भारत ने शुरू किया रूस से एलएनजी आयात | 06 Jun 2018

चर्चा में क्यों?

भारत ने अपने आपूर्ति स्रोतों को विविधता देने और तेजी से बढ़ती स्थानीय ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने की अपनी रणनीति के तहत रूस से तरलीकृत प्राकृतिक गैस (liquefied natural gas) का आयात करना शुरू कर दिया है। इस संबंध में केंद्र सरकार का कहना है कि वह देश को पूरी तरह से गैस आधारित अर्थव्यवस्था में परिवर्तित करने हेतु प्रतिबद्ध है और रूस से शुरू हुई हालिया आपूर्ति इसमें मददगार साबित होगी।

प्रमुख बिंदु

  • रूस, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और कतर के बाद भारत में दीर्घकालिक एलएनजी की आपूर्ति शुरू करने वाला नवीनतम देश है। दो साल पहले तक, देश पूरी तरह से कतर पर दीर्घावधिक आपूर्ति हेतु निर्भर था।
  • देश में गैस आयात और आपूर्ति हेतु एलएनजी आयात टर्मिनलों और पाइपलाइनों के निर्माण में भारी निवेश किया जा रहा है, क्योंकि स्थानीय उत्पादन घरेलू मांग की पूर्ति में सक्षम नहीं है। अतः देश को आयात पर निर्भर रहना पड़ेगा।
  • भारत उपभोग की जाने वाली कुल प्राकृतिक गैस का 45% आयात करता है।
  • देश के ऊर्जा मिश्रण में एलएनजी का हिस्सा बढ़ाने की सरकार की योजना के तहत 2030 तक इस इसका भाग 15% तक करने की योजना है, जो वर्तमान में लगभग 6.5% है। अतः भविष्य में आयात में बढ़ोतरी होने की उम्मीद है।
  • 2017-18 में देश में प्राकृतिक गैस खपत 5% बढ़कर 58 बिलियन घन मीटर हो गई। 
  • सरकार को उम्मीद है कि वर्तमान में चल रहे नए लाइसेंसिंग राउंड के बाद देश के आधे भाग में कुकिंग और परिवहन हेतु पाइप गैस तक पहुँच स्थापित हो जाएगी।
  • 2012 में सरकार द्वारा संचालित गैस कंपनी गेल (GAIL) ने रूस की ऊर्जा क्षेत्र की बड़ी कंपनी गैज़प्रोम (Gazprom) के साथ एक बीस वर्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किये। इस समझौते के तहत गेल प्रति वर्ष 2.5 मिलियन टन प्राकृतिक गैस की खरीदारी करेगी।
  • गेल ने अमेरिकी आपूर्तिकर्त्ताओं से भी प्रति वर्ष 5.8 मिलियन टन एलएनजी आयात हेतु दीर्घावधिक अनुबंध किये हैं। अमेरिका से आपूर्ति इस साल के आरंभ में शुरू हो चुकी है।
  • कुछ साल पहले कच्चे तेल और एलएनजी की कीमतों में तेज गिरावट के फलस्वरूप आयातित प्राकृतिक गैस भारत के लिये और किफायती बन गई। साथ ही, इससे गैस की घरेलू मांग को भी बढ़ावा मिला।
  • पिछले तीन सालों में गेल और पेट्रोनेट ने मध्य-पूर्व, रूस और ऑस्ट्रेलिया से आपूर्तिकर्त्ताओं के साथ अपने अनुबंधों का पुनर्गठन किया, जिससे अधिक कीमतों और वितरण में लचीलापन आया।
  • गैज़प्रोम के साथ समझौते के पुनर्गठन के बाद अनुबंध की अवधि तीन वर्ष बढ़ा दी गई है।
  • पिछले कुछ सालों में भारत और रूस ने अपनी ऊर्जा भागीदारी को मजबूत किया है और दोनों देशों की कंपनियों ने एक दूसरे के यहाँ ऊर्जा क्षेत्र की परियोजनाओं में बड़ा निवेश किया है।