कैंसर के मामलों में हुई 15.7% की वृद्धि (15.7% increase in cancer cases) | 15 Nov 2018

चर्चा में क्यों?

हाल ही में वैश्विक कैंसर वेधशाला (ग्लोबोकन) [Global Cancer Observatory (Globocan)], 2018 द्वारा जारी भारत-विशिष्ट डेटा से प्राप्त जानकारी के अनुसार, वर्ष 2012 से 2018 तक देश में कैंसर के मामलों में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है, जो कि चिंता का विषय है। इस डेटा के अनुसार, वर्ष 2018 में तकरीबन 11.57 लाख कैंसर के मामलें दर्ज किये गए, जो कि वर्ष 2012 में दर्ज 10 लाख मामलों की तुलना में 15.7 प्रतिशत अधिक हैं।

ग्लोबोकन क्या है?

  • ग्लोबोकन (Globocan), कैंसर नियंत्रण एवं अनुसंधान (cancer control and research) के संबंध में कैंसर के वैश्विक आँकड़े प्रस्तुत करने वाला एक संवादात्मक (interactive) वेब-आधारित मंच है।
  • IARC (International Agency for Research on Cancer) द्वारा हाल ही में प्रकाशित ग्लोबोकन, 2018 डेटाबेस में विश्व के 185 देशों में 36 प्रकार के कैंसर के कारण होने वाली घटनाओं और मृत्यु दरों का अनुमान व्यक्त किया गया है।

प्रमुख बिंदु

  • वर्ष 2018 में कैंसर के कारण होने वाली मौतों की संख्या में 12.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि 2012 में इसके कारण सात लाख लोगों की मौत हुई थी।
  • रिपोर्ट के अनुसार, सबसे अधिक चिंता का विषय यह है कि होंठ और मुख गुहा कैंसर (oral cavity cancer) की संख्या में सबसे अधिक वृद्धि देखने को मिली है, इसकी संख्या में वर्ष 2012 से अब तक 114.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
  • स्तन कैंसर के मामलों में भी 10.7 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। वर्ष 2012 के 1.45 लाख मामलों की तुलना में वर्ष 2018 में 1.62 लाख स्तन कैंसर के मामले सामने आए।
  • इन सबके बीच एक अच्छी बात यह है कि गर्भाशय ग्रीवा कैंसर (cervical cancer) के मामलों की संख्या में 21.2 प्रतिशत की गिरावट आई है। जहाँ वर्ष 2012 में 1.23 लाख गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के मामले दर्ज किये गए थे, वहीं वर्ष 2018 में मात्र 96,922 मामले ही सामने आए।

धुँआ रहित तम्बाकू है चुनौती

  • इस समस्त परिदृश्य में धुँआ रहित तम्बाकू (smokeless tobacco-SLT) एक बड़ी चुनौती है। यह पहली बार है कि किसी पत्रिका द्वारा धुँआ रहित तम्बाकू पर एक विशेष रिपोर्ट प्रकाशित की गई है। रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान में देश के 13 राज्यों में यह समस्या चिंता का कारण बनी हुई है।
  • वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट के रूप में विश्व के 140 देशों के तकरीबन 360 मिलियन लोगों द्वारा धुँआ रहित रहित तंबाकू का उपभोग किया जा रहा है। इतना ही नहीं वैश्विक स्तर पर 6,50,000 से अधिक मौतों का कारण यही SLT है।
  • लगभग 200 मिलियन भारतीय SLT का उपभोग करते हैं, जिसके कारण हर साल करीब 3,50,000 लोगों की मौत होती है।