अमेरिकी राष्ट्रपति पर महाभियोग | 27 Sep 2019

चर्चा में क्यों?

यूक्रेन के राष्ट्रपति से बातचीत के मसले पर अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की स्पीकर नैन्सी पेलोसी ने संसद में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ महाभियोग की जाँच शुरू करने की घोषणा की।

अमेरिका के संदर्भ में महाभियोग:

  • अर्थ: महाभियोग एक ऐसा प्रावधान है जो काँग्रेस (अमेरिकी संसद) को अमेरिकी राष्ट्रपति को हटाने की अनुमति देता है।
  • अमेरिकी संविधान के तहत प्रतिनिधि सभा (निचला सदन) के पास महाभियोग के अंतर्गत अमेरिकी राष्ट्रपति पर आरोप लगाने की शक्ति प्राप्त है।
  • प्रतिनिधि सभा में बहुमत के बाद महाभियोग चलाने की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है। सदन की न्यायिक समिति आमतौर पर महाभियोग की कार्यवाही के लिये ज़िम्मेदार होती है।
  • सीनेट को महाभियोग के तहत राष्ट्रपति के दोषी पाए जाने पर उसे पद से हटाने की शक्ति प्राप्त है। जब राष्ट्रपति पर मुकदमा चलाया जाता है, तो सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश द्वारा कार्यवाही की अध्यक्षता की जाती है।

महाभियोग लगाने का आधार:

  • महाभियोग तब लगाया जाता है जब ‘देशद्रोह, रिश्वत, दुराचार या अन्य किसी बड़े अपराध’ में शामिल होने की आशंका जताई गयी हो।
  • हालाँकि अमेरिकी संविधान में ‘दुराचार’ तथा ‘उच्च अपराध’ को स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं किया गया है।
  • अनिवार्य रूप से इसका तात्पर्य उच्चस्तरीय सार्वजनिक अधिकारी द्वारा सत्ता के दुरुपयोग करने से है, जिसमें यह ज़रूरी नहीं है कि सामान्य आपराधिक क़ानून का उल्लंघन हो।
  • ऐतिहासिक रूप से अमेरिका ने इसमें भ्रष्टाचार और अन्य दुर्व्यवहारों को शामिल किया है; जिसमें न्यायिक कार्यवाही को बाधित करने का प्रयास करना भी शामिल है।

पृष्ठभूमि:

  • अभी तक किसी भी अमेरिकी राष्ट्रपति को महाभियोग की प्रक्रिया के तहत नहीं हटाया गया है।
  • हालाँकि अब तक केवल दो राष्ट्रपतियों को महाभियोग का सामना करना पड़ा। 1968 में राष्ट्रपति एंड्रयू जॉनसन तथा 1998 में राष्ट्रपति बिल क्लिंटन पर महाभियोग चलाया गया लेकिन सीनेट ने उन्हें दोषी नहीं ठहराया।
  • वहीं राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन (1974) ने हटाए जाने से पहले इस्तीफा दे दिया।

Stage by Stage

प्रक्रिया:

  • न्यायिक समिति द्वारा जाँच:
    • यदि राष्ट्रपति पर महाभियोग लगाया जाता है तो सर्वप्रथम संसद की न्यायिक समिति इन आरोपों की जाँच करती है। यदि आरोप सत्य साबित होते हैं तो इस मामले को पूरे सदन के समक्ष पेश किया जाता है।
  • प्रतिनिधि सभा में वोटिंग:
    • उपर्युक्त आरोपों पर प्रतिनिधि सभा में वोटिंग होती है। यदि वोटिंग महाभियोग के पक्ष में होती है तो कार्यवाही सीनेट को सौंप दी जाती है।
  • सीनेट ट्रायल तथा वोटिंग:
    • सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में सीनेट न्यायालय के समान कार्य करती है।
    • सुनवाई के लिये सीनेटर्स के बीच से कुछ सांसदों को चुना जाता है, जो कि प्रबंधक के रूप में जाने जाते हैं। ये प्रबंधक अभियोजकों की भूमिका निभाते हैं।
    • इस ट्रायल के दौरान राष्ट्रपति का वकील अपना पक्ष रखता हैं। सुनवाई पूरी होने के बाद सीनेट दोषसिद्धि का परीक्षण करती है तथा वोट देती है।
    • यदि सीनेट में उपस्थित कम-से-कम दो-तिहाई सदस्य राष्ट्रपति को दोषी पाते हैं, तो राष्ट्रपति को हटा दिया जाता है।

स्रोत : द इंडियन एक्सप्रेस