हरियाणा राज्य स्थानीय उम्मीदवारों का रोज़गार अधिनियम, 2020 | 08 Nov 2021

प्रिलिम्स के लिये:

हरियाणा राज्य स्थानीय उम्मीदवारों का रोज़गार अधिनियम, 2020, अनुच्छेद 14, अनुच्छेद 15

मेन्स के लिये:

भारत में स्थानीय संरक्षण एवं इससे संबंधित विभिन्न अधिनियम 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में हरियाणा सरकार ने कहा है कि स्थानीय उम्मीदवारों का रोज़गार अधिनियम, 2020 राज्य में 15 जनवरी 2022 से लागू किया जाएगा।

प्रमुख बिंदु

  • अधिनियम का परिचय:
    • इसके तहत 10 या अधिक कर्मचारियों वाली फर्मों को 30,000 रुपए प्रतिमाह वाली सभी नौकरियों में से 75% राज्य के अधिवासी उम्मीदवारों के लिये आरक्षित करने की आवश्यकता है।
      • राज्य में स्थित विभिन्न कंपनियों, सोसाइटियों, ट्रस्टों और सीमित देयता भागीदारी फर्मों में नौकरियाँ प्रदान की जाएंगी।
    • इस कदम का उद्देश्य आईटी और आईटी-सक्षम सेवाओं (ITes) जैसे क्षेत्रों में भी देश के अन्य हिस्सों से प्रतिभाओं के अंतर्वाह को रोकना है, जिनकी राज्य में पर्याप्त आपूर्ति नहीं है।
    • यह कानून 10 वर्ष की अवधि के लिये लागू होगा।
    • राज्य सरकार ने निजी कंपनियों को काम पर रखने में कुछ लचीलापन प्रदान करने के लिये राज्य में एक वास्तविक निवासी प्रमाण पत्र प्राप्त करने हेतु निवास (अधिवास) की आवश्यकता को 15 से 5 वर्ष तक कम कर दिया।
    • इन सभी नियोक्ताओं के लिये श्रम विभाग, हरियाणा की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध नामित पोर्टल पर सकल मासिक वेतन या वेतन 30,000 रुपए से अधिक नहीं पाने वाले अपने सभी कर्मचारियों को पंजीकृत करना अनिवार्य होगा।
    • इस अधिनियम के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन दंडनीय अपराध होगा।
  • चिंताएँ:
    • निवेशकों के पलायन में वृद्धि :
      • यह ऑटो, आईटी जैसे क्षेत्रों में बड़े घरेलू और बहुराष्ट्रीय निवेशकों के पलायन को गति प्रदान कर सकता है जो अत्यधिक कुशल जनशक्ति पर निर्भर हैं।
    • मौजूदा उद्योगों को प्रभावित करना:
      • राज्य के अन्य क्षेत्रों से राज्य में जनशक्ति संसाधनों की मुक्त आवाजाही को रोकने एवं स्थायी निवासियों के मुद्दे को उठाने से राज्य में मौजूदा उद्योगों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
        • यह तकनीकी दिग्गजों और अन्य उद्योगों को अपना आधार हरियाणा से दूसरे राज्यों में स्थानांतरित करने और राज्य के मौद्रिक संसाधनों को कम करने में भूमिका निभा सकता है।
    • अत्यधिक प्रतिभा की कमी का कारण:
      • इसके अलावा ‘गिग एंड प्लेटफॉर्म’ कंपनियों पर आरक्षण लागू करने से प्रतिभा की कमी हो सकती है।
    • संविधान के विरुद्ध:
      • भारत का संविधान कई प्रावधानों के माध्यम से आवागमन की स्वतंत्रता और इसके परिणामस्वरूप भारत के भीतर रोज़गार की गारंटी देता है।
        • अनुच्छेद 14 जन्म स्थान की शर्त के बिना कानून के समक्ष समानता का प्रावधान करता है।
        • अनुच्छेद 15 जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव से बचाता है।
        • अनुच्छेद 16 सार्वजनिक रोज़गार में जन्म स्थान आधारित भेदभाव की गारंटी नहीं देता है।
        • अनुच्छेद 19 यह सुनिश्चित करता है कि नागरिक भारत के पूरे क्षेत्र में स्वतंत्र रूप से घूम सकें।
  • ऐसे अन्य प्रयास:
    • गोवा में एक राजनीतिक दल ने निजी नौकरियों में स्थानीय लोगों के लिये 80% आरक्षण का वादा किया है और ऐसा ही वादा उत्तराखंड के संदर्भ में भी किया गया था।
    • यह हरियाणा, झारखंड, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों के नक्शेकदम पर चलता है जो पहले से ही समान लोकलुभावन नीतियों को लागू कर चुके हैं या लागू करने की कोशिश कर रहे हैं।
  • ऐसे कानूनों के पीछे कारण:
    • वोट बैंक की राजनीति: अंतर-’राज्यीय प्रवासी श्रमिक (ISMW) एक बड़ा "अंडर-यूज़्ड या अन-यूज़्ड" मतदाताओं का गठन करते हैं क्योंकि वे अक्सर मतदान के अधिकारों का प्रयोग नहीं करते हैं। यदि इन श्रमिकों और संभावित प्रवासियों को ‘जॉब फॉर लोकल लेजिस्लेशन’ (JRFL) के माध्यम से बनाए रखा जाता है और उन्हें नौकरी प्रदान की जाती है, तो पार्टियों के चुनावी हितों को पूरा किया जाएगा।
    • आर्थिक सुस्ती: देश में बेरोज़गारी का मुद्दा प्रासंगिक हो गया है क्योंकि सरकारी रोज़गार कम होने के कारण बेरोज़गारी बढ़ी है।
    • बढ़ी हुई आय और प्रतिभा: स्थानीय कानूनों के लिये नौकरी न केवल प्रतिभा को बनाए रखेगी बल्कि आय भी होगी जो अन्यथा ‘अन्य क्षेत्रों’ में जाएगी।
    • भूमि अधिग्रहण के लिये पूर्व शर्त: उद्योगों के लिये भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में अपनी ज़मीन गँवाने वाले किसान और ग्रामीण ऐसी पूर्व-शर्त रखते हैं जिसमें उद्योगों को स्थानीय युवाओं को रोज़गार देना होता है।

आगे की राह:

  • हरियाणा सरकार को 30,000 रुपए प्रतिमाह की मूल वेतन सीमा को कंपनी की लागत के आधार पर 15,000 रुपए प्रतिमाह तक कम करने पर विचार करना चाहिये और राज्य में कौशल सुधार के प्रयासों में वृद्धि करनी चाहिये। यदि कोई आरक्षण हो तो उसे 20-25% से शुरू होना चाहिये क्योंकि तकनीकी और विशेष कौशल प्रतिभा को राज्य के युवाओं के बीच विकसित करने में समय लगेगा।
  • विभिन्न राज्य सरकारों के ‘जॉब फॉर लोकल लेजिस्लेशन’ (JRFL) के प्रयासों से बाहर निकलने का सबसे अच्छा तरीका आर्थिक सुधार सुनिश्चित करना और युवाओं के लिये कौशल प्रशिक्षण और उचित शिक्षा के साथ पर्याप्त रोज़गार के अवसर प्रदान करना है, जिससे जनता को मुक्त बाज़ार में प्रतिस्पर्द्धा करने में सक्षम बनाया जा सकेगा। 

स्रोत: द हिंदू