समुद्र जल स्तर में वृद्धि: तटीय क्षेत्रों के लिये खतरा | 03 Aug 2020

मेन्स के लिये

समुद्र जल स्तर में वृद्धि का कारण, इसके प्रभाव और बचाव के उपाय

चर्चा में क्यों?

हाल ही में प्रकाशित एक अध्ययन में शोधकर्त्ताओं ने अनुमान लगाया है कि वर्ष 2100 तक वैश्विक स्तर पर तटीय बाढ़ से प्रभावित संभावित लोगों की संख्या 128-171 मिलियन से बढ़कर 176-287 मिलियन हो सकती है।

प्रमुख बिंदु

  • अध्ययन के प्रमुख निष्कर्ष 
    • अध्ययन के अनुसार, वर्ष 2100 तक वैश्विक स्तर पर तटीय बाढ़ की घटनाओं में काफी बढ़ोतरी देखने को मिलेगी।
    • अनुमान के अनुसार, वर्ष 2100 तक तटीय बाढ़ के कारण प्रभावित होने वाली कुल वैश्विक संपत्ति 6,000- 9,000 बिलियन डॉलर यानी वैश्विक GDP का 12-20 प्रतिशत तक हो  सकती है।
    • इस अध्ययन में शोधकर्त्ताओं ने उल्लेख किया है कि समुद्र-स्तर में वृद्धि (Sea-Level Rise-SLR) जलवायु परिवर्तन का एक स्वीकार्य परिणाम है।
    • आकलन के मुताबिक, विश्व का 0.5-0.7 प्रतिशत भू-भाग वर्ष 2100 तक तटीय बाढ़ के खतरे में होगा और यदि तटीय बचाव संबंधी कोई विशिष्ट उपाय नहीं अपनाए जाते हैं तो  तटीय बाढ़ के कारण विश्व की 2.5-4.1 प्रतिशत आबादी प्रभावित हो सकती है।
  • समुद्र-स्तर में वृद्धि (SLR) का अर्थ
    • समुद्र स्तर में वृद्धि (SLR) का अभिप्राय वैश्विक तापमान में वृद्धि के प्रभावों के परिणामस्वरूप महासागरों के जल स्तर में होने वाले वृद्धि से है।
      • जीवाश्म ईंधन को जलाना वैश्विक तापमान में वृद्धि के प्रमुख कारणों में से एक है क्योंकि इसके कारण कार्बन डाइऑक्साइड (Carbon Dioxide) और अन्य गैसें वायुमंडल में उत्सर्जित होती हैं।
    • हिमनद (Glaciers) जलवायु परिवर्तन और वैश्विक तापमान में वृद्धि से काफी अधिक प्रभावित होते हैं और वैश्विक तापमान में लगातार वृद्धि के कारण ये काफी तेज़ गति से पिघल रहे हैं, जिससे इनका जल महासागरों में प्रवेश करता है और समुद्र जल के स्तर में वृद्धि करता है।
    • क्षेत्रीय SLR: चूँकि समुद्र स्तर में होने वाली वृद्धि दुनिया भर में एक समान नहीं है, इसलिये वैश्विक स्तर पर समुद्र के जल स्तर में होने वाली वृद्धि को क्षेत्रीय स्तर पर होने वाली वृद्धि से अलग रखना मापा जाता है।
      • गौरतलब है कि क्षेत्रीय SLR, वैश्विक SLR की तुलना में कम अथवा ज़्यादा हो सकते हैं।
      • उदाहरण के लिये स्कॉटलैंड, आइसलैंड और अलास्का जैसे स्थानों में समुद्र स्तर में होने वाली वृद्धि, पूर्वी अमेरिका में वृद्धि स्तर में होने वाली वृद्धि से काफी कम है।
  • समुद्र स्तर में वृद्धि का प्रभाव
    • समुद्र जल के स्तर में वृद्धि तटीय क्षेत्र में रहने वाले लोगों के लिये काफी गंभीर खतरा पैदा करती है।
    • आवास में कमी, जैव विविधता की हानि और अंतर्देशीय प्रवास आदि।
    • बीते वर्ष सितंबर माह में, इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो (Joko Widodo) ने देश की राजधानी को जकार्ता (Jakarta) से पूर्वी कालीमंतन प्रांत में स्थित बोर्नियो द्वीप के पूर्वी छोर पर स्थानांतरित करने की घोषणा की थी।
      • राजधानी को हस्तांतरित करने का मुख्य कारण देश की वर्तमान राजधानी जकार्ता पर बोझ को कम करना था, जो कि पहले से ही खराब गुणवत्ता वाली हवा और यातायात के बोझ जैसी समस्याओं का सामना कर रही है, साथ ही इंडोनेशिया की वर्तमान राजधानी तटीय बाढ़ के प्रति भी काफी संवेदनशील है।
      • जलवायु परिवर्तन और जनसंख्या के भारी बोझ के कारण जकार्ता दुनिया के सबसे तेज़ी से डूबने वाले शहरों में से एक बन गया है और अनुमान के अनुसार, यह प्रति वर्ष लगभग 25 सेंटीमीटर डूब रहा है।
    • यही स्थिति भारत की वित्तीय राजधानी मुंबई के साथ भी है, आकलन के अनुसार, वर्ष 2050 तक जलवायु परिवर्तन और समुद्र स्तर में वृद्धि के कारण मुंबई के लगभग सभी क्षेत्र पूर्णतः जलप्लावित हो जाएंगे, जिससे शहरों के लाखों लोग प्रभावित होंगे।
    • जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (IPCC) का अनुमान भी बताता है कि आने वाले वर्षों में समुद्र जल स्तर में लगातार वृद्धि दर्ज की जाएगी।
  • समुद्र जल स्तर में वृद्धि से बचाव के तरीके
    • बीते वर्ष अमेरिकी मौसम विज्ञान सोसाइटी द्वारा प्रकाशन हेतु स्वीकार किये गए एक शोध पेपर में शोधकर्त्ताओं ने जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप समुद्र जल के बढ़ते स्तर से 25 मिलियन लोगों और 15 उत्तरी यूरोपीय देशों की रक्षा करने के लिये एक उपाय प्रस्तावित किया था।
    • इसके तहत उत्तरी यूरोपीय देशों की रक्षा करने के लिये 637 किलोमीटर की लंबाई वाले दो बांधों का निर्णय शामिल था, ताकि समुद्र जल के स्तर में वृद्धि के खतरे को कम किया जा सके। इस तरह के विकल्पों पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिये।
    • इसके अलावा समुद्र जल स्तर में वृद्धि के खतरे को रोकने के लिये तटीय क्षेत्रों में बेहतर जलनिकास प्रणाली (Drainage Systems) स्थापित की जा सकती है और पहले से मौजूद प्रणालियों को अपग्रेड किया जा सकता है।
    • किंतु उक्त उपाय समुद्र जल में वृद्धि के मूल कारण यानी तापमान में वृद्धि को संबोधित नहीं करते हैं, इसलिये देशों को उपरोक्त उपायों के साथ-साथ दूसरे उपायों जैसे- ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने आदि पर भी ध्यान केंद्रित करना चाहिये।
      • आवश्यक है कि हम जल्द-से-जल्द जीवाश्म ईंधन के स्थान पर किसी स्वच्छ विकल्प की ओर स्थानांतरित करने का प्रयास करें।
    • तीसरा और सबसे महत्त्वपूर्ण समाधान है, वायुमंडल में मौजूद ग्रीनहाउस गैस को कम करना। गौरतलब है कि अधिकांश वैश्विक मंचों पर इस संदर्भ में चर्चा ही नहीं की जाती है।
      • विशेषज्ञों के अनुसार, इस कार्य हेतु अधिक-से-अधिक पेड़ लगाना और वनों की कटाई को रोकना काफी महत्त्वपूर्ण साबित हो सकता है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस