भारतीय दिवाला एवं दिवालियापन बोर्ड (नियम जारी करने के लिये प्रक्रिया) नियमन, 2018 | 24 Oct 2018

संदर्भ

दिवाला एवं दिवालियापन संहिता, 2016 एक आधुनिक आर्थिक कानून है। संहिता की धारा 196 (1) के तहत भारतीय दिवाला एवं दिवालियापन बोर्ड (IBBI) के लिये यह आवश्‍यक है कि वह नियमन की अधिसूचना से पहले नियम-कायदे जारी करने हेतु आवश्‍यक व्‍यवस्‍था को निर्दिष्‍ट करे, जिसमें सार्वजनिक परामर्श प्रक्रियाओं का संचालन करना भी शामिल है। इस अवधारणा और वैधानिक आवश्‍यकता के अनुरूप IBBI ने भारतीय दिवाला एवं दिवालियापन बोर्ड (नियम जारी करने के लिये प्रक्रिया) नियमन, 2018 अधिसूचित किया है, ताकि नियम-कायदे बनाने और आम जनता से सुझाव मांगने की प्रक्रिया का संचालन किया जा सके। उल्लेखनीय है कि जारी किया गया नियमन 22 अक्तूबर, 2018 से ही प्रभावी हो चुका है।

भारतीय दिवाला एवं दिवालियापन बोर्ड को नियमन का अधिकार

  • संहिता की धारा 240 के तहत भारतीय दिवाला एवं दिवालियापन बोर्ड (IBBI) को नियमन का अधिकार दिया गया है। हालाँकि, इसके तहत इन शर्तों का पालन करना होगा :

♦ संहिता के प्रावधानों का कार्यान्‍वयन करना होगा।
♦ नियमन संहिता और इसके अंतर्गत बनाए गए नियमों के अनुरूप होगा।
♦ नियमन को सरकारी राजपत्र में प्रकाशित अधिसूचना के ज़रिये बनाना होगा।
♦ इन्‍हें जल्‍द-से-जल्‍द संसद के प्रत्येक सदन में 30 दिनों के लिये प्रस्‍तुत करना होगा।

  • संहिता के तहत विभिन्‍न प्रक्रियाओं के लिये अधीनस्‍थ कानूनों के महत्त्व को ध्‍यान में रखते हुए यह आवश्‍यक है कि IBBI में एक सुव्‍यवस्थित एवं सुदृढ़ व्‍यवस्‍था हो जिसमें नियम-कायदे बनाने के लिये विभिन्‍न हितधारकों के साथ कारगर संवाद करना भी शामिल है।

नियम जारी करने की प्रक्रिया संबंधी प्रावधान

  • नियम जारी करने की प्रक्रिया में यह प्रावधान किया गया है कि किसी भी नियमन को बनाने अथवा उसमें संशोधन करने के लिये IBBI को संचालन बोर्ड की मंज़ूरी से अपनी वेबसाइट पर निम्‍नलिखित को अपलोड करके उन पर आम जनता से सुझाव मांगने होंगे :

♦ प्रस्‍तावित नियम-कायदों के मसौदे पर।
♦ संहिता के उस विशिष्‍ट प्रावधान पर जिसके तहत बोर्ड ने नियम-कायदे प्रस्‍तावित किये हैं।
♦ उस समस्‍या के बारे में जिसे प्रस्‍तावित नियमन के तहत सुलझाया जाना है।
♦ प्रस्‍तावित नियम-कायदों के आर्थिक विश्‍लेषण पर।
♦ अंतर्राष्‍ट्रीय मानक तय करने वाली एजेंसियों द्वारा अनुशंसित मानकों से जुड़े वक्‍तव्‍य के साथ-साथ प्रस्‍तावित नियमन के लिये प्रासंगिक मानी जाने वाली अंतर्राष्‍ट्रीय सर्वोत्‍तम प्रथाओं के बारे में।
♦ प्रस्‍तावित नियम-कायदों के कार्यान्‍वयन के तरीके के बारे में।
♦ आम जनता से सुझाव मांगने के तौर-तरीकों, प्रक्रिया तथा तय समय-सीमा के बारे में।

नियमन की प्रक्रिया

  • IBBI आम जनता से सुझाव आमंत्रित करने के लिये उन्‍हें कम-से-कम 21 दिन का समय देगा।
  • यह आम जनता से प्राप्‍त सुझावों पर गौर करेगा और इन सुझावों पर अपनी सामान्‍य प्रक्रिया के साथ उन्‍हें अपनी वेबसाइट पर अपलोड करेगा।
  • नियम-कायदों की अधिसूचना जारी करने की तिथि से पहले ही यह काम आईबीबीआई को पूरा करना होगा। 
  • यदि संचालन बोर्ड प्रस्‍तावित नियमन के विपरीत रूप में इन्‍हें मंज़ूरी देने का निर्णय लेता है, तो उसे नियमन से जुड़ी पूरी प्रक्रिया दोहरानी होगी।
  • संचालन बोर्ड से मंज़ूरी मिलने के बाद इs नियमन को तुरंत अधिसूचित करना होगा और आमतौर पर अधिसूचना जारी होने की तिथि के 30 दिनों के बाद उन्‍हें लागू करना होगा, बशर्ते इनके कार्यान्‍वयन के लिये अलग से कोई तिथि निर्दिष्‍ट न की गई हो।
  • हालाँकि, यदि IBBI को ऐसा प्रतीत होता है कि कुछ नियम-कायदों को बनाना ज़रूरी है अथवा मौजूदा नियमन में संशोधन अत्‍यंत आवश्‍यक है, तो वह सलाह-मशविरा की उपर्युक्‍त प्रक्रिया को अपनाए बगैर ही संचालन बोर्ड की मंज़ूरी से संबंधित नियम-कायदे बना सकता है अथवा मौजूदा नियमन में संशोधन कर सकता है।