शहद में मिलावट | 04 Dec 2020

चर्चा में क्यों?

विज्ञान और पर्यावरण केंद्र (Centre for Science and Environment) द्वारा की गई एक जाँच से भारत में कई प्रमुख ब्रांडों द्वारा बेचे जाने वाले शहद में चीनी के सिरप की मिलावट के बारे में पता चला है।

  • CSE एक गैर-लाभकारी संगठन है, जो कि मुख्यतः सार्वजनिक हित के विषयों पर अनुसंधान करता है।

प्रमुख बिंदु

जाँच- परिणाम:

  • विज्ञान और पर्यावरण केंद्र (CSE) द्वारा किये गए परमाणु चुंबकीय अनुनाद (Nuclear Magnetic Resonance) परीक्षण में 13 में से 10 ब्रांडों के नमूने फेल हो गए।
    • अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत परमाणु चुंबकीय अनुनाद (NMR) परीक्षण में डाबर, पतंजलि, बैद्यनाथ, हितकारी और एपिस हिमालय जैसे भारत के ब्रांडों के शहद के नमूने फेल हो गए।
  • परीक्षण के मुताबिक, शहद का कारोबार करने वाली भारतीय कंपनियाँ शहद में मिलावट के लिये चीन से संश्लेषित चीनी सिरप (Sugar Syrups) का आयात कर रही हैं।
    • CSE ने अपनी जाँच में चीन के ऐसे कई वेब पोर्टल्स का पता लगाया जो फलों के रस से निर्मित ऐसे चीनी सिरप का प्रचार कर रहे थे, जिसे मिलावट के परीक्षण के दौरान पकड़ना काफी मुश्किल होता है।
    • चीन की कंपनियों ने CSE को सूचित किया कि भले ही शहद में 50 से 80 प्रतिशत तक मिलावट क्यों न की जाए वह शहद फिर भी भारतीय नियमों के तहत निर्धारित मानकों पर खरा उतरेगा और परीक्षण में सफल हो जाएगा।
      • मौजूदा भारतीय नियमों के मुताबिक, शहद के परीक्षण के दौरान यह जाँच की जाती है कि शहद में C4 चीनी (गन्ने से प्राप्त चीनी) या C3 चीनी (चावल से प्राप्त चीनी) के साथ मिलावट की गई है अथवा नहीं।
  • ज्ञात हो कि इस प्रकार की मिलावट ने उन मधुमक्खी पालकों की आजीविका को भी नष्ट कर दिया जो शुद्ध शहद बनाते हैं, क्योंकि चीनी-सिरप शहद प्रायः आधे मूल्य पर उपलब्ध हो जाता है।

प्रभाव:

  • रोगाणुरोधी और सूजनरोधी (Antimicrobial and Antiinflammatory) गुण के कारण लोगों द्वारा शहद का अधिक सेवन किया जाता है।
  • इस जाँच के अनुसार, बाज़ार में बिकने वाले अधिकांश शहद में चीनी की मिलावट की जाती है। इसलिये शहद के बजाय लोग अधिक चीनी खा रहे हैं, जो कोविड-19 के जोखिम के साथ ही मोटापे के को भी बढ़ाएगा।

परमाणु चुंबकीय अनुनाद

  • यह एक ऐसा परीक्षण है जो आणविक स्तर पर किसी उत्पाद की संरचना का पता लगा सकता है।
  • यह  रसायन विज्ञान की एक विश्लेषणात्मक तकनीक है जिसका उपयोग नमूने की सामग्री और शुद्धता के साथ-साथ इसकी आणविक संरचना को निर्धारित करने तथा गुणवत्ता नियंत्रण और अनुसंधान में किया जाता है।
  • भारतीय कानून के तहत ऐसे शहद के लिये NMR परीक्षण आवश्यक नहीं है जिसका विपणन स्थानीय स्तर पर किया जाता है, लेकिन निर्यात के मामले में  यह परीक्षण आवश्यक है।
  • हाल के NMR परीक्षण योगज (Additive) का पता लगाने में सक्षम होने के बावजूद मिलावट की मात्रा का पता लगाने में असफल रहे।

आगे की राह

  • सुदृण मानकों, परीक्षण और ट्रेसबिलिटी के माध्यम से भारत में इसके प्रवर्तन को मज़बूत करने की आवश्यकता है।
  • सरकार को उन्नत तकनीकों का उपयोग कर नमूनों का परीक्षण करवाना चाहिये और इस जानकारी को सार्वजनिक करना चाहिये ताकि उपभोक्ता जागरूक हों और उनके स्वास्थ्य को नुकसान न हो।
  • चीन से शुगर सिरप और शहद का आयात बंद कर देना चाहिये तथा अन्य देशों (सिरप लॉन्ड्रिंग) के माध्यम से भी इसके आयात की अनुमति नहीं दी जानी चाहिये।
  • आवश्यक है कि कंपनियों द्वारा शहद के पारंपरिक स्रोतों जैसे- मधुमक्खी पालन आदि के माध्यम से शहद की प्राप्ति पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिये, जिससे मधुमक्खी पालकों को भी लाभ प्राप्त होगा और इस क्षेत्र को एक नया स्वरूप दिया जा सकेगा।

स्रोत: द हिंदू