भारत प्रेषित धन का सबसे बड़ा प्राप्तकर्त्ता | 24 Apr 2018

चर्चा में क्यों ?

विश्व बैंक के अनुसार वर्ष 2017 में भारत प्रेषित धन (remittances) प्राप्ति के मामले में शीर्ष स्थान पर रहा। भारतीय प्रवासियों ने पिछले वर्ष लगभग $69 बिलियन की धनराशि भारत भेजी। इसमें वर्ष 2016 में गिरावट के बाद 2017 में 9.9% की तेज़ी आई। लेकिन अभी भी यह 2014 के $70.4 बिलियन से कम है।

प्रमुख बिंदु 

  • अपने हालिया ‘माइग्रेशन एंड डेवलपमेंट ब्रीफ’ (Migration and Development Brief) में विश्व बैंक ने अनुमान लगाया है कि वर्ष 2017 में आधिकारिक तौर पर निम्न और मध्यम आय वाले देशों को प्रेषित धन $466 बिलियन पहुँच गया। यह वर्ष 2016 के $429 बिलियन से 8.5% अधिक था।
  • वैश्विक प्रेषण, जिसमें उच्च आय वाले देशों में होने वाले प्रवाह भी शामिल हैं, में 7% की वृद्धि दर्ज की गई। यह वर्ष 2016 के $573 बिलियन से बढ़कर 2017 में $613 बिलियन हो गया।
  • वैश्विक प्रेषण में उम्मीद से अधिक सुधार यूरोप, रूस और अमेरिका में हुई संवृद्धि से प्रेरित था।
  • भारत प्रेषण प्राप्त करने के मामले में शीर्ष पर रहा और इसके बाद चीन ($64 बिलियन), फिलीपींस ($33 बिलियन), मेक्सिको ($31 बिलियन), नाइजीरिया ($22 बिलियन) और मिस्र ($20 बिलियन) का स्थान था।
  • दक्षिण एशिया को होने वाले प्रेषण में 5.8% की वृद्धि हुई और यह बढ़कर $117 बिलियन हो गया।
  • ध्यातव्य है कि भारत को प्रेषित धन वर्ष 2016 में $62.7 बिलियन था और यह वर्ष 2017 में बढ़कर $69 बिलियन हो गया।
  • उन्नत अर्थव्यवस्थाओं (विशेष रूप से अमेरिका) में मज़बूत आर्थिक परिस्थितियों और तेल की कीमतों में वृद्धि के चलते खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) के देशों पर पड़ने वाले संभावित सकारात्मक प्रभाव के कारण वैश्विक प्रेषण में वर्ष 2018 में भी वृद्धि के जारी रहने की संभावना है।
  • वर्ष 2018 में वैश्विक प्रेषण के 4.6% की वृद्धि के साथ $642 बिलियन रहने की उम्मीद है।
  • वर्ष 2018 की प्रथम तिमाही में $200 प्रेषण की वैश्विक औसत लागत 7.1% थी, जो सतत् विकास लक्ष्यों में निर्धारित 3% के लक्ष्य से दोगुने से भी अधिक है।
  • उप-सहारा अफ्रीका धन भेजने के लिये सबसे महँगी जगह बनी हुई है, जहाँ औसत लागत 9.4% है।
  • प्रेषण संबंधी इन बाधाओं को देशों के राष्ट्रीय डाक प्रणालियों और धन प्रेषण करने वाले ऑपरेटरों के मध्य सामंजस्य स्थापित करके कम किया जा सकता है। इस हेतु मोबाइल एप और क्रिप्टो करेंसी जैसी तकनीकों के उपयोग में वृद्धि अपेक्षित है।