हेट स्पीच कानून का होगा विस्तार | 15 Dec 2017

संदर्भ 

विधि आयोग ने अपनी एक रिपोर्ट में हेट स्पीच या घृणा वाक् का दायरा बढ़ाए जाने की अनुशंसा की है।

क्या है हेट स्पीच?

विधि आयोग के अनुसार हेट स्पीच के अंतर्गत नस्ल, जाति, लिंग, यौन-उन्मुखता (Sexual Orientation) आदि के आधार पर किसी समूह के खिलाफ घृणा फैलाने के कृत्य शामिल हैं। भय या घृणा फैलाने वाले अथवा हिंसा को भड़काने वाले भाषण का लिखित रूप में या बोलकर अथवा संकेत द्वारा प्रेषित किया जाना ही हेट स्पीच है।

इससे जुड़ा नकारात्मक पहलू 

  • हेट स्पीच या घृणा वाक् भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के समक्ष चुनौती उत्पन्न करता है।
  • यह सांप्रदायिक वैमनस्य को बढ़ावा देता है और देश के धर्मनिरपेक्ष ढाँचे को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करता है। 
  • यह युवाओं में अतिवाद को बढ़ावा देता है। देखा गया है कि हेट स्पीच के प्रभाव में आकर कश्मीरी युवा देश विरोधी गुटों में शामिल हो जाते हैं।
  • हेट स्पीच से अल्पसंख्यकों के मन में असुरक्षा की भावना बढ़ती है और यह अल्पसंख्यकों तथा बहुसंख्यकों के बीच खाई को बढ़ाता है। 
  • देश में हुए गोधरा दंगे, बाबरी विध्वंस आदि कहीं न कहीं हेट-स्पीच से जुड़ी या उसके द्वारा भड़काई गई घटनाएँ हैं।

इसके संबंध में विधि आयोग की सिफारिशें

  • ‘घृणा फैलाने पर रोक’ के लिये भारतीय दंड संहिता में संशोधन कर नई धारा 153(C) जोड़ी जाए।

⇒ इसके लिये आयोग ने दो साल की कैद और जुर्माने के दंड की सिफारिश की है।

  • IPC में एक नई धारा 505 (A) जोड़ी जाए, जो ‘कुछ मामलों में भय, अशांति या हिंसा भड़काने’ के कृत्यों से जुड़ी हो।

⇒ इसके लिये आयोग ने एक साल की कैद और जुर्माने अथवा बिना जुर्माने की सिफारिश की है। 

विधि आयोग ने विचार व्यक्त किया है कि हिंसा के लिये उकसाने को ही नफरत फैलाने वाले बयान के लिये एकमात्र मापदंड नहीं माना जा सकता। ऐसे बयान जो हिंसा नहीं फैलाते हैं उनसे भी समाज के किसी हिस्से या किसी व्यक्ति को मानसिक पीड़ा पहुँचने की संभावना होती है।

और क्या उपाय संभव हैं?

  • सोशल मीडिया से घृणा फैलाने वाली सामग्री पर निगरानी रखने और हटाए जाने के उपाय किये जाने चाहिये।
  • लोगों में तर्कसंगत सोच का विकास करने की आवश्यकता है, ताकि वे किसी भी चीज़ पर बिना सोचे-समझे विश्वास न करें।
  • अपने वक्तव्यों से धार्मिक उन्माद फैलाने वाले नेताओं और धर्मगुरुओं को चिह्नित कर उनके भाषणों की निगरानी की जानी चाहिये और हेट स्पीच के दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिये। 

भारत को हेट स्पीच के मामले में कनाडा, जर्मनी और यूनाइटेड किंगडम से सीख लेने की आवश्यकता है। इन देशों ने इस तरह के भाषणों को न केवल विनियमित किया है, बल्कि इन्हें अपराध मानते हुए कुछ विशेष प्रावधान भी किये हैं।