भारी बोझ उठाना तथा रात की पारी में कार्य करना महिलाओं हेतु हानिकारक नुकसान | 09 Feb 2017

पृष्ठभूमि
हाल ही में हुए एक अध्ययन से यह बात निकलकर सामने आई है कि कोई भी ऐसा रोज़गार जिसमें अत्यधिक शारीरिक क्षमता की मांग की जाती है अथवा कार्यालयों में निर्धारित कार्य के सामान्य घंटों से अधिक कार्य करने से महिलाओं की गर्भधारण की क्षमता में कमी आती है| ‘जर्नल ऑक्यूपेशनल एंड एनवायरमेंटल मेडिसिन’ (Journal Occupational and Environmental Medicine) नामक एक जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में यह पाया गया कि कार्यस्थल पर अधिक भार उठाने तथा पाली के तरीकों में बदलाव करने जैसी गतिविधियाँ महिलाओं के अंडाणुओं की गुणवत्ता (Egg Quality) के क्षीण होने में प्रमुख भूमिका निभाती हैं| 

प्रमुख बिंदु

  • ध्यातव्य है कि शोधकर्ताओं (जिनमें हार्वर्ड टीएच चान स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के शोधकर्ता भी शामिल थे) द्वारा एक क्लिनिक में उपस्थित प्रजनन क्षमता वाली 473 महिलाओं में ‘डिम्बग्रंथि रिज़र्व’ (Overian Reserve) के सूचकों को दृष्टिगत किया गया|
  • शोधकर्ताओं द्वारा इन सूचकों को शेष बचे अंडाणुओं की संख्या तथा फली के उत्तेजक हार्मोन (follicle stimulating harmone) के रूप में स्पष्ट किया गया|
  • ध्यातव्य है कि ये सूचक न केवल महिलाओं की आयु में वृद्धि होने के साथ-साथ बढ़ते जाते हैं बल्कि ये उनकी घटती प्रजनन क्षमता को भी प्रदर्शित करते हैं|
  • शोधकर्ताओं द्वारा 2015 के दिसम्बर माह तक अपने ‘इन विट्रो निषेचन’ (in-vitro fertilization-IVF) के कम-से-कम एक चक्र को पूर्ण करने वाली तकरीबन 313 महिलाओं में होने वाली डिम्बग्रंथि प्रतिक्रिया को भी दृष्टिगत किया गया| उक्त परीक्षण के दौरान उन्होंने पाया कि इस समस्त प्रक्रिया में एक स्वस्थ्य भ्रूण के विकास में सक्षम परिपक्व अंडाणुओं की संख्या विद्यमान थी|
  • यहाँ यह स्पष्ट कर देना अत्यंत आवश्यक है कि इन महिलाओं की औसत आयु 35 वर्ष थी, जबकि उनके शरीर का औसत भार (Body mass index-BMI) 23 था|
  • ध्यातव्य है कि ये सभी क्रियाकलाप वर्ष 2004 से चल रहे उसी अध्ययन का एक भाग थे, जिसके अंतर्गत पर्यावरणीय तथा आहार कारकों की ओर विशेष ध्यान दिया जा रहा था| वस्तुतः ऐसा इसलिये किया जा रहा था क्योंकि ये सभी कारक प्रजनन क्षमता को प्रभावित करने में सक्षम होते हैं|
  • दरअसल, इस अध्ययन में महिलाओं से उनकी नौकरी के लिये आवश्यक शारीरिक थकावट संबंधी कार्य, काम के घंटे और तरीके, यहाँ तक कि खाली समय की शारीरिक और गतिहीन गतिविधियों के विषय में भी पूछताछ की गई|
  • इन प्रश्नों के परिणामस्वरूप यह पाया गया कि प्रत्येक दस में से सात महिलाओं द्वारा यह स्पष्ट किया गया कि उन्हें अपने कार्यस्थल पर प्रतिदिन भारी सामान उठाना पड़ता है जबकि मात्र एक-चौथाई (22 प्रतिशत) महिलाओं द्वारा ही यह कहा गया कि उनकी नौकरी में उन्हें मामूली शारीरिक कार्य ही करना पड़ता है|
  • अध्ययन के दौरान 473 महिलाओं की अल्ट्रासाउंड स्कैन रिपोर्ट में यह पाया गया कि इन महिलाओं में शेष अंडाणुओं की संख्या आठ से बढ़कर 17 हो गई थी, जबकि परिपक्व अंडाणुओं की औसत संख्या 313 से भी अधिक के स्तर पर पहुँच गई, जबकि इन-विट्रो निषेचन के एक चक्र में परिपक्व अंडाणुओं की संख्या 9 थी|


परिपक्व अंडाणुओं की निम्न संख्या

  • यहाँ ध्यान देने योग्य बात यह है कि शोधकर्ताओं द्वारा कार्य के भार के तरीकों से फली के उत्तेजक हार्मोन के स्तर में कोई अंतर नहीं पाया गया, परन्तु शारीरिक थकावट से युक्त कामकाजी महिलाओं के अंडाणु रिज़र्व में शारीरिक थकावट के कार्यों से रहित कामकाजी महिलाओं की तुलना में अवश्य कमी दर्ज़ की गई| 
  • शारीरिक थकावट के कार्यों से रहित कामकाजी महिलाओं के इन-विट्रो निषेचन की तुलना में शारीरिक थकावट के कार्यों वाली कामकाजी महिलाओं में अंडाणुओं का कुल रिज़र्व कम पाया गया| साथ ही, इन महिलाओं में परिपक्व अंडाणुओं की संख्या भी कम ही दर्ज़ की गई|
  • उल्लेखनीय है कि अंडाणुओं के रिज़र्व तथा परिपक्व अंडाणुओं की संख्या में क्रमशः 9% प्रतिशत एवं 14.5 % की कमी दर्ज़ की गई थी|
  • यह अंतर उन महिलाओं में अधिक पाया गया था जो शाम अथवा रात की पाली में कार्य करती थीं|
  • शाम अथवा रात की पाली में कार्य करने वाली महिलाओं में भी कार्य के सामान्य घंटों में कार्य करने वाली महिलाओं की तुलना में औसत रूप से परिपक्व अंडाणुओं की कम संख्या पाई गई|
  • हालाँकि, अधिक शारीरिक भार वाली तथा शारीरिक थकावट से युक्त नौकरी करने वाली महिलाओं में शारीरिक थकावट से रहित नौकरी करने वाली समान भार (BMI 25 या इससे अधिक) वाली महिलाओं की तुलना में कुछ परिपक्व अंडाणु पाए गए| यह और बात है कि उपरोक्त महिलाओं में यह विसंगति दुर्बल महिलाओं की तुलना में कहीं ज़्यादा पाई गई|