विलय और अधिग्रहण हेतु ग्रीन चैनल | 20 Aug 2019

चर्चा में क्यों?

भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (Competition Commission of India-CCI) ने कुछ निश्चित प्रकार के विलय और अधिग्रहण (Mergers and Acquisitions-M&A) को मंज़ूरी देने के लिये एक ग्रीन चैनल (Green Channel) की शुरुआत की है।

प्रमुख बिंदु:

  • प्रतिस्पर्द्धा कानून समीक्षा समिति ने अपनी रिपोर्ट में दिवालिया समाधान प्रक्रिया में सुधार के उपायों का सुझाव दिया।
    • समिति द्वारा की गई सिफारिशों में सबसे प्रमुख है कुछ निश्चित विलय और अधिग्रहण सौदों की स्वतः मंज़ूरी के लिये एक ‘ग्रीन चैनल’ का निर्माण। इसमें मुख्यतः वे सौदे शामिल हैं जो दिवाला और दिवालियापन संहिता (Insolvency and Bankruptcy Code-IBC) के तहत आते हैं।

क्या मतलब है ‘ग्रीन चैनल’ का?

  • ग्रीन चैनल के निर्माण की सिफारिश प्रतियोगिता कानूनों की समीक्षा करने वाली उच्च स्तरीय समिति द्वारा की गई है।
  • ग्रीन चैनल कुछ शर्तों के आधार पर निश्चित प्रकार के विलय और अधिग्रहण को शीघ्र मंज़ूरी देने के लिये एक स्वचालित प्रणाली की अनुमति देता है।
  • ग्रीन चैनल यह कार्य कुछ पूर्व लिखित मापदंडों के आधार पर करेगा।
  • इसकी शुरुआत का प्रमुख उद्देश्य भारत में व्यापार को आसान बनाने की ओर एक कदम बढ़ाना है।
  • ग्रीन चैनल की अवधारणा पहले से ही सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड, मलेशिया और इंडोनेशिया जैसे देशों में मौजूद है।

विलय का अर्थ:

विलय का अभिप्राय उस स्थिति से होता है जिसमें दो या दो से अधिक कंपनियाँ एक नई कंपनी के निर्माण हेतु एक साथ आती हैं। विलय का प्रमुख उद्देश्य प्रतिस्पर्द्धा को कम करना और एक निश्चित क्षेत्र में अपनी क्षमता को बढ़ाना होता है।

अधिग्रहण का अर्थ:

जब कोई एक व्यावसायिक इकाई किसी दूसरी व्यावसायिक इकाई को खरीदती है तो उसे अधिग्रहण कहा जाता है। सबसे मुख्य बात यह है कि इसके अंतर्गत किसी भी नई कंपनी का गठन नहीं किया जाता है।

विलय और अधिग्रहण में अंतर:

  • विलय और अधिग्रहण में सबसे बड़ा अंतर यही है कि विलय के अंतर्गत एक नई कंपनी का निर्माण किया जाता है, जबकि अधिग्रहण के अंतर्गत किसी भी नई कंपनी का निर्माण नहीं होता है।
  • विलय का उद्देश्य प्रतिस्पर्द्धा को कम करना होता है, जबकि अधिग्रहण का उद्देश्य तात्कालिक विकास करना होता है।
  • विलय में कानूनी औपचारिकताएँ अधिक होती हैं, जबकि अधिग्रहण में विलय की अपेक्षा कम कानूनी औपचारिकताएँ होती हैं।

भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग

(Competition Commission of India-CCI):

  • भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग की स्थापना 14 अक्तूबर, 2003 को की गई थी।
  • प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम के अनुसार, इस आयोग में एक अध्यक्ष एवं छः सदस्य होते हैं, सदस्यों की संख्या 2 से कम तथा 6 से अधिक नहीं होनी चाहिये लेकिन अप्रैल 2018 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग में CCI का आकार एक अध्‍यक्ष और छह सदस्‍य (कुल सात) से घटाकर एक अध्‍यक्ष और तीन सदस्‍य (कुल चार) करने को मंज़ूरी दे दी है।
  • सभी सदस्यों को सरकार द्वारा ‘नियुक्त’ (Appoint) किया जाता है।
  • इस आयोग के प्रमुख कार्यों में निम्नलिखित शामिल हैं-
    • प्रतिस्पर्द्धा को दुष्प्रभावित करने वाले चलन (Practices) को समाप्त करना एवं टिकाऊ प्रतिस्पर्द्धा को प्रोत्साहित करना।
    • उपभोक्ताओं के हितों की सुरक्षा करना।
    • भारतीय बाज़ार में ‘व्यापार की स्वतंत्रता’ सुनिश्चित करना।
    • किसी प्राधिकरण द्वारा संदर्भित मुद्दों पर प्रतियोगिता से संबंधित राय प्रदान करना।
    • जन जागरूकता का प्रसार करना।
    • प्रतिस्पर्द्धा से संबंधित मामलों में प्रशिक्षण प्रदान करना।

स्रोत : द हिंदू (बिज़नेस लाइन)