मानसून अर्थव्यवस्था को कैसे प्रभावित करता है? | 12 Jun 2017

संदर्भ
इस साल की शुरुआत में, भारत मौसम विभाग (आईएमडी) ने भविष्यवाणी की थी कि देश में 2017 में सामान्य मानसूनी वर्षा होने की संभावना है। राज्यों में अवस्थित मौसम विभागों ने भी कहा है कि वार्षिक मानसून वर्षा लंबी अवधि की औसत (एलपीए) से 98% रहने की उम्मीद है। अत: इस वर्ष उच्च कृषि उत्पादन और आर्थिक विकास की संभावना है।

भारत के लिये मानसूनी वर्षा क्यों महत्त्वपूर्ण है?

  • मानसून भारतीय खेती की लाइफलाइन है, क्योंकि इस पर 2 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था निर्भर करती है तथा कम से कम 50 प्रतिशत कृषि को पानी वर्षा द्वारा ही प्राप्त होता है।
  • लगभग 800 मिलियन लोग गांवों में निवास करते हैं और वे कृषि पर ही निर्भर हैं, जो कि भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 15% है। अगर मानसून असफल रहता है तो  देश के विकास और अर्थव्यवस्था पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा।
  • सामान्य से ऊपर मानसून रहने पर कृषि उत्पादन और किसानों की आय दोनों में बढ़ोतरी होती है, जिससे ग्रामीण बाज़ारों में उत्पादों की मांग को बढ़ावा मिलता है।

हाल के रुझान

  • भारत में 2016 में सामान्य मानसून रहा, लेकिन 2014 और 2015 में खराब मानसून के कारण देश का समग्र विकास प्रभावित रहा।
  • सामान्य मानसून के द्वारा वस्तुओं की मांग में बढ़ोतरी होगी, जो विमुद्रीकरण के कारण बुरी तरह प्रभावित हुईं है।

खराब मानसून के मामले में क्या होता है?

  • मानसून का देश के कृषि जीडीपी पर सीधा प्रभाव पड़ता है।
  • खराब मानसून आपूर्ति संबंधी समस्या पैदा करेगा और खाद्य मुद्रास्फीति को भी बढ़ा देगा।
  • ख़राब मानसून सूखे जैसी स्थिति पैदा कर सकता है, जिससे ग्रामीण घरेलू आय, खपत और आर्थिक विकास प्रभावित होंगे।
  • एक खराब मानसून न केवल तेज़ी से बढ़ते उपभोक्ता वस्तुओं की मांग को कमज़ोर करता है, बल्कि आवश्यक खाद्य स्टेपल्स के आयात को भी बढ़ावा देता है और सरकार को कृषि ऋण छूट जैसे उपाय करने के लिये भी मज़बूर करता है, जिससे सरकार पर वित्त का दबाव बढ़ जाता है।
  • एक सामान्य मानसून कृषि उत्पादन को बढ़ता है, जो ग्रामीण आय को बढ़ता है और उपभोक्ता वस्तुओं पर खर्च को भी बढ़ा देता है। 
  • अच्छे मानसून का जल विद्युत परियोजनाओं पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

वर्षा वितरण के पूर्वानुमान

  • आई.एम.डी. ने इस साल मानसूनी वर्षा का अनुमान लगाया है कि उत्तर-पश्चिम भारत में एल.पी.ए. का 96% और मध्य भारत में एल.पी.ए. का 100% वर्षा होगी।
  • दक्षिणी भारत में एल.पी.ए. की 99% और उत्तर-पूर्व भारत में एल.पी.ए. की 96% वर्षा  होगी।