भारत में वर्ष 2040 तक नवोन्मेषी कूलिंग प्रौद्योगिकी | 02 Dec 2022

प्रिलिम्स के लिये:

वर्ष 2040 तक भारत में ग्रीन कूलिंग सॉल्यूशंस, विश्व बैंक, ICAP, ग्रीन हाउस गैस, PMAY, थर्मल कम्फर्ट।

मेन्स के लिये:

सतत् विकास हेतु ग्रीन कूलिंग से संबंधित रणनीतियाँ।

चर्चा में क्यों?

  • विश्व बैंक समूह द्वारा जारी रिपोर्ट 'भारत के कूलिंग क्षेत्रों में जलवायु निवेश के अवसर' के अनुसार निम्न कार्बन-गहन प्रौद्योगिकियों के माध्यम से भारत के कूलिंग क्षेत्र में निवेश के अवसर 1.6 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ सकते हैं।

रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएँ:

  • रिपोर्ट में वर्ष 2019 में शुरू किये गए इंडिया कूलिंग एक्शन प्लान (ICAP) का विश्लेषण किया गया है और कूलिंग संबंधित क्षेत्रों में सरकार के निवेश के अवसरों को प्राथमिकता देने हेतु सुझाव दिये गए हैं।
  • रिपोर्ट एयर कंडीशनिंग के प्रयोग पर ध्यान केंद्रित नहीं करती है क्योंकि वर्ष 2040 तक केवल 40% भारतीयों के पास एयर कंडीशनर होगा जो वर्तमान में लगभग 8% भारतीयों के पास है तथा इसके अलावा माँग की पूर्ति के लिये निष्क्रिय कूलिंग प्रौद्योगिकियों पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिये।
    • तीन अलग-अलग क्षेत्रों- विनिर्माण, कोल्ड चेन और रेफ्रिजरेंट में निवेश के अवसर, ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन में कमी लाने तथा लगभग 3.7 मिलियन रोज़गार सृजित करने की क्षमता है।
  • हीट स्ट्रेस और उससे होने वाले उत्पादकता में गिरावट के कारण देश में लगभग 34 मिलियन लोग अपनी नौकरी खो सकते हैं।
  • वर्ष 2022 में भारत में अनुभव किये गए हीटवेव की ही तरह आने वाले समय में विश्व में इस प्रकार के अनेकों हीटवेव की संभावनाएँ हैं।
  • तापमान में दो-तीन डिग्री की वृद्धि की संभावनाओं को देखते हुए विश्व में हीट स्ट्रेस में भारी वृद्धि होना तय है।

सिफारिशें:

  • सतत् अंतरिक्ष कूलिंग:
    • सतत् अंतरिक्ष कूलिंग समाधान वर्ष 2040 तक वार्षिक GHG उत्सर्जन को 213 मीट्रिक टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर कम कर सकता है।
    • यह कूलिंग प्रौद्योगिकियों एयर कंडीशनर, सीलिंग फैन और चिलर की दक्षता में वृद्धि करके हासिल किया जा सकता है जो वर्ष 2037-38 तक 30% ऊर्जा बचा सकता है।
  • निष्क्रिय कूलिंग रणनीतियाँ:
    • शहरों में इमारतों के लिये निष्क्रिय कूलिंग रणनीतियाँ वर्ष 2038 तक ऊर्जा के उपयोग को 20-30% तक कम कर सकती हैं।
    • किसी इमारत के तापमान में एक डिग्री सेल्सियस की गिरावट से कूलिंग के लिये विद्युत की मांग में दो-चार प्रतिशत की कमी आ सकती है।
  • ताप अनुकूलता:
    • सरकार को अपने किफायती आवास कार्यक्रम ‘प्रधानमंत्री आवास योजना’ (PMAY) में एक ताप अनुकूलता कार्यक्रम शामिल करना चाहिये।
    • इन घरों में निष्क्रिय कूलिंग प्रौद्योगिकियों के माध्यम से ताप अनुकूलता, सरकार के लक्ष्य 11 मिलियन से अधिक शहरी परिवारों और ग्रामीण क्षेत्रों में 29 मिलियन परिवारों को लाभान्वित कर सकता है।
    • यह भी सुनिश्चित होगा कि बढ़ते तापमान से सबसे अधिक प्रभावित लोग असमान रूप से प्रभावित न हों।
  • ज़िला कूलिंग प्रणाली (DCS):
    • DCS अलग-अलग इमारतों के बज़ाय इमारतों के समूहों के लिये केंद्रीकृत कूलिंग तकनीक हैं जो कहीं अधिक दक्ष है।
    • उच्च घनत्व वाले रियल एस्टेट परिसरों के लिये ज़िला कूलिंग अनिवार्य किया जाना चाहिये।
    • DCS एक केंद्रीय संयंत्र में शीतल जल उत्पन्न करता है जिसे भूमिगत इन्सुलेटेड पाइपों के माध्यम से कई इमारतों में वितरित किया जा सकता है।
  • शीत शृंखला और प्रशीतन:
    • शीत शृंखला वितरण नेटवर्क में अंतराल को भरने के लिये रणनीतियों में निवेश हेतु विश्व बैंक जैसे बहुपक्षीय विकास बैंकों से रियायती वित्त का उपयोग करने का सुझाव दिया गया है।
    • इस तरह के निवेश से खाद्य क्षति को लगभग 76% तक कम करने और कार्बन उत्सर्जन को 16% तक कम करने में मदद मिल सकती है।

इंडिया कूलिंग एक्शन प्लान (ICAP)

  • यह राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी कार्यक्रम के तहत अनुसंधान के एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्र के रूप में "कूलिंग और संबंधित क्षेत्रों" को पहचानने का प्रयास करता है।
  • यह कूलिंग के लिये भारत की राष्ट्रीय रणनीति का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य वर्ष 2037-2038 तक देश भर में कूलिंग की मांग को 25% तक कम करना है।
  • इसका उद्देश्य वर्ष 2037-38 तक कूलिंग ऊर्जा आवश्यकताओं को 25% से 40% तक कम करना है।
  • स्किल इंडिया मिशन के समन्वय से वर्ष 2022-23 तक 1,00,000 सर्विसिंग सेक्टर तकनीशियनों का प्रशिक्षण और प्रमाणन।
  • यह आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग (Economically Weaker Section- EWS) और निम्न-आय वर्ग (Low-Income Group- LIG) आवास के लिये कूलिंग का भी प्रावधान करता है।
  • मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के अनुरूप, योजना में उन तत्त्वों को कम करने पर ज़ोर दिया गया है जो ओज़ोन परत को क्षति पहुँचाते हैं।
  • इसका लक्ष्य समाज के लिये पर्यावरणीय और सामाजिक-आर्थिक लाभों को सुरक्षित करते हुए सभी के लिये स्थायी कूलिंग और तापीय संतुलन प्रदान करना है।

स्रोत: डाउन टू अर्थ