भारत सल्फर-डाईऑक्साइड (SO2) का सबसे बड़ा उत्सर्जक | 20 Aug 2019

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ग्रीनपीस (Greenpeace), एक पर्यावरणीय गैर-सरकारी संगठन की रिपोर्ट के अनुसार, भारत दुनिया में सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) का सबसे बड़ा उत्सर्जक है, जो वैश्विक स्तर पर मानवजनित सल्फर-डाई-ऑक्साइड उत्सर्जन में 15% से अधिक का योगदान देता है।

प्रमुख बिंदु

  • भारत के सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) का सबसे बड़ा उत्सर्जक होने का प्राथमिक कारण पिछले एक दशक में देश में कोयला आधारित बिजली उत्पादन का विस्तार है।
  • रिपोर्ट के अनुसार, भारत में SO2 का सर्वाधिक उत्सर्जन कोयला आधारित पॉवर प्लांट (Thermal Power Plants) द्वारा किया जाता है।
  • भारत में प्रमुख SO2 उत्सर्जन हॉटस्पॉट मध्य प्रदेश में सिंगरौली; तमिलनाडु में नेवेली और चेन्नई; ओडिशा में तलचर एवं झारसुगुड़ा; छत्तीसगढ़ में कोरबा; गुजरात में कच्छ; तेलंगाना में रामागुंडम तथा महाराष्ट्र में चंद्रपुर एवं कोराडी हैं।
  • देश के अधिकांश बिजली संयंत्रों में फ्लू-गैस डिसल्फराइज़ेशन तकनीक (Flue-Gas Desulphurisation-FGD) का अभाव है।

नोट: इन हॉटस्पॉट की पहचान NASA (National Aeronautics and Space Administration) के OMI (Ozone Monitoring Instrument) सैटेलाइट द्वारा की गई है।

वैश्विक संदर्भ में बात करें तो

  • रूस, दक्षिण अफ्रीका, ईरान, सऊदी अरब, भारत, मेक्सिको, संयुक्त अरब अमीरात, तुर्की और सर्बिया में सबसे अधिक SO2 उत्सर्जन हॉटस्पॉट पाए गए हैं।
  • अमेरिका व चीन नवीकरणीय ऊर्जा के प्रयोग को बढ़ावा देकर SO2 उत्सर्जन को कम करने की क्षमता प्राप्त कर चुके हैं। चीन ने उत्सर्जन मानकों व प्रवर्तन में सुधर किया है।
  • भारत, सऊदी अरब और ईरान में पॉवर प्लांट व अन्य उद्योगों के कारण वायु प्रदूषण में बढ़ोतरी हो रही है। SO2 के उत्सर्जन में वैश्विक रैंकिंग में भारत का प्रथम स्थान है क्योंकि यहाँ अधिकतम हॉटस्पॉट हैं।

So2 Emision

वायु प्रदूषण एवं SO2

रिपोर्ट के अनुसार, वायु प्रदूषण में SO2 उत्सर्जन का महत्त्वपूर्ण योगदान है। जीवाश्म ईंधन का उपयोग करने के कारण पॉवर प्लांट और अन्य औद्योगिक गतिविधियाँ SO2 उत्सर्जन के सबसे बड़े स्रोत हैं।

  • SO2 उत्सर्जन वायु प्रदूषण का एक महत्त्वपूर्ण कारक है। वायुमंडल में इसकी सांद्रता अधिक होने पर यह सल्फर के ऑक्साइड (SOX) का निर्माण करता है।
  • SOX अन्य यौगिक के साथ प्रतिक्रिया कर सूक्ष्म कणों का निर्माण करता है जो कि वायु मंडल में Particulate Matter (PM) की मात्रा को बढ़ाता है।

वायु प्रदूषण के प्रभाव

  • वायु प्रदूषण सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिये चिंता का सबसे बड़ा कारण है।
  • विश्व की 91% जनसंख्या उन क्षेत्रों में निवास करती है जहाँ बाह्य वायु प्रदूषण (Outdoor Air Pollution) का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization-WHO) द्वारा जारी किये गए सुरक्षित स्तर से कहीं अधिक है। इसके परिणामस्वरूप प्रतिवर्ष 4.2 मिलियन लोगों की मौत हो जाती है।

भारत द्वारा SO2 उत्सर्जन को नियंत्रित करने के प्रयास

  • वर्ष 2015 में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MOEF&CC) ने कोयला आधारित पॉवर प्लांट द्वारा SO2 उत्सर्जन को कम करने हेतु सभी पॉवर प्लांट में FGD तकनीक के प्रयोग को अनिवार्य किया है।
  • सभी कोयला आधारित पॉवर प्लांटस को वर्ष 2022 तक FGD तकनीक से युक्त किया जाना है, जबकि दिल्ली-एनसीआर में स्थित पॉवर प्लांट के लिये यह समय-सीमा वर्ष 2019 है।

Flue-Gas Desulphurisation-FGD

  • FGD जीवाश्म-ईंधन आधारित पॉवर प्लांट से निष्कासित फ्लू गैसों से साथ ही अन्य प्रक्रियाओं से उत्सर्जित (जैसे कचरा क्षरण आदि ) सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) को पृथक करने की तकनीक है।
  • जीवाश्म-ईंधन आधारित पॉवर प्लांट से निष्कासित फ्लू गैस में उपस्थित SO2 को एक अवशोषण प्रक्रिया (Absorption Process) के माध्यम से नियंत्रित किया जा सकता है जिसे FGD कहा जाता है। FGD प्रणाली में आर्द्र स्क्रबिंग (Wet Scrubbing) या ड्राई स्क्रबिंग (Dry Scrubbing ) शामिल होती है।
  • Wet FGD प्रणाली में फ्लू गैसों को एक अवशोषक के संपर्क में लाया जाता है यह अवशोषक तरल या ठोस सामग्री का घोल होता है। SO2 इस अवशोषक में घुल जाता है या प्रतिक्रिया करके इसमें समाहित हो जाता है।
  • यही प्रक्रिया Dry FGD प्रणाली में भी प्रयोग होती है जिसमे अवशोषक के रूप में लाइमस्टोन प्रयोग किया जाता है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस, द हिंदू