चुनाव अभियान प्रसारण समय में वृद्धि | 10 Oct 2020

प्रिलिम्स के लिये:

भारत में राजनीतिक दल, प्रसार भारती, निर्वाचन आयोग

चर्चा  में  क्यों?

भारत निर्वाचन आयोग (Election Commission of India- ECI) ने बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के लिये चुनाव प्रचार में सहायता हेतु दूरदर्शन और ऑल इंडिया रेडियो पर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के लिये नियत प्रसारण समय में वृद्धि कर दी है।

प्रमुख  बिंदु

प्रसारण समय: 

  • बिहार में दूरदर्शन नेटवर्क और ऑल इंडिया रेडियो नेटवर्क के क्षेत्रीय केंद्रों पर प्रत्येक राष्ट्रीय दल तथा बिहार में मान्यता प्राप्त राज्य स्तरीय दलों को समान रूप से 90 मिनट का आधार समय दिया जाएगा।
  • किसी भी राजनीतिक दल को एकल प्रसारण सत्र में 30 मिनट से अधिक का समय नहीं दिया जाएगा।
  • किसी भी दल को अतिरिक्त समय (90 मिनट के आधार/मूल समय से अलग) वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में उनके चुनावी प्रदर्शन के आधार पर दिया जाएगा।

प्रसारण/प्रचार की अवधि: 

  • नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि और बिहार में मतदान की तिथि से दो दिन पहले के बीच की अवधि प्रसारण/प्रचार की अवधि होगी।
  • प्रसारण और प्रचार के लिये वास्तविक तिथि तथा समय का निर्धारण प्रसार भारती निगम द्वारा भारत निर्वाचन आयोग के परामर्श से किया जाएगा।
    • प्रसार भारती भारत की सबसे बड़ी सार्वजनिक प्रसारण एजेंसी है। यह प्रसार भारती अधिनियम, 1990 द्वारा स्थापित एक वैधानिक स्वायत्त निकाय है और इसमें दूरदर्शन टेलीविज़न नेटवर्क तथा ऑल इंडिया रेडियो शामिल हैं, जो पहले सूचना और प्रसारण मंत्रालय की मीडिया इकाइयाँ थीं।
  • दलों के लिये यह आवश्यक होगा कि वे टेप और रिकॉर्डिंग अग्रिम रूप से प्रस्तुत करें।
  • दलों द्वारा प्रसारण के अलावा प्रसार भारती निगम दूरदर्शन/ऑल इंडिया रेडियो के केंद्र/स्टेशन पर अधिकतम चार पैनलों के साथ चर्चाएँ/डिबेट आयोजित करेगा।
  • प्रत्येक पात्र दल/पार्टी इस तरह के कार्यक्रम में एक प्रतिनिधि को नामित कर सकता है।

महत्त्व:

  • महामारी-रोधी प्रबंधन तथा गैर-संपर्क आधारित अभियान के माध्यम से लोगों और पार्टी कार्यकर्त्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
  • बाह्य अथवा शारीरिक उपस्थिति वाले अभियानों पर खर्च को कम करने के क्रम में यह एक प्रयोगात्मक कदम के रूप में कार्य कर सकता है।

राजनीतिक दलों के प्रकार:

  • भारत निर्वाचन आयोग राजनीतिक दलों को "राष्ट्रीय दल", "राज्य स्तरीय दल" या "पंजीकृत (गैर-मान्यता प्राप्त) दल" के रूप में सूचीबद्ध करता है।
  • राष्ट्रीय या राज्य स्तरीय दल के रूप में सूचीबद्ध होने की शर्तों को निर्वाचन चिह्न (आरक्षण और आबंटन) आदेश, 1968 के तहत निर्दिष्ट किया गया है।

राष्ट्रीय राजनीतिक दल के रूप में मान्यता के लिये शर्तें:

  • किसी राजनीतिक दल को राष्ट्रीय दल के रूप में मान्यता तब दी जाएगी जब वह निम्नलिखित अहर्ताओं में से किसी एक को पूरा करता हो-
    • लोकसभा चुनावों में कुल लोकसभा सीटों की 2 प्रतिशत (11 सीट) सीटों पर जीत हासिल करता हो तथा ये सीटें कम-से-कम तीन अलग-अलग राज्यों से हों।
    • लोकसभा या राज्यों के विधानसभा चुनावों में 4 अलग-अलग राज्यों से कुल वैध मतों के 6 प्रतिशत मत प्राप्त करे तथा इसके अतिरिक्त 4 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज करे।
    • यदि कोई दल चार या इससे अधिक राज्यों में राज्य स्तरीय दल के रूप में मान्यता प्राप्त करे।

राज्य स्तरीय राजनीतिक दल के रूप में मान्यता के लिये शर्तें:

  • किसी राजनीतिक दल को राज्य स्तरीय दल के रूप में तब मान्यता दी जाएगी जब वह निम्नलिखित अहर्ताओं में से किसी एक को पूरा करता हो-
    • दल ने राज्य की विधानसभा के लिये हुए चुनावों में कुल सीटों का 3 प्रतिशत या 3 सीटें, जो भी अधिक हो, प्राप्त किया हो।
    • लोकसभा के आम चुनाव में दल ने राज्य के लिये निर्धारित प्रत्येक 25 लोकसभा सीटों में 1 सीट पर जीत दर्ज की हो।
    • राज्य में हुए लोकसभा या विधानसभा के चुनावों में दल ने कुल वैध मतों के 6 प्रतिशत मत प्राप्त किये हों तथा इसके अतिरिक्त उसने 1 लोकसभा सीट या 2 विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की हो।
    • राज्य में लोकसभा या विधानसभा के लिये हुए चुनावों में दल ने कुल वैध मतों के 8 प्रतिशत मत प्राप्त किये हों।

मान्यता की समाप्ति

  • किसी भी राजनीतिक दल के लिये राष्ट्रीय या राज्य स्तरीय दलों की श्रेणी में बने रहने हेतु यह आवश्यक है कि वह आगामी चुनावों में भी उपरोक्त अहर्ताओं को पूरा करे अन्यथा उससे वह दर्जा वापस ले लिया जाएगा।

स्रोत: द हिंदू