हेड ऑन जेनरेशन तकनीक | 30 Sep 2019

चर्चा में क्यों?

हाल ही में रेल मंत्रालय द्वारा घोषणा की गई है कि वह सभी मौजूदा लिंक हॉफमैन बुश (Linke Hofmann Busch- LHB) कोच को हेड ऑन ज़ेनरेशन (Head on Generation Technology- HOG) प्रौद्योगिकी के साथ अपग्रेड करेगा। यह एक ऐसा कदम है जिसके कारण ट्रेनें कम प्रदूषणकारी और अधिक लागत-कुशल हो जाएंगी।

प्रमुख बिंदु

  • रेल मंत्रालय के अनुसार, परियोजना का कार्यान्वयन पहले से ही चल रहा है और रेलवे ने 342 ट्रेनों को नई तकनीक से लैस करने के बाद वार्षिक रूप से ₹ 800 करोड़ की बचत की है।
  • पहले से अपग्रेड की गई 342 ट्रेनों में 13 राजधानी, 14 शताब्दी, 11 दुरंतो, 6 संपर्क क्रांति, 16 हमसफर और 282 अन्य मेल/ट्रेन हैं। इसके अतिरिक्त 284 ट्रेनें उन्नयन की प्रक्रिया में है, यह कार्य संबंधित रेलवे ज़ोन को सौंपा गया है।

लिंक हॉफमैन बुश ( Linke Hofmann Busch- LHB) कोच

  • वर्ष 1996 में रेलवे द्वारा जर्मन निर्माता लिंक हॉफमैन बुश से तकनीकी हस्तांतरण के बाद पश्चिम बंगाल के आसनसोल स्थित चितरंजन लोकोमोटिव वर्क्स (Chittaranjan Locomotive Works- CLW) में LHB कोच बनाए जाने लगे।
  • ये कोच मूल रूप से एंड ऑन जेनरेशन (End on Generation- EOG) सिद्धांत पर काम करने के लिए डिज़ाइन किये गए थे।
  • EOG प्रणाली के तहत ट्रेन के 'होटल लोड' ( एयर कंडीशनर, बल्ब, पंखे और पेंट्री कोच का विद्युत् भार आदि) को बिजली प्रदान की जाती है। इसमें दो बड़े डीज़ल ज़ेनरेटर सेट हैं जो पूरी ट्रेन में 50 हर्ट्ज पर 750 वोल्ट बिजली की आपूर्ति तीन चरणों में करते हैं।
  • प्रत्येक कोच में 60 केवीए (KVA) के ट्रांसफार्मर के माध्यम से बिजली की आपूर्ति की जाती है, इससे वोल्टेज को 110 वोल्ट तक रखा जाता है।
  • हेड ऑन जेनरेशन तकनीक पैनटोग्राफ (Pantograph) के माध्यम से ओवरहेड इलेक्ट्रिक लाइनों से बिजली खींचकर होटल लोड चलाता है।
  • ओवरहेड केबल से बिजली की आपूर्ति एकल-चरण में 750 वोल्ट है और 945 केवीए का ट्रांसफार्मर इसे तीन चरणों में 50 हर्ट्ज पर 750 वोल्ट के आउटपुट में परिवर्तित कर देता है, जिसके बाद यह ऊर्जा कोच तक पहुँचाई जाती है।
  • चूंकि हेड ऑन जेनरेशन तकनीक से लैस ट्रेनों को डीज़ल जेनरेटर से बिजली की बिल्कुल भी आवश्यकता नहीं होती है, इसलिये उनके पास दो नियमित जेनरेटर कारों के बजाय केवल एक आपातकालीन जनरेटर कार होती है।
  • इससे अतिरिक्त स्थान सृजित होगा, जिससे अब अधिक यात्रियों को समायोजित किया जा सकता है।
  • HOG तकनीक वायु और ध्वनि प्रदूषण से मुक्त है। यह प्रणाली कार्बन डाइआक्साइड (CO2) और नाइट्रोज़न आक्साइड (NOx) के वार्षिक उत्सर्जन में कमी लाएगी।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस