भारत और यूरेशियन आर्थिक संघ ने मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर वार्ता | 27 Aug 2025
प्रिलिम्स के लिये: यूरेशियन आर्थिक संघ, मुक्त व्यापार समझौता, अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा, उत्तरी समुद्री मार्ग
मेन्स के लिये: भारत की अंतर्राष्ट्रीय व्यापार नीति और द्विपक्षीय/बहुपक्षीय समझौते, रणनीतिक आर्थिक साझेदारी और भू-राजनीति (रूस, EAEU, BRICS)
चर्चा में क्यों?
भारत और यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन (EAEU) ने मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर वार्ता शुरू करने के लिये संदर्भ शर्तों (ToR) पर हस्ताक्षर किये हैं। यह कदम अमेरिका के साथ अटकी हुई व्यापार वार्ताओं और बढ़ते अमेरिकी टैरिफ खतरों के बीच उठाया गया है।
यूरेशियन आर्थिक संघ क्या है?
- स्वभाव: यूरेशियन आर्थिक संघ (EAEU) एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जो क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण के लिये स्थापित किया गया है जिसकी अंतर्राष्ट्रीय कानूनी पहचान है।
- स्थापना: EAEU की स्थापना यूरेशियन आर्थिक संघ संधि के माध्यम से की गई थी, जो वर्ष 2015 में प्रभावी हुई।
- सदस्य देश: आर्मेनिया गणराज्य, बेलारूस गणराज्य, कज़ाखस्तान गणराज्य, किर्गिज़ गणराज्य और रूसी संघ।
- मुख्यालय: मॉस्को, रूस।
- उद्देश्य: EAEU का उद्देश्य वस्तुओं, सेवाओं, पूंजी और श्रम के मुक्त आवागमन को सुनिश्चित करना है, समन्वित नीतियों को बढ़ावा देना, सदस्य देशों की अर्थव्यवस्थाओं का आधुनिकीकरण करना, प्रतिस्पर्द्धात्मकता को बढ़ाना तथा स्थिर विकास का समर्थन करना ताकि जीवन स्तर में सुधार हो सके।
भारत के लिये EAEU का क्या महत्त्व है?
- बाज़ार तक पहुँच: EAEU के साथ एक मुक्त व्यापार समझौता (FTA) भारत को 6.5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के बाज़ार तक पहुँच प्रदान करता है। यह वस्त्र, दवाइयों, इंजीनियरिंग सामान और इलेक्ट्रॉनिक्स के निर्यात का विस्तार करता है, गैर-बाज़ार अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले प्रतिस्पर्द्धात्मकता बढ़ाता है तथा भारत के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (MSMEs) के लिये नए अवसर उत्पन्न करता है।
- व्यापार विविधीकरण: EAEU के साथ साझेदारी भारत को अमेरिकी और यूरोपीय संघ (EU) के बाज़ारों पर निर्भरता कम करने में मदद करती है, विशेषकर टैरिफ विवादों के बीच।
- यह भारत–EAEU आर्थिक साझेदारी को मज़बूत करेगा, जिसमें द्विपक्षीय व्यापार वर्ष 2024 में 69 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया, जो वर्ष 2023 की तुलना में 7% अधिक है।
- ऊर्जा सुरक्षा: EAEU के पास भारत की वृद्धि के लिये आवश्यक प्रचुर प्राकृतिक संसाधन और ऊर्जा उपलब्ध है।
- EAEU के माध्यम से भारत दीर्घकालिक ऊर्जा सहयोग सुनिश्चित कर सकता है, जिसमें रूस पहले से ही भारत के कच्चे तेल आयात का 35–40% आपूर्ति कर रहा है।
- कनेक्टिविटी में वृद्धि: EAEU के साथ सहयोग अंतर्राष्ट्रीय उत्तर–दक्षिण परिवहन गलियारे (INSTC) और चेन्नई–व्लादिवोस्तोक गलियारे को पूरक करता है, जिससे लॉजिस्टिक लागत और पारगमन समय में कमी आती है।
भारत-EAEU सहभागिता में चुनौतियाँ क्या हैं?
- रूस के साथ उच्च व्यापार घाटा: भारत का रूस (जो EAEU का सबसे बड़ा सदस्य है) के साथ व्यापार घाटा वर्ष 2021 में 6.6 अरब अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2024–25 में 58.9 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया है, जिसका मुख्य कारण हाइड्रोकार्बन आयात है।
- भू-राजनीतिक संवेदनशीलता: रूस-नेतृत्व वाले व्यापार समझौते से उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (NATO) और पश्चिमी सहयोगियों में चिंता उत्पन्न हो सकती है, जिसके लिये सावधानीपूर्वक रणनीतिक संतुलन की आवश्यकता होगी।
- रूस के साथ गहरे व्यापारिक संबंध अमेरिका और यूरोपीय संघ के यूक्रेन पर लगाए गए प्रतिबंधों के कारण भू-राजनीतिक जोखिम उत्पन्न करते हैं। साथ ही, बढ़ते आयात से अमेरिकी टैरिफ (जो वर्तमान में भारतीय वस्तुओं पर 50% हैं) का दबाव और बढ़ सकता है।
- घरेलू उद्योग की चिंताएँ: रूस और अन्य EAEU देशों से सस्ते आयात (तेल, धातु आदि) भारतीय उत्पादकों के लिये खतरा बन सकते हैं, जिनके लिये सुरक्षा उपाय या कोटा लागू करने की आवश्यकता हो सकती है।
- कम FTA उपयोग: भारत का FTA उपयोग लगभग 25% है, जो विकसित देशों में देखे गए 70–80% के स्तर से काफी कम है। यह भारत के व्यापार समझौतों के अपर्याप्त उपयोग को दर्शाता है।
- गैर-टैरिफ बाधाएँ: इनमें नौकरशाही में देरी, जटिल सीमा शुल्क प्रक्रियाएँ और नियामक मुद्दे शामिल हैं, जो वस्तुओं और सेवाओं के मुक्त प्रवाह में बाधा डाल सकते हैं।
- स्वास्थ्य और पादप स्वच्छता मानक: भारतीय कृषि निर्यात अक्सर EAEU देशों द्वारा लगाए गए कठोर स्वास्थ्य और पादप स्वच्छता (SPS) मानकों के कारण कठिनाइयों का सामना करते हैं, जिससे भारतीय उत्पादों के लिए बाज़ार में प्रवेश करना कठिन हो जाता है।
- डॉलर पर निर्भरता: भारत और EAEU के बीच व्यापार अभी भी अमेरिकी डॉलर पर अत्यधिक निर्भर है, जिससे मुद्रा उतार-चढ़ाव के कारण अनिश्चितता बनी रहती है। रुपये-रूबल तंत्र का उपयोग करने के प्रयास अभी भी सीमित हैं और इसमें पर्याप्त तरलता का अभाव है।
- कुशल सीमा-पार भुगतान प्रणालियों का अभाव, विशेषकर रूस पर प्रतिबंधों के कारण, वित्तीय जटिलताएँ और लेन-देन लागत बढ़ जाती है।
भारत-EAEU संबंध कैसे मज़बूत किये जा सकते हैं?
- आर्थिक सहयोग कार्यक्रम: रूस के साथ 2025-2030 के आर्थिक सहयोग कार्यक्रम को अंतिम रूप देना और लागू करना तथा ऊर्जा, कृषि, उद्योग, शिक्षा और संस्कृति में संबंधों को मज़बूत करने के लिये इसे सभी EAEU सदस्यों तक विस्तारित करना।
- निर्यात मिश्रण में विविधता: दवाइयों, कृषि, वस्त्र, मशीनरी और सेवाओं जैसे क्षेत्रों में विस्तार करना ताकि हाइड्रोकार्बन पर निर्भरता कम हो सके।
- वित्तीय तंत्र में नवाचार: स्थानीय मुद्राओं (रुपया, रूबल) के उपयोग को बढ़ाना। स्थानीय मुद्रा निपटान (LCS) ढाँचों का विकास और मानकीकरण करना, जिन्हें पर्याप्त तरलता का समर्थन हो, ताकि अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता कम हो।
- बहुपक्षीय आर्थिक संपर्क: BRICS के साथ सहयोग बढ़ाना, RIC (रूस-भारत-चीन) और अन्य क्षेत्रीय समूहों को पुनर्जीवित करना ताकि व्यापारिक गठबंधनों का विस्तार हो और आपूर्ति शृंखलाओं में विविधता आए।
- कनेक्टिविटी में वृद्धि: INSTC, उत्तरी समुद्री मार्ग और चेन्नई–व्लादिवोस्तोक गलियारे के माध्यम से लॉजिस्टिक्स को बेहतर बनाना।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न: वर्तमान भू-राजनीतिक परिदृश्य में यूरेशियन आर्थिक संघ (EAEU) के साथ भारत की भागीदारी के रणनीतिक और आर्थिक महत्त्व का मूल्यांकन कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न
प्रिलिम्स:
प्रश्न1. हाल ही में भारत ने निम्नलिखित में से किस देश के साथ ‘नाभिकीय क्षेत्र में सहयोग क्षेत्रों के प्राथमिकीकरण और कार्यान्वयन हेतु कार्ययोजना’ नामक सौदे पर हस्ताक्षर किये हैं? (2019)
(A) जापान
(B) रूस
(C) यूनाइटेड किंगडम
(D) संयुक्त राज्य अमेरिका
उत्तर: B
प्रश्न. 'रीज़नल काम्प्रिहेन्सिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप (Regional Comprehensive Economic Partnership)' पद प्रायः समाचारों में देशों के एक समूह के मामलों के संदर्भ में आता है। देशों के उस समूह को क्या कहा जाता है? (2016)
(a) जी- 20
(b) आसियान
(c) एस.सी.ओ.
(d) सार्क
उत्तर: (b)
प्रश्न. 'ट्रांस-पैसिफिक पार्टनरशिप' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016)
- यह चीन और रूस को छोड़कर प्रशांत महासागर तटीय सभी देशों के मध्य एक समझौता है।
- यह केवल तटवर्ती सुरक्षा के प्रयोजन से किया गया सामरिक गठबंधन है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर: (d)
मेन्स:
प्रश्न. भारत-रूस रक्षा समझौतों की तुलना में भारत-अमेरिका रक्षा समझौतों की क्या महत्ता है ? हिंद-प्रशांत महासागरीय क्षेत्र में स्थायित्व के संदर्भ में विवेचना कीजिये। (2020)