होर्मुज़ पीस इनिशिएटिव | 16 Jan 2020

प्रीलिम्स के लिये :

होर्मुज़ पीस इनिशिएटिव, होर्मुज़ जलडमरूमध्य

मेन्स के लिये :

होर्मुज़ पीस इनिशिएटिव का भारत के परिप्रेक्ष्य में महत्त्व

चर्चा में क्यों ?

हाल ही में अमेरिका-ईरान के बीच उत्पन्न तनाव के मद्देनज़र तेहरान में आयोजित होर्मुज़ पीस इनिशिएटिव (Hormuz Peace Initiative) में भारत द्वारा भागीदारी दर्ज की गई।

मुख्य बिंदु:

  • अमेरिका-ईरान तनाव को देखते हुए दुनिया की सबसे व्यस्त और रणनीतिक शिपिंग लेन में से एक ‘स्ट्रेट ऑफ होर्मुज़’ (Strait of Hormuz) पर शांति व्यवस्था बनाये रखने के उद्देश्य से यह पहल की गई ।
  • होर्मुज़ पीस इनिशिएटिव की शुरुआत ईरान ने ओमान, चीन, भारत और अफगानिस्तान के साथ की थी।

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  • यह वार्ता भारत के लिये महत्त्वपूर्ण थी क्योंकि भारत अपनी तेल की आपूर्ति का दो-तिहाई हिस्सा और प्राकृतिक गैस की आधी आपूर्ति ‘स्ट्रेट ऑफ होर्मुज़’ के माध्यम से ही पूरी करता है।
  • कुल वैश्विक तेल व्यापार में से 18 मिलियन बैरल तेल हर दिन ‘स्ट्रेट ऑफ होर्मुज़’ से होकर ले जाया जाता है।
  • दुनिया का एक- तिहाई एलपीजी (Liquefied petroleum gas-LPG) व्यापार भी इस जलडमरूमध्य के माध्यम से होता है।
  • भागीदार देशों ने तेहरान द्वारा प्रस्तावित होर्मुज़ पीस एंडेवर (HOPE) के तहत क्षेत्रीय सहयोग योजनाओं का भी मूल्यांकन किया ।
  • इसकी पहल ईरानी राष्ट्रपति हसन रूहानी ने सितंबर 2019 में संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में भाषण देते हुए की थी जिसमे सभी क्षेत्रीय देशों को इसमें भाग लेने के लिये आमंत्रित किया गया ।

होर्मुज़ जलडमरूमध्य:

Hormuz

  • होर्मुज़ जलडमरूमध्य (Hormuz strait) दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण चोक पॉइंट (Choke Points) में से एक है।
  • यह जलडमरूमध्य फारस की खाड़ी और ओमान की खाड़ी को जोड़ता है।
  • इसके उत्तरी तट पर ईरान है और दक्षिण में संयुक्त अरब अमीरात और ओमान हैं।
  • इस जलडमरूमध्य की लंबाई लगभग 90 नॉटिकल मील (167 किमी) है और चौड़ाई लगभग 21 नॉटिकल मील से 52 नॉटिकल मील के बीच है।

स्रोत : द इकोनोमिक टाइम्स