हरित दिवाली- स्वस्थ दिवाली | 23 Oct 2018

चर्चा में क्यों?

  • दिवाली पर जलाए जाने वाले पटाखों के प्रतिकूल प्रभावों के साथ-साथ दीपों के त्योहार के महत्त्व को ध्यान में रखते हुए पर्यावरण मंत्रालय ने हरित दिवाली अभियान शुरू किया है।
  • इस वर्ष यह अभियान पूरे देश में चलाया जाएगा। ‘हरित दिवाली-स्वस्थ दिवाली’ अभियान का विलय अब ‘ग्रीन गुड डीड’ अभियान में कर दिया गया है जिसकी शुरुआत पर्यावरण संरक्षण के लिये सामाजिक एकजुटता के रूप में की गई है।

पृष्ठभूमि

  • हरित दिवाली-स्वस्थ दिवाली कार्यक्रम की शुरुआत वर्ष 2017-18 में ही हुई थी।
  • उस दौरान बड़ी संख्या में स्कूली बच्चों, विशेषकर इको-क्लब से जुड़े बच्चों ने इस अभियान में भाग लिया था और कम-से-कम पटाखे फोड़ने की शपथ ली थी।
  • बच्चों को इसके तहत अपने रिश्तेदारों एवं मित्रों को मिठाइयों सहित पौधे उपहार स्वरूप देने और अपने घरों एवं आसपास के क्षेत्रों की सफाई करने की सलाह दी गई थी। यह अभियान अत्यंत सफल रहा था और वर्ष 2016 की तुलना में वर्ष 2017 में दीपावली के बाद वायु प्रदूषण ने विकराल रूप धारण नहीं किया था।
  • उपरोक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए पर्यावरण मंत्रालय ने एक बार फिर इस अभियान को शुरू किया है।

पटाखों का दुष्प्रभाव

  • पटाखों में कई ज्वलनशील रसायन होते हैं जिनमें पोटेशियम क्लोरेट पाउडर वाला अल्युमीनियम, मैग्नीशियम, बेरियम, तांबा, सोडियम, लिथियम, स्ट्रोंटियम इत्यादि शामिल हैं।
  • इन रसायनों के जलने पर तेज़ आवाज़ के साथ बहुत ज्यादा धुआँ भी निकलता है। इस धुएँ और आवाज़ से बच्चों एवं बुज़ुर्गों में स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याएँ पैदा हो जाती हैं। इतना ही नहीं, यह धुआँ पशुओं और पक्षियों के लिये भी नुकसानदेह होता है।

सर्दियों में बढ़ जाता है वायु प्रदूषण

  • देश में विशेषकर उत्तरी हिस्सों में सर्दियों के दौरान वायु प्रदूषण, गंभीर स्वास्थ्य समस्या का रूप धारण कर लेता है।
  • कुछ राज्यों में पराली को जलाने, कचरा सामग्री को जलाने और मौसम से जुड़ी स्थितियों और धूल कणों के कारण देश के उत्तरी क्षेत्र में वायु प्रदूषण अत्यधिक बढ़ जाता है।
  • इस वायु प्रदूषण से बच्चों, बुज़ुर्गों और साँस की बीमारीयों से पीड़ित लोगों की स्वास्थ्य संबंधी समस्या और भी गंभीर हो जाती है।
  • इसी अवधि के दौरान लोग प्रकाश उत्सव ‘दीपावली’ को भी काफी धूमधाम से मनाते हैं। ज़्यादातर लोग पटाखे जलाकर ही दीपावली मनाना पसंद करते हैं। पटाखे जलाने से वायु प्रदूषण की समस्या और अधिक विकराल रूप धारण कर लेती है।