भारत-बेलारूस संबंध | 11 Nov 2022

प्रिलिम्स के लिये:

बेलारूस की अवस्थिति

मेन्स के लिये:

भारत-बेलारूस संबंध, भारत के हितों पर देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव

चर्चा में क्यों?

हाल ही में व्यापार, आर्थिक, वैज्ञानिक, तकनीकी और सांस्कृतिक सहयोग पर भारत-बेलारूस अंतर-सरकारी आयोग का 11वाँ सत्र आयोजित किया गया।

Belarus

प्रमुख बिंदु

  • अंतर-सरकारी आयोग ने वर्ष 2020 में आयोग के दसवें सत्र के बाद हुए द्विपक्षीय सहयोग के परिणामों की समीक्षा की।
  • कुछ परियोजनाओं के संबंध में हुई प्रगति पर संतोष व्यक्त करते हुए, आयोग ने संबंधित मंत्रालयों और विभागों को ठोस परिणामों को अंतिम रूप देने के लिये व्यापार एवं निवेश क्षेत्रों में प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने का भी निर्देश दिया।
  • भारत और बेलारूस ने फार्मास्यूटिकल्स, वित्तीय सेवाओं, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, भारी उद्योग, संस्कृति, पर्यटन तथा शिक्षा जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर ज़ोर देते हुए अपने सहयोग को व्यापक बनाने की अपनी प्रबल इच्छा दोहराई।
  • दोनों मंत्रियों ने अपने-अपने व्यापारिक समुदायों को पारस्परिक रूप से लाभकारी सहयोग को आगे बढ़ाने के लिये इन क्षेत्रों में एक-दूसरे के साथ जुड़ने का निर्देश दिया।
  • दोनों पक्ष प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने पर सहमत हुए।

भारत-बेलारूस संबंध:

  • राजनयिक संबंध:
    • बेलारूस के साथ भारत के संबंध परंपरागत रूप से मधुर और सौहार्दपूर्ण रहे हैं।
    • भारत, वर्ष 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद बेलारूस को स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता देने वाले पहले देशों में से एक था।
  • बहुपक्षीय मंचों पर समर्थन:
  • व्यापक भागीदारी:
    • दोनों देशों के बीच एक व्यापक साझेदारी है और विदेश कार्यालय परामर्श (FOC), अंतर-सरकारी आयोग (IGC), सैन्य तकनीकी सहयोग पर संयुक्त आयोग के माध्यम से द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और बहुपक्षीय मुद्दों पर विचारों के आदान-प्रदान के लिये तंत्र स्थापित किया गया है।
    • दोनों देशों ने व्यापार और आर्थिक सहयोग, संस्कृति, शिक्षा, मीडिया एवं खेल, पर्यटन, विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी, कृषि, वस्त्र, दोहरे कराधान से बचाव, निवेश को बढ़ावा देने व संरक्षण सहित रक्षा एवं तकनीकी सहयोग जैसे विभिन्न विषयों पर कई समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किये हैं।
  • व्यापार और वाणिज्य:
    • आर्थिक क्षेत्र में वर्ष 2019 में वार्षिक द्विपक्षीय व्यापार कारोबार 569.6 मिलियन अमेरिकी डाॅलर का था।
    • वर्ष 2015 में भारत ने बेलारूस को बाज़ार अर्थव्यवस्था का दर्जा दिया और 100 मिलियन अमेरिकी डाॅलर की ऋण सहायता से भी आर्थिक क्षेत्र के विकास में मदद मिली है।
      • बाज़ार अर्थव्यवस्था का दर्जा बेंचमार्क के रूप में स्वीकार किये गए वस्तु का निर्यात करने वाले देश को दिया जाता है। इस स्थिति से पहले देश को गैर-बाज़ार अर्थव्यवस्था (NME) के रूप में माना जाता था
    • बेलारूस के व्यवसायियों को 'मेक इन इंडिया' परियोजनाओं में निवेश करने के लिये भारत के प्रोत्साहन का लाभ मिल रहा है।
  • भारतीय प्रवासी:
    • वर्तमान में 112 भारतीय नागरिक बेलारूस में रहते हैं इसके अलावा 906 भारतीय छात्र वहाँ राज्य चिकित्सा विश्वविद्यालयों में चिकित्सा की पढ़ाई कर रहे हैं।
    • भारतीय कला और संस्कृति, नृत्य, योग, आयुर्वेद, फिल्म आदि बेलारूस के नागरिकों के बीच लोकप्रिय हैं।
      • काफी संख्या में बेलारूस के युवा भी हिंदी और भारत के नृत्य रूपों को सीखने में गहरी रुचि रखते हैं।

आगे की राह

  • वैश्विक भू-राजनीतिक और भू-आर्थिक आकर्षण केंद्र के एशिया में क्रमिक बदलाव को ध्यान में रखते हुए भारत के साथ सहयोग अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और निवेश के लिये अतिरिक्त अवसर पैदा करता है।
  • बेलारूस को विविधतापूर्ण एशिया में कई भौगोलिक उप-क्षेत्रों के साथ संबंध स्थापित करने की आवश्यकता है।
    • दक्षिण एशिया में भारत इन उप-क्षेत्रों में से एक हो सकता है, लेकिन इसके लिये बेलारूस की  पहल निश्चित रूप से भारत के राष्ट्रीय हितों और धार्मिक उद्देश्यों (National Interests and Sacred Meanings) के "मैट्रिक्स" के अनुरूप होनी चाहिये
  • साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग के लिये भी कुछ अवसर विद्यमान हैं।
  • बेलारूस भारतीय दवा कंपनियों हेतु यूरेशियन बाज़ार में "प्रवेश बिंदु" बन सकता है।
  • साझा विकास सहित सैन्य और तकनीकी सहयोग की संभावना का पूरी तरह से खुलासा नहीं किया गया है।
    • यह सिनेमा (बॉलीवुड) भारतीय व्यापार समुदाय और पर्यटकों के हित को प्रोत्साहित कर सकता है।
  • पारंपरिक भारतीय चिकित्सा पद्धति (आयुर्वेद + योग) के आधार पर बेलारूस में स्थापित किये जा रहे मनोरंजन केंद्रों द्वारा पर्यटन और चिकित्सा सेवाओं के निर्यात में अतिरिक्त वृद्धि सुनिश्चित की जा सकती है।
  • आपसी हित बढ़ाने के लिये नए नवोन्मेषी विकास बिंदुओं की स्थापना तथा सफल विचारों को प्रोत्साहित करना और सक्रिय विशेषज्ञ कूटनीति संचार का प्रमुख महत्त्व है।

स्रोत : पी.आई.बी