यमुना में अमोनिया का उच्च स्तर | 31 Jul 2020

प्रीलिम्स के लिये:

जैव रासायनिक ऑक्सीजन माँग, यमुना एवं इसकी सहायक नदियाँ

मेन्स के लिये:

जल में बढ़ते अमोनिया स्तर का मानव स्वास्थ एवं जलीय जीवों पर प्रभाव एवं इसे नियंत्रित करने हेतु प्रयास

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, दिल्ली में यमुना नदी के पानी में अमोनिया के उच्च स्तर (लगभग 3 पार्ट पर मिलियन) का पता चला है जिसके कारण दिल्ली में पानी की आपूर्ति बाधित हुई है। भारतीय मानक ब्यूरो (Bureau of Indian Standards- BIS) केअनुसार, पीने के पानी में अमोनिया की स्वीकार्य अधिकतम सीमा 0.5 पार्ट पर मिलियन (Parts Per Million-ppm) है।

प्रमुख बिंदु:

  • अमोनिया:

    • इसका रासायनिक सूत्र NH3 है।
    • यह एक रंगहीन गैस है जिसका उपयोग उर्वरक, प्लास्टिक, सिंथेटिक फाइबर, रंजक एवं अन्य उत्पादों के उत्पादन में एक औद्योगिक रसायन के रूप में किया जाता है।
    • इसका निर्माण पर्यावरण में जैविक अपशिष्ट पदार्थ के टूटने से स्वाभाविक रूप से होता है तथा ज़मीन और सतह के जल स्रोतों में यह औद्योगिक अपशिष्टों, सीवेज द्वारा संदूषण या कृषि अपवाह के माध्यम से रिसकर अपना मार्ग स्वयं बना लेता है।
  • अमोनिया के उच्च स्तर का प्रभाव:

    • अमोनिया पानी में ऑक्सीजन की मात्रा को कम कर देता है।
    • यह नाइट्रोजन के ऑक्सीकरण रूप को परिवर्तित कर देता है जिससे ‘जैव रासायनिक ऑक्सीजन माँग’ ( Biochemical Oxygen Demand- BOD) बढ़ जाती है।
    • अगर जल में अमोनिया की मात्रा 1 ppm से अधिक है तो यह जल मछलियों के लिये विषाक्त है।
    • मनुष्यों द्वारा 1 ppm या उससे ऊपर के अमोनिया स्तर वाले जल के दीर्घकालिक अंतर्ग्रहण से आंतरिक अंगों को नुकसान हो सकता है।
  • उपचार:

    • मीठे पानी का प्रदूषित अमोनिया पानी के साथ मिश्रण।
    • क्लोरीनीकरण।
    • क्लोरीनीकरण पानी में सोडियम हाइपोक्लोराइट जैसे क्लोरीन या क्लोरीन यौगिकों को जोड़ने की प्रक्रिया है।
    • इस विधि का उपयोग नल के पानी में कुछ बैक्टीरिया एवं अन्य रोगाणुओं को मारने के लिये किया जाता है हालांकि क्लोरीन अत्यधिक विषाक्त है।
  • दीर्घकलिक उपचार:

    • हानिकारक कचरे को नदी में फेंकने के खिलाफ के खिलाफ जारी दिशा-निर्देशों का सख्ती से कार्यान्वयन करना।
    • यह सुनिश्चित करना कि अनुपचारित सीवेज/वाहित मल पानी में प्रवेश न करे।
    • जल के एक स्थायी न्यूनतम प्रवाह को बनाए रखना जिसे पारिस्थितिक प्रवाह कहा जाता है।
    • पारिस्थितिक प्रवाह पानी की वह न्यूनतम मात्रा है जो हर समय नदी में नदी के मुहाने पर स्थित पारिस्थितिकी तंत्र, मानव आजीविका तथा स्वतः नियमित को बनाए रखने के लिये प्रवाहित होनी चाहिये।

यमुना

  • यह गंगा नदी की एक प्रमुख सहायक नदी है जो उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में निम्न हिमालय के मसूरी रेंज में बंदरपूँछ चोटियों के पास यमुनोत्री ग्लेशियर से निकलती है।
  • यह उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली में बहने के बाद उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में (संगम) में गंगा नदी से मिल जाती है।
  • युमना की कुल1376 किमी. है।
  • महत्वपूर्ण बांध: लखवार-व्यासी बांध (उत्तराखंड), ताजेवाला बैराज बांध (हरियाणा) आदि।
  • युमना की महत्वपूर्ण सहायक नदियाँ चंबल, सिंध, बेतवा और केन है।