भारत ने LIGO के निर्माण को मंज़ूरी दी | 11 Apr 2023

प्रिलिम्स के लिये:

गुरूत्वीय तरंगें, लीगो-इंडिया प्रोजेक्ट।

मेन्स के लिये:

लीगो-इंडिया प्रोजेक्ट का महत्त्व और लाभ।

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में सरकार ने सात वर्ष की सैद्धांतिक मंज़ूरी के बाद ‘लेजर इंटरफेरोमीटर ग्रेविटेशनल वेव ऑब्जर्वेटरी (LIGO)’ परियोजना के निर्माण को मंज़ूरी दी।   

  • इसे परमाणु ऊर्जा विभाग और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा अमेरिकी राष्ट्रीय विज्ञान प्रतिष्ठान तथा कई अन्य राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान संस्थानों के साथ मिलकर बनाया जाएगा।

लीगो-इंडिया प्रोजेक्ट (LIGO-India Project): 

  • परिचय: 
    • परियोजना का उद्देश्य ब्रह्मांड के गुरूत्वीय तरंगों का पता लगाना है। 
    • भारतीय लीगो में लंबवत रूप से 4 किलोमीटर लंबे दो निर्वात कक्ष होंगे, जो विश्व में सबसे संवेदनशील इंटरफेरोमीटर का गठन करते हैं।  
    • इसके वर्ष 2030 से शुरू होने उम्मीद है।
  • अवस्थिति:
    • यह मुंबई से लगभग 450 किमी पूर्व में महाराष्ट्र के हिंगोली ज़िले में स्थित होगा। 
      • राजस्थान और मध्य प्रदेश में दो अन्य स्थलों की उपयुक्तता जाँच के बाद स्थान का चयन किया गया था।
  • उद्देश्य और महत्त्व:
    • यह नियोजित नेटवर्क का पाँचवाँ नोड होगा तथा भारत को एक प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक प्रयोग में शामिल करेगा।  
    • यह भारत को एक अद्वितीय प्लेटफ़ॉर्म बना देगा जो क्वांटम और ब्रह्मांड के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की सीमाओं को एक साथ लाता है।
  • लीगो-इंडिया के लाभ:
    • भारत को सबसे प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक प्रयोगों में से किसी एक को अभिन्न अंग बनाने के अतिरिक्त, लीगो-इंडिया परियोजना से भारतीय विज्ञान को कई लाभ होंगे।
    • वेधशाला से खगोल विज्ञान और खगोल भौतिकी में उल्लेखनीय प्रगति के साथ-साथ भारतीय अनुसंधान और प्रौद्योगिकी को महत्त्वपूर्ण राष्ट्रीय निहितार्थ वाले क्षेत्रों में आगे बढ़ने की उम्मीद है।

गुरुत्त्वाकर्षण तरंगें 

  • गुरुत्वाकर्षण तरंगों को पहली बार वर्ष 1916 में अल्बर्ट आइंस्टीन ने अपने “जनरल थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी” में प्रस्तावित किया था, जो गुरुत्वाकर्षण के कार्य करने के बारे में बताता है।
  • ये तरंगें बड़े पैमाने पर खगोलीय पिंडों, जैसे कि ब्लैक होल या न्यूट्रॉन स्टार्स के संचलन से उत्पन्न होती हैं, और अंतरिक्ष-समय के माध्यम से बाहर की ओर फैलती हैं।

लीगो 

  • परिचय : लीगो, गुरुत्वाकर्षण तरंगों का पता लगाने वाली प्रयोगशालाओं का एक अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क है।
    • लीगो को दूरी में परिवर्तन को मापने के लिये डिज़ाइन किया गया है, जिससे प्रोटॉन की लंबाई की तुलना में छोटे परिमाण के कई क्रमों को मापा जा सकता है। गुरुत्वाकर्षण तरंगों की अत्यंत कम शक्ति के कारण ऐसे उच्च परिशुद्धता उपकरणों की आवश्यकता होती है जो उनकी पहचान को बहुत मुश्किल बनाते हैं।

LIGO

  • गुरुत्वीय तरंगों की पहली खोज: 
    • अमेरिका में LIGO ने पहली बार वर्ष 2015 में गुरुत्वीय तरंगों का पता लगाया जिस कारण वर्ष 2017 में इसे भौतिकी का नोबेल पुरस्कार मिला।
      • ये गुरुत्वीय तरंगें दो ब्लैक होल के विलय से उत्पन्न हुई थीं, जो 1.3 अरब वर्ष पहले सूर्य के द्रव्यमान का लगभग 29 और 36 गुना थे
      • ब्लैक होल का विलय कुछ सबसे मज़बूत गुरुत्वीय तरंगों का स्रोत है।
  • ऑपरेशनल LIGO: 
    • संयुक्त राज्य अमेरिका (हैनफोर्ड और लिविंगस्टन में) के अतिरिक्त, इस तरह की गुरुत्वीय तरंग वेधशालाएँ वर्तमान में इटली (वर्गो) और जापान (कागरा) में क्रियाशील हैं।
      • गुरुत्वीय तरंगों का पता लगाने के लिये विश्व भर में चार तुलनीय डिटेक्टरों को एक साथ संचालित करने की आवश्यकता है।
  • कार्य तंत्र: 
    • LIGO में 4-किमी-लंबे दो निर्वात कक्ष होते हैं, जो एक दूसरे के समकोण पर स्थित होते हैं और इनके अंतिम छोर पर दर्पण लगा होता हैं।
    • जब प्रत्येक कक्ष में प्रकाश पुँज एक साथ छोड़े जाते हैं, तो उनका प्रवर्तन एक ही समय में होता है।  
    • हालाँकि, गुरुत्वीय तरंग आने की स्थिति में एक कक्ष का आकार लंबवत हो जाता है जबकि दूसरे में सिकुड़न/संकुचन  को मिलता है, इस कारण प्रतिबिंबित होने वाली प्रकाश किरणों में एक चरणीय विसंगति (Phase Difference) हो जाती है।
      • इस विसंगति/अंतर का पता लगाने से गुरुत्वीय तरंग की उपस्थिति की पुष्टि होती है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न   

प्रश्न. हाल ही में वैज्ञानिकों ने पृथ्वी से अरबों प्रकाश-वर्ष दूर विशालकाय ‘ब्लैकहोलों’ के विलय का प्रेक्षण किया। इस प्रेक्षण का क्या महत्व है? (2019) 

(a)  ‘हिग्स बोसॉन कणों’ का अभिज्ञान हुआ। 
(b) ‘गुरूत्वीय तरंगों’ का अभिज्ञान हुआ। 
(c) ‘वॉर्महोल’ से होते हुए अंतरा-मंदाकिनीय अंतरिक्ष यात्रा की संभावना की पुष्टि हुई। 
(d) इसने वैज्ञानिकों को ‘विलक्षणता (सिंगुलैरिटि)’ को समझना सुकर बनाया। 

उत्तर: (b) 

व्याख्या: 

  • प्रत्येक कुछ मिनटों में ब्लैक होल के टकराने से गुरूत्वीय तरंगों का उत्सर्जन होता है।
  • अल्बर्ट आइंस्टीन ने वर्ष 1916 में अपनी जनरल थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी में गुरुत्वाकर्षण तरंगों के अस्तित्व की भविष्यवाणी की थी।
  • सबसे मजबूत गुरुत्वीय तरंगें विनाशकारी घटनाओं जैसे कि ब्लैक होल के टकराने, सुपरनोवा के विघटन, न्यूट्रॉन तारों या सफेद बौने तारों के युग्मन आदि से उत्पन्न होती हैं।
  • वैज्ञानिकों ने पृथ्वी से करीब एक अरब प्रकाश वर्ष दूर दो ब्लैक होल के विलय से उत्सर्जित गुरुत्वाकर्षण तरंगों का पता लगाया है।
  • इसे लेजर इंटरफेरोमीटर ग्रेविटेशनल-वेव ऑब्जर्वेटरी (LIGO) द्वारा रिकॉर्ड किया गया था।

अतः विकल्प (b) सही उत्तर है।  

स्रोत:इंडियन एक्सप्रेस