ग्लोबल हंगर इंडेक्स में तीन पायदान नीचे खिसका भारत | 14 Oct 2017

चर्चा में क्यों?

वैश्विक महाशक्ति बनने की राह पर आगे बढ़ रहे भारत के लिये हाल ही में आई एक रिपोर्ट चिंताजनक तस्वीर पेश करती है। ‘ग्लोबल हंगर इंडेक्स’ की हालिया रिपोर्ट के अनुसार भारत में ‘भूख’ अभी भी एक गंभीर समस्या है। विदित हो कि पिछले वर्ष ग्लोबल हंगर इंडेक्स में 97वें स्थान पर रहने वाला भारत, वर्तमान रिपोर्ट के अनुसार तीन पायदान नीचे खिसक कर 100वें स्थान पर पहुँच गया है।

क्या है ग्लोबल हंगर इंडेक्स?

  • ग्लोबल हंगर इंडेक्स, भुखमरी को मापने का एक पैमाना है जो वैश्विक, राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर भुखमरी को प्रदर्शित करता है।
  • उल्लेखनीय है कि अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (International Food Policy Research Institute- IFPRI) द्वारा प्रतिवर्ष जारी किये जाने वाले इस इंडेक्स में उन देशों को शामिल नहीं किया जाता है जो विकास के एक ऐसे स्तर तक पहुँच चुके हैं, जहाँ भुखमरी नगण्य मात्रा में है।
  • इंडेक्स में शामिल न किये जाने वाले देशों में पश्चिमी यूरोप के अधिकांश देश, अमेरिका, कनाडा इत्यादि शामिल हैं। साथ ही  कुछ ऐसे अल्प विकसित देश भी इस इंडेक्स से बाहर रहते हैं जिनके भुखमरी संबंधी आँकड़े उपलब्ध नहीं हो पाते या अपर्याप्त होते हैं, जैसे बुरूंडी, इरीट्रिया, लीबिया, सूडान, सोमालिया आदि।

इस इंडेक्स की आवश्यकता क्यों पड़ी? 

  • 1990 के दशक से वैश्विक अर्थव्यवस्था का स्वरूप तेज़ी से बदलने लगा था। मुक्त बाज़ारों को आर्थिक विकास का वाहक माना जाने लगा था और लगभग सभी राष्ट्र अपने-अपने बाज़ारों को मुक्त करने लगे। एक ओर जहाँ समृद्धि बढ़ती जा रही थी, वहीं दूसरी ओर वैश्विक जनसंख्या का एक बड़ा भाग अपने लिये दो वक्त का भोजन भी नहीं जुटा पा रहा था।
  • कई अन्य समस्याओं के अलावा भुखमरी भी इसी वैश्वीकरण की एक बाईप्रोडक्ट थी और इस समस्या के समाधान के लिये आवश्यक था कि भुखमरी आदि से संबंधित आँकड़े सुस्पष्ट हों, ताकि इनका विश्लेषण कर यह ज्ञात किया जा सके कि अलग-अलग देशों व क्षेत्रों में भुखमरी की क्या स्थिति है।
  • यही कारण है कि प्रत्येक वर्ष इसके आँकड़े प्रकाशित किये जाते हैं, ताकि नीतियाँ अधिक जनोन्मुखी हो सकें। विदित हो कि वर्ष 2006 में सबसे पहले ‘वेल्ट हंगरलाइफ’ नाम के एक जर्मन स्वयंसेवी संगठन ने ग्लोबल हंगर इंडेक्स जारी की थी।
  • इस इंडेक्स का एक महत्त्वपूर्ण उद्देश्य यह है कि इसके प्रदत्त स्कोर के माध्यम से विभिन्न देश अन्य देशों से या स्वयं के पिछले वर्ष के आँकड़ों से भुखमरी की स्थिति का तुलनात्मक मूल्यांकन कर इससे निपटने की दिशा में प्रयास करें।
  • भुखमरी के मापन के लिये अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान चार आधारों  (आबादी में कुपोषणग्रस्त लोगों की संख्या, बाल मृत्यु दर, अल्प विकसित बच्चों की संख्या और अपनी उम्र की तुलना में छोटे कद और कम वज़न वाले बच्चों की तादाद) को चुनता है और उनके आनुपातिक मूल्यों का समेकन कर इंडेक्स जारी करता है। इनमें से अल्प पोषण तथा बाल मृत्यु दर को ज़्यादा महत्त्व दिया जाता है।

क्यों चिंताजनक तस्वीर पेश करती है वर्तमान रिपोर्ट?

  • अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान के अनुसार 119 देशों के ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत 100वें पायदान पर है और वह उत्तर कोरिया और बांग्लादेश जैसे देशों से भी पीछे है।
  • दरअसल, पिछले साल भारत इस इंडेक्स में 97वें स्थान पर था और अब 100वें स्थान पर है। यानी इस साल वर्ल्ड हंगर इंडेक्स में भारत 3 स्थान और पीछे चला गया है।
  • एशिया में एक बड़ी शक्ति के तौर पर पहचान रखने वाला भारत समूचे एशिया में सिर्फ अफगानिस्तान और पाकिस्तान से आगे है जबकि नेपाल, म्याँमार, श्रीलंका और बांग्लादेश से भी पीछे है।
  • रिपोर्ट के मुताबिक भारत, चीन (29), नेपाल (72), म्याँमार (77), श्रीलंका (84) और बांग्लादेश (88) से पीछे है।
  • हाल ही में फोर्ब्स द्वारा जारी सबसे धनवान व्यक्तियों की सूची में यह दिखा था कि देश के सबसे धनवान व्यक्ति एवं समूहों की संपत्ति में पिछले साल के मुकाबले काफी वृद्धि हुई है। एक ओर तो धनवान और भी धनवान बनते जा रहे हैं, जबकि ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत नीचे खिसकता जा रहा है।

निष्कर्ष

  • गौरतलब है कि सरकार ने बड़े पैमाने पर सबको पोषण उपलब्ध कराने के कार्यक्रम चलाए हैं, लेकिन प्राकृतिक आपदाओं तथा कई तरह की व्यवस्थागत समस्याओं के कारण इनके लाभ देश के सभी हिस्सों और तबकों तक नहीं पहुँच पाए हैं।
  • इस संबंध में तुरंत ध्यान दिये जाने की ज़रूरत है, क्योंकि ग्लोबल हंगर इंडेक्स जैसे पैमानों पर यदि देश की छवि ख़राब होती रही तो दूसरे क्षेत्रों की तमाम उपलब्धियों पर भी ग्रहण लग सकता है। देश के अंतिम जन तक सभी बुनियादी सुविधाएँ मुहैया कराना आज समय की माँग भी है और ज़रूरत भी।
  • इस रिपोर्ट के आने बाद मौजूदा स्थितियों में सुधार करने के लिये चल रहे प्रयासों में महत्त्वपूर्ण बदलाव किये जाने की आवश्यकता है। गौरतलब है कि भारत ने 2022 तक ‘कुपोषण मुक्त भारत’ नामक कार्य योजना विकसित की है। वर्तमान रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए इस योजना में आपेक्षित सुधार किये जाने चाहिये।