भारत अपनी 'ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस' रैंकिंग सुधारना चाहता है | 15 Jun 2017

संदर्भ
भारत ने व्यवसाय शुरू करने और निर्माण परमिट जारी करने जैसे क्षेत्रों में हाल ही में काफी सुधार किये हैं, ताकि अक्टूबर में जारी होने वाली विश्व बैंक की 'ईज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस' रिपोर्ट में अपनी रैंकिंग में उल्लेखनीय सुधार कर सके। उल्लेखनीय है कि हाल ही में विश्व बैंक की एक टीम द्वारा इस रिपोर्ट के संबंध में देश की अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन का आकलन किया जा रहा है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • पिछले वर्ष जारी रिपोर्ट में भारत को 190 देशों में से 130वें स्थान पर रखा गया था, जिसमें देश को 'कारोबार शुरू करने'  के लिये 155वाँ और निर्माण परमिट जारी करने में 185वाँ स्थान प्राप्त हुआ था।
  • इस बार व्यापार शुरू करने और निर्माण परमिट जारी करने जैसे क्षेत्रों में बड़े सुधारों  के साथ-साथ दिवालिया कानून जैसे सुधारों के कारण यह उम्मीद की जा रही है कि भारत की रैंकिंग में काफी सुधार होगा।
  • मुंबई और दिल्ली (विश्व बैंक द्वारा कवर किये गए शहर) में एक सीमित देयता कंपनी शुरू करने के लिये पंजीकरण कराने का समय केवल एक दिन है, जिसमें पहले 26 दिनों का समय लगता था। यह सब ‘इलेक्ट्रॉनिक रूप से एक कंपनी को शामिल करने के लिये सरलीकृत प्रफोर्म (SPICe) के कारण संभव हो सका। 
  • SPICe फॉर्म पाँच प्रक्रियाओं को एक साथ जोड़ता है - कंपनी का समावेशन, पहचान संख्या सीधे प्राप्त करना, कंपनी के नाम का आरक्षण, स्थायी खाता संख्या के लिये आवेदन के साथ-साथ कर कटौती और संग्रहण खाता संख्या (टीएएन) के लिये एक ही आवेदन प्रक्रिया है।
  • कर्मचारी राज्य बीमा निगम और कर्मचारी भविष्य निधि संगठन से जुड़ी प्रक्रियाओं को भी इलेक्ट्रॉनिक बनाया गया है, ताकि रियल टाइम डाटा उपलब्ध हो सके। 

 ईज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस

  • विश्व बैंक समूह द्वारा बनाया गया यह सूचकांक व्यावहारिक अनुसंधान (Empirical Research) पर आधारित  है।
  • उच्च रैंकिंग (कम संख्यात्मक मान) यह दिखाता है कि व्यवसाय करने के लिये सरल प्रक्रिया विद्यमान है और सम्पदा के अधिकारों की भी सुरक्षा की गई है।
  • यह सूचकांक 10 उप-निर्देशों के औसत पर आधारित है: 

1. कारोबार शुरू करना।
2. निर्माण अनुमति प्राप्त करना।
3. विद्युत प्राप्त करना।
4. संपत्ति को पंजीकृत कराना।
5. क्रेडिट प्राप्त करना।
6. निवेशकों की रक्षा करना।
7. कर चुकाना।
8. सीमापार व्यापार करना। 
9. प्रवर्तनीय कॉन्ट्रैक्ट।
10. दिवालिएपन का समाधान करना।