भारत-EFTA व्यापार और आर्थिक साझेदारी समझौता | 04 Aug 2025
प्रिलिम्स के लिये:व्यापार एवं आर्थिक भागीदारी समझौता, यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ, डेटा विशिष्टता, बौद्धिक संपदा अधिकार, सतत् विकास हेतु ब्लू इकोनॉमी पर भारत-नॉर्वे टास्क फोर्स। मेन्स के लिये:भारत की आर्थिक कूटनीति में प्रमुख घटनाक्रम, भारत और EFTA संबंध। |
स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स
चर्चा में क्यों?
भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने घोषणा की है कि भारत और यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (EFTA) देशों के बीच व्यापार एवं आर्थिक साझेदारी समझौता (TEPA) 1 अक्तूबर, 2025 से प्रभाव में आ जाएगा।
TEPA की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
- परिचय: भारत और EFTA (आइसलैंड, लिकटेंस्टीन, नॉर्वे, स्विट्ज़रलैंड) के बीच व्यापार एवं आर्थिक साझेदारी समझौता (TEPA) पर वर्ष 2008 से 21 राउंड की वार्ता के बाद 10 मार्च, 2024 को हस्ताक्षर किये गए।
- इसका उद्देश्य व्यापार को बढ़ावा देना, निवेश आकर्षित करना और रोज़गार सृजन करना है, विशेष रूप से टैरिफ (शुल्क) तथा गैर-टैरिफ बाधाओं को कम करके।
- उद्देश्य: सेवा प्रदाताओं और निवेशकों को निष्पक्ष, पारदर्शी तथा अनुमानित बाज़ार पहुँच सुनिश्चित करना।
- यह समझौता कस्टम सहयोग, व्यापार प्रक्रियाओं, बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) की सुरक्षा और विवाद समाधान तंत्र को भी मज़बूत करता है।
- समझौते की प्रमुख विशेषताएँ:
- रणनीतिक निवेश प्रतिबद्धता: EFTA 15 वर्षों में भारत में 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश करेगा, पहले 10 वर्षों में 50 बिलियन अमेरिकी डॉलर तथा अगले 5 वर्षों में 50 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश करेगा, जिससे 1 मिलियन नौकरियाँ पैदा होंगी।
- बाज़ार पहुँच और टैरिफ रियायतें:
- EFTA ने 92.2% टैरिफ लाइनों पर रियायत दी है, जो भारत के 99.6% निर्यात (गैर-कृषि और प्रसंस्कृत कृषि उत्पाद) को शामिल करती हैं।
- भारत ने 82.7% टैरिफ लाइनों पर रियायत दी है, जो EFTA के 95.3% निर्यात को शामिल करती हैं, जिनमें सोना भी शामिल है (हालाँकि प्रभावी शुल्क में कोई बदलाव नहीं हुआ है)।
- भारतीय चावल (बासमती और गैर-बासमती) को शुल्क-मुक्त प्रवेश मिलेगा, बिना किसी पारस्परिकता के।
- सुरक्षा उपाय और बहिष्करण: डेयरी, सोया, कोयला और PLI (उत्पादन आधारित प्रोत्साहन) से जुड़े संवेदनशील क्षेत्रों को समझौते से बाहर रखा गया है। FDI संबंधी दायित्वों से सॉवरेन वेल्थ फंड्स को छूट दी गई है।
- सेवाएँ और गतिशीलता: यह समझौता भारत की IT, शिक्षा, संस्कृति और खेल जैसे क्षेत्रों में सेवाओं को समर्थन देता है। नर्सिंग, अकाउंटेंसी और आर्किटेक्चर जैसे क्षेत्रों में म्युचुअल रिकग्निशन एग्रीमेंट्स (MRA) को सक्षम बनाता है।
- विधिक ढाँचा और बौद्धिक संपदा संरक्षण: इसमें कुल 14 अध्याय शामिल हैं। यदि निवेश लक्ष्यों को पूरा नहीं किया जाता है तो भारत टैरिफ रियायतें वापस ले सकता है। जेनेरिक दवाओं के उत्पादन की सुरक्षा सुनिश्चित की गई है और पेटेंट के अनावश्यक विस्तार की समस्या को भी संबोधित किया गया है।
यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (EFTA) क्या है?
- परिचय: यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (EFTA) एक अंतर-सरकारी संगठन है, जिसमें आइसलैंड, लिकटेंस्टीन, नॉर्वे और स्विट्ज़रलैंड शामिल हैं (ये सभी चार देश यूरोपीय संघ (EU) के सदस्य नहीं हैं)।
- यह संगठन वर्ष 1960 में स्टॉकहोम सम्मेलन के तहत स्थापित किया गया था, जिसका उद्देश्य सदस्य देशों और वैश्विक साझेदारों के बीच मुक्त व्यापार तथा आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देना है।
- भारत-EFTA व्यापार संबंध:
- व्यापारिक साझेदार: भारत, यूरोपीय संघ (EU), अमेरिका (US), ब्रिटेन (UK) और चीन के बाद EFTA का पाँचवाँ सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, जिसके साथ वर्ष 2024–25 में कुल द्विपक्षीय व्यापार 24.4 अरब अमेरिकी डॉलर का रहा।
- EFTA के अंतर्गत स्विट्ज़रलैंड भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बना हुआ है, जबकि आइसलैंड, लिकटेंस्टीन और नॉर्वे के साथ व्यापार अपेक्षाकृत सीमित है।
- निर्यात एवं आयात: भारत ने EFTA देशों को 1.96 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य की वस्तुओं का निर्यात किया तथा 22.45 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य की वस्तुओं का आयात किया, जिसके परिणामस्वरूप व्यापार घाटा काफी बढ़ गया।
- EFTA से प्रमुख आयातों में सोना (2021-22 में 20.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर), चाँदी, कोयला, फार्मास्यूटिकल्स, वनस्पति तेल, चिकित्सा उपकरण और डेयरी मशीनरी शामिल हैं।
- EFTA को निर्यात किये जाने वाले प्रमुख उत्पादों में रसायन, लोहा और इस्पात, सोना, कीमती पत्थर, धागे, खेल के सामान, काँच के बने पदार्थ और थोक दवाएँ शामिल हैं।
- भारत-EFTA डेस्क: भारत और EFTA ने आर्थिक संबंधों को मज़बूत करने तथा व्यापार और आर्थिक भागीदारी समझौता (TEPA) के तहत निवेश को सुविधाजनक बनाने के लिये भारत-EFTA डेस्क की स्थापना की है।
- यह इन्वेस्ट इंडिया द्वारा स्थापित एक समर्पित निवेश सुविधा तंत्र है, जो EFTA देशों के व्यवसायों के लिये भारत में निवेश करने हेतु सिंगल विंडो मंच के रूप में कार्य करता है।
- व्यापारिक साझेदार: भारत, यूरोपीय संघ (EU), अमेरिका (US), ब्रिटेन (UK) और चीन के बाद EFTA का पाँचवाँ सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, जिसके साथ वर्ष 2024–25 में कुल द्विपक्षीय व्यापार 24.4 अरब अमेरिकी डॉलर का रहा।
भारत-EFTA संबंधों से संबंधित प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं?
- सतत् व्यापार घाटा: भारत का EFTA के साथ बड़ा व्यापार घाटा है, जिसका मुख्य कारण स्विट्ज़रलैंड से सोने का आयात है।
- डेटा विशिष्टता और जन स्वास्थ्य: फार्मा क्षेत्र में डेटा विशिष्टता की EFTA की मांग भारत के जेनेरिक दवा उत्पादन में बाधा बन सकती है। भारत जन स्वास्थ्य और घरेलू उद्योग की सुरक्षा के लिये इसका विरोध करता है।
- TEPA के अंतर्गत IPR संबंधी चिंताएँ: TEPA के IPR प्रावधान पूर्व-अनुदान विरोध और स्थानीय विनिर्माण आवश्यकताओं को प्रभावित करके भारत के पेटेंट सुरक्षा उपायों को कमज़ोर कर सकते हैं, जिससे पारदर्शिता और सस्ती दवाओं तक पहुँच को लेकर चिंताएँ बढ़ सकती हैं।
आगे की राह
- व्यापार घाटे को कम करना: भारत से मूल्य-वर्द्धित निर्यात को प्रोत्साहित करना तथा सोने के आयात पर निर्भरता कम करने और व्यापार असंतुलन को कम करने के लिये व्यापार बास्केट में विविधता लाना।
- क्षमता निर्माण और स्थिरता: भारत के हरित परिवर्तन (ग्रीन ट्रांजिशन) तथा कौशल विकास पारितंत्र को मज़बूत करने के लिये स्थिरता, स्वच्छ प्रौद्योगिकियों एवं नवाचार के क्षेत्र में EFTA की विशेषज्ञता का उपयोग किया जाए।
- संतुलित IPR ढाँचा: यह सुनिश्चित करना कि बौद्धिक संपदा प्रावधान सार्वजनिक स्वास्थ्य आवश्यकताओं, विशेष रूप से भारत के मज़बूत जेनेरिक दवा उद्योग को नुकसान पहुँचाए बिना नवाचार की रक्षा करना।
- भारत-यूरोपीय संघ FTA गति का लाभ उठाना: भारत-यूरोपीय संघ मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर चल रही वार्ताओं (जिसे 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य है) के आधार पर नियामकीय सामंजस्य को बढ़ाना, गैर-शुल्क बाधाओं (NTBs) को दूर करना और लचीली आपूर्ति शृंखलाओं को विकसित करना, जिससे भारत की वैश्विक व्यापार स्थिति को मज़बूत किया जा सके।
दृष्टि मेन्स प्रश्न : प्रश्न: भारत-EFTA (यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ) समझौता दोनों पक्षों के लिये एक संभावित गेम-चेंजर के रूप में उभरता है, जो आर्थिक विकास, रोजगार के अवसरों और द्विपक्षीय संबंधों को सशक्त बनाने की दिशा में आशाजनक संभावनाएँ प्रदान करता है। टिप्पणी कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)प्रिलिम्स:प्रश्न 1. निम्नलिखित देशों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त में से कौन आसियान के 'मुक्त-व्यापार भागीदारों' में से हैं? (a) केवल 1, 2, 4 और 5 उत्तर: (c) प्रश्न 2.‘व्यापक-आधायुक्त व्यापार और निवेश करार (ब्रॉड-बेस्ड ट्रेड एंड इन्वेस्टमेंट एग्रीमेंट/BTIA)' कभी-कभी समाचारों में भारत तथा निम्नलिखित में से किस एक के बीच बातचीत के संदर्भ में दिखाई पड़ता है। (2017) (a) यूरोपीय संघ उत्तर: A |