GST क्षतिपूर्ति का मुद्दा | 05 Dec 2019

प्रीलिम्स के लिये:

GST परिषद, GST क्षतिपूर्ति, सिन गुड्स

मेन्स के लिये:

GST क्षतिपूर्ति से संबंधित विभिन्न मुद्दे

चर्चा में क्यों?

हाल ही में GST परिषद ने सभी राज्यों को यह सूचित किया कि केंद्र सरकार वस्तु एवं सेवा कर (Goods and Services Tax- GST) के कार्यान्वयन के परिणामस्वरूप राज्यों को होने वाले राजस्व नुकसान की क्षतिपूर्ति में सक्षम नहीं है।

  • GST परिषद केंद्रीय वित्त मंत्री की अध्यक्षता वाली एक संवैधानिक संस्था है और इसमें सभी राज्यों के वित्त/राजस्व और वित्त राज्य मंत्री शामिल होते हैं।
  • यह GST से संबंधित सभी महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर सिफारिशें/सुझाव देती है।

प्रमुख बिंदु

  • राजस्व स्थिति:
    • सरकार ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिये 6,63,343 करोड़ रुपए GST संग्रहण का लक्ष्य रखा, जिसमें से उसने पहले आठ महीनों में केवल 50% का संग्रह किया है। इसने 1,09,343 करोड़ रुपए का क्षतिपूर्ति उपकर संग्रह का लक्ष्य निर्धारित किया था जिसमें से अभी तक केवल 64,528 करोड़ रुपए का ही संग्रह किया गया है।
  • क्षतिपूर्ति की स्थिति:
    • केंद्र ने अप्रैल-नवंबर, 2019 के दौरान क्षतिपूर्ति उपकर के रूप में 64,528 करोड़ रुपए का संग्रह किया और अप्रैल-जुलाई, 2019 की अवधि में 45,744 करोड़ रुपए का भुगतान किया।
    • GST परिषद के अनुसार, कर संग्रह में कमी और सरकार के राजकोषीय घाटे की संभावना को देखते हुए अगस्त-सितंबर 2019 में राज्यों को किये जाने वाले क्षतिपूर्ति भुगतान पर रोक लगा दी।
  • GST परिषद ने राज्यों को 6 दिसंबर, 2019 तक विभिन्न मदों में दी जाने वाली छूट, GST और क्षतिपूर्ति उपकर दरों के तहत वस्तुओं की समीक्षा के बारे में अपने इनपुट और प्रस्ताव देने के लिये भी कहा है।
    • GST के तहत केवल विलासिता की वस्तुओं और सिन गुड्स (शराब, तंबाकू, ड्रग्स, फास्ट फूड, कॉफी, जुआ और पोर्नोग्राफी) पर उपकर लगाया जाता है। अधिक उपकर संग्रह करने के लिये या तो इन वस्तुओं पर उपकर की दर में वृद्धि की जाएगी अथवा GST व्यवस्था के तहत 28% के उच्चतम कर स्लैब में कुछ परिवर्तन किया जाएगा।

पृष्ठभूमि

  • 101वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2016 के लागू होने के बाद 1 जुलाई, 2017 से GST संपूर्ण देश में लागू हो गया। इसमें बड़ी संख्या में केंद्र और राज्य स्तर पर लगने वाले अप्रत्यक्ष कर एक ही कर में विलीन हो गए।
  • केंद्र ने GST के लागू होने की तिथि से पाँच वर्ष की अवधि तक GST कार्यान्वयन के कारण कर राजस्व में आने वाली कमी के लिये राज्यों को क्षतिपूर्ति देने का वादा किया था। केंद्र सरकार के इस वादे के चलते बड़ी संख्या में अनिच्छुक राज्य नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था पर हस्ताक्षर करने के लिये सहमत हो गए थे।
  • GST अधिनियम के अनुसार वर्ष 2022 यानी GST कार्यान्वयन शुरू होने के बाद पहले पाँच वर्षों तक GST कर संग्रह में 14% से कम वृद्धि (आधार वर्ष 2015-16) दर्शाने वाले राज्यों के लिये क्षतिपूर्ति की गारंटी दी गई है। केंद्र द्वारा राज्यों को प्रत्येक दो महीने में क्षतिपूर्ति का भुगतान किया जाता है।
    • क्षतिपूर्ति उपकर ऐसा उपकर है जिसे 1 जुलाई, 2022 तक चुनिंदा वस्तुओं और सेवाओं या दोनों की आपूर्ति पर संग्रहीत किया जाएगा।
    • सभी करदाता (विशिष्ट अधिसूचित वस्तुओं को निर्यात करने वालों को और GST कंपोजीशन स्कीम का विकल्प चुनने वालों को छोड़कर) GST क्षतिपूर्ति उपकर के संग्रहण और केंद्र सरकार को इसके प्रेषण के लिये उत्तरदायी हैं।
    • इसके बाद, केंद्र सरकार इसे राज्यों को वितरित करती है।
  • केंद्र ने अगस्त-सितंबर 2019 के लिये GST राजस्व संग्रह में कमी हेतु राज्यों को क्षतिपूर्ति देने में पहले ही देरी कर दी है, जिसके लिये भुगतान अक्तूबर, 2019 में होने वाला था। 20 नवंबर, 2019 को पाँच राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों- केरल, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, राजस्थान और पंजाब ने एक संयुक्त बयान जारी कर इस विषय में चिंता व्यक्त की थी।

प्रभाव

  • केंद्र द्वारा कर प्राप्तियों में कमी से राज्यों को अधिक नुकसान होता है क्योंकि निरपेक्ष राशि के रूप में राज्य वही राशि प्राप्त करते हैं जो कि हस्तांतरण नियम के अनुसार निर्धारित होती है।
  • ऐसे समय में जब विकास दर में अस्थिरता बनी हुई है, GST अधिनियम के तहत दी गई गारंटी के अनुसार क्षतिपूर्ति के भुगतान में देरी से राज्यों में वित्तीय संकट की स्थिति बन सकती है।

स्रोत: द हिंदू