • विदित हो कि जापान इकलौता ऐसा देश था, जिसने डोकलाम गतिरोध के दौरान खुलकर भारत का समर्थन किया। इससे यह संकेत भी मिलता है कि इस क्षेत्र में शक्ति संतुलन में तब्दीली आ रही है।
  • रेलवे से लेकर परमाणु बिजली और आतंकवाद विरोध तक आपसी सहयोग इस क्षेत्र में भारत के भूराजनैतिक महत्त्व की दृष्टि से काफी अहमियत रखते हैं।