अशांत क्षेत्र अधिनियम | 15 Oct 2020

प्रिलिम्स के लिये

विधेयक पर राष्ट्रपति की अनुमति

मेन्स के लिये

अशांत क्षेत्र अधिनियम से संबंधित मुद्दे

चर्चा में क्यों?

हाल ही में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गुजरात विधानसभा द्वारा पारित ‘अशांत क्षेत्र अधिनियम‘ (Disturbed Areas Act)  में संशोधन से जुड़े एक विधेयक पर अपनी स्वीकृति दे दी है।

प्रमुख बिंदु:

  • वर्तमान में यह अधिनियम गुजरात के अहमदाबाद, वड़ोदरा, सूरत, हिम्मत नगर, गोधरा, कपडवंज और भुरूच में लागू है। 

क्या है अशांत क्षेत्र अधिनियम? 

  • ‘अशांत क्षेत्र अधिनियम‘ को सबसे पहले वर्ष 1986 में लागू किया गया था। 
  • अशांत क्षेत्र अधिनियम के तहत ज़िला कलेक्टर को शहर या कस्बे के किसी भाग को ‘अशांत क्षेत्र’  के रूप में अधिसूचित करने का अधिकार है।
  • ज़िला कलेक्टर द्वारा यह अधिसूचना आमतौर पर क्षेत्र में सांप्रदायिक दंगों के इतिहास के आधार पर जारी की जाती है।
  • इस अधिसूचना के जारी होने के बाद संबंधित ‘अशांत क्षेत्र’ में किसी संपत्ति का हस्तांतरण तभी हो सकता है, जब खरीदार और संपत्ति के विक्रेता द्वारा दिये गए आवेदन पर ज़िला कलेक्टर की अनुमति प्राप्त कर ली जाती है।
  • इस आवेदन में विक्रेता को एक हलफनामा संलग्न करना होगा जिसमें उसे यह लिख कर देना होगा कि वह स्वेच्छा से अपनी संपत्ति बेच रहा है तथा इसके लिये उसे सही मूल्य प्राप्त हुआ है।    
  • अधिसूचित क्षेत्र में इस अधिनियम के प्रावधानों के उल्लंघन की स्थिति में दोषी व्यक्ति को कारावास और जुर्माने की सज़ा हो सकती है।
  • राज्य सरकार के अनुसार, इस अधिनियम का उद्देश्य राज्य के विभिन्न हिस्सों के सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के मामलों की निगरानी करना है।

संशोधन का कारण: 

  • गुजरात सरकार के अनुसार, कई विधायकों और अन्य लोगों द्वारा इस अधिनियम में कुछ कानूनी खामियों का मुद्दा उठाए जाने के बाद यह संशोधन लाया गया है।
  • इस अधिनियम के पूर्व संस्करण में ज़िला कलेक्टर को विक्रेता द्वारा दिये गए शपथ पत्र के आधार पर यह सुनिश्चित करना था कि उसने स्वेच्छा से अपनी संपत्ति बेची है और इसके लिये उसे उचित मूल्य (बाज़ार के अनुरूप) प्राप्त हुआ है।   
  • हालाँकि सरकार को ऐसी शिकायतें प्राप्त हुई थीं कि ‘अशांत’ के रूप में चिह्नित क्षेत्रों में असमाजिक तत्त्वों द्वारा लोगों को धमकी देकर या अधिक कीमत का लालच देकर संपत्तियों की खरीद और बिक्री की जा रही थी।
  • सरकार को प्राप्त हुई शिकायतों के अनुसार, असामाजिक तत्त्वों द्वारा इस अधिनियम के उन प्रावधानों के तहत संपत्ति का पंजीकरण कराया गया जिसके अंतर्गत अशांत क्षेत्र अधिनियम के तहत ज़िला कलेक्टर की पूर्व अनुमति की आवश्यकता नहीं होती है।
  • इसके परिणामस्वरूप कई क्षेत्रों में क्लस्टरिंग (Clustering) या ध्रुवीकरण के मामले देखने को मिले हैं।
  • अधिनियम की इस कमी को दूर करने और इसके प्रावधानों के उल्लंघन के मामलों में सज़ा को बढ़ाने के लिये गुजरात विधानसभा में जुलाई 2019 में इस संशोधन विधेयक को प्रस्तुत किया गया था।  

संशोधित अधिनियम में शामिल सुधार:

  • संशोधित अधिनियम के तहत  किसी क्षेत्र में ‘ध्रुवीकरण’ या किसी समुदाय विशेष के व्यक्तियों की ‘अनुचित क्लस्टरिंग’ की संभावनाओं का पता लगाने के लिये  ज़िला कलेक्टर की शक्तियों में विस्तार किया गया है। इसके साथ ही राज्य सरकार को कलेक्टर के निर्णयों की समीक्षा करने का अधिकार प्रदान किया गया  है।
  • अधिनियम में ऐसे मामलों की जाँच के लिये एक विशेष जाँच दल (Special Investigation Team- SIT) या समिति के गठन का प्रावधान किया गया है।
    • नगर निगम में शामिल क्षेत्रों के मामलों में इस SIT में संबंधित कलेक्टर, नगर आयुक्त और पुलिस आयुक्त शामिल होंगे। 
    • नगर निगमों के अलावा अन्य क्षेत्रों में इस SIT में कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक और क्षेत्रीय नगर आयुक्त सदस्य के रूप में शामिल होंगे।  
  • संशोधित अधिनियम में राज्य सरकार को एक सलाहकार समिति बनाने का अधिकार प्रदान किया गया है। यह समिति सरकार को अशांत क्षेत्र अधिनियम  से जुड़े विभिन्न पहलुओं (जैसे- अशांत क्षेत्रों की सूची में नए क्षेत्र को शामिल करना आदि) पर सलाह देने का कार्य करेगी।
  • अशांत क्षेत्रों में कलेक्टर की पूर्व स्वीकृति के बिना संपत्तियों के हस्तांतरण के पंजीकरण की जाँच करने के लिये संशोधित अधिनियम में 'स्थानांतरण' शब्द का दायरा बढ़ाने का प्रावधान किया गया है। इसके तहत  अशांत क्षेत्रों में  बिक्री, उपहार, विनिमय और पट्टे के माध्यम से संपत्ति के हस्तांतरण को शामिल किया गया है। 
    • इस अधिनियम में संशोधन के माध्यम से पंजीकरण अधिनियम में संशोधन किया गया है जिसके तहत अशांत क्षेत्रों में कलेक्टर की पूर्व स्वीकृति के बगैर किसी संपत्ति का पंजीकरण नहीं किया जा सकता।  
  • संशोधित अधिनियम के तहत संपत्ति के मालिक को केवल अपने उद्देश्य के लिये संपत्ति के पुनर्विकास की अनुमति दी गई है, परंतु  यदि मालिक पुनर्विकसित संपत्ति पर किसी नए व्यक्ति (जैसे-किरायेदार) को लाना चाहता है, तो उसे इसके लिये कलेक्टर की अनुमति लेनी होगी।     
  • अधिनियम के प्रावधान किसी अशांत क्षेत्र में सरकार की पुनर्वास योजनाओं पर लागू नहीं होंगे, जहाँ सरकार द्वारा विस्थापित लोगों का पुनर्वास का कार्य किया जा रहा हो।  

दंड का प्रावधान:

  • पूर्व में इस अधिनियम के प्रावधानों के उल्लंघन पर 6 माह का कारावास और 10,000 रुपए तक के जुर्माने के प्रावधान था। 
  • संशोधित अधिनियम के अनुसार,  इसके प्रावधानों के उल्लंघन की स्थिति में दोषी व्यक्ति को 3-5 वर्ष तक की सज़ा हो सकती है। साथ ही इस संशोधन के पश्चात् दोषी को जुर्माने के रूप में  1 लाख रुपए या संपत्ति की जंत्री दर (गुजरात राज्य के विभिन्न हिस्सों में संपत्ति की कीमतों की अनुमान संबंधी दर) का 10% (जो भी अधिक हो) का आर्थिक दंड भी दिया जा सकता है। 

स्रोत-इंडियन एक्सप्रेस