भारत-चीन मैराथन बैठक | 09 Jun 2020

प्रीलिम्स के लिये:

दोनों देशों के मध्य सम्पन्न बैठक के  मुख्य बिंदु तथा स्थान 

मेन्स के लिये:

वार्ता में शामिल मुख्य क्षेत्रों का सामरिक महत्त्व  

चर्चा में क्यों?

हाल ही में पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा ( Line of Actual Control-LAC) पर भारत-चीन के मध्य उत्पन्न हुए गतिरोध को समाप्त करने के लिये दोनों देशों के मध्य ‘चुशुल-मोलडो सीमा बिंदु’ (Chushul-Moldo Border Point) पर लेफ्टिनेंट जनरल स्तरीय बैठक संपन्न हुई।

प्रमुख बिंदु:

  • इस बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व 14 वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह द्वारा किया गया तथा चीन का प्रतिनिधित्व दक्षिण शिनज़ियांग सैन्य ज़िले के कमांडर मेजर जनरल लिन लियू द्वारा किया गया

वार्ता में शामिल मुख्य मुद्दे:

  • इस वार्ता में शामिल मुख्य मुद्दों में पैंगोंग त्सो क्षेत्र (Pangong Tso Area) तथा गालवान क्षेत्र ( Galwan Region) रहे। 
  • पैंगोंग त्सो क्षेत्र पूर्वी लद्दाख में स्थित है । भारत द्वारा चीनी सेना के पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में 8 किलोमीटर पश्चिम की ओर आगे बढ़कर टेंट स्थापित करने तथा सैन्य गतिविधियाँ संचालित करने को लेकर इस बैठक में आपत्ति दर्ज़ की गई ।
  • वहीं दूसरी तरफ बैठक में अक्साई चिन (पूर्वी लद्दाख क्षेत्र) में स्थित गालवान क्षेत्र में भारत द्वारा किये जा रहे निर्माण कार्य का विरोध  चीन द्वारा किया गया।
    • यहाँ विरोध का मुख्य कारण गलवान घाटी को दारबुक, शयोक, दौलत बेग ओल्डी से जोड़ने वाली 255 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण कार्य है।
    • इस सड़क के बन जाने से लेह से दौलत बेग ओल्डी तक पहुँचने में कम समय लगेगा जिसके चलते यह सड़क भारत को सामरिक दृष्टि में मज़बूती प्रदान करेगी।

समाधान: 

  • दोनों देशों द्वारा मौज़ूदा स्थिति की समीक्षा की गई तथा इस बात पर ज़ोर दिया गया कि एक दूसरे के साथ शांतिपूर्ण, स्थिर और संतुलित संबंधों को कायम करने की आवश्यकता है। 
  • दोनों पक्षों द्वारा वर्ष2020 में दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 70 वीं वर्षगांठ को चिह्नित किया गया। 
  • दोनों देश इस बात पर भी सहमत थे कि दोनों को एक-दूसरे की भावनाओं, चिंताओं और महत्त्वाकांक्षाओं का सम्मान करते हुए शांतिपूर्ण बातचीत के माध्यम से अपने मतभेदों को दूर करना होगा।
  • दोनों ही पक्षों द्वारा अपनी-अपनी समस्याएँ एक दूसरे के समक्ष प्रस्तुत की गई।
  • भारत द्वारा चीन से पूर्व स्थिति अर्थात चीनी सेना को  20 अप्रैल 2020 की स्थिति में लौटने को कहा गया है। बैठक की समाप्ति सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई।

आगे की राह:

वर्तमान हालातों को ध्यान में रखते हुए ऐसे नहीं कहा जा सकता कि यह भारत और चीन के बीच यह अंतिम सीमा विवाद है। यह कदम चीन के एक कदम पीछे तथा दो कदम आगे चलने की उसकी व्यापक रणनीति का ही हिस्सा है। ऐसे में भारत को इसकी काट के लिये हमेशा तैयार रहना होगा। दोनों देशों के बीच इस तरह की वार्ताएं भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में शांति द्विपक्षीय संबंधों के समग्र विकास के लिये आवश्यक है तथा इससे आगे भी बातचीत का रास्ता खुला हुआ रहेगा।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस