रुपए की कीमतों में स्थिरता लाने और चालू खाता घाटे को रोकने के लिये उपायों की घोषणा | 15 Sep 2018

चर्चा में क्यों?

सरकार ने पाँच उपायों वाली एक श्रृंखला की घोषणा की है जिसका लक्ष्य रुपये की कीमत में स्थिरता लाना और चालू खाता घाटा जो कि जून तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद का 2.4% तक पहुँच गया था, में कमी लाना है।

सरकार द्वारा घोषित पाँच उपाय

1. गैर-आवश्यक आयात में कमी : चालू खाता घाटा (जो अगस्त में 17.4 बिलियन डॉलर था) को कम करने के लिये सरकार गैर-आवश्यक सामानों के आयात में कमी लाने का प्रयास करेगी।

2. विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों पर लगे प्रतिबंधो की समीक्षा : कॉर्पोरेट ऋण बाज़ार में अधिक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों को आकर्षित करने के लिये सरकार उनके निवेश पर लगे निम्नलिखित दो प्रतिबंधों की समीक्षा करेगी:

  • एक कॉर्पोरेट इकाई में FPI द्वारा किया जाने वाला निवेश उनके कॉर्पोरेट बॉण्ड पोर्टफोलियो के 20% से अधिक नहीं हो सकता है।
  • FPI जारी किये गए किसी भी कॉर्पोरेट बॉण्ड में 50% से अधिक निवेश नहीं कर सकते हैं।

3. मसाला बॉण्ड जारी करने वाले बैंकों से हटाए जाएंगे प्रतिबंध : भारतीय निगमों को मसाला बॉण्ड की खरीद में वृद्धि करने के लिये सरकार 31 मार्च, 2019 तक मसाला बॉण्ड जारी करने वाले सभी बैंकों को छूट प्रदान करेगी।

  • मसाला बॉण्ड भारत के बाहर जारी किये गए बॉण्ड होते हैं, लेकिन स्थानीय मुद्रा की बजाय इन्हें भारतीय मुद्रा में निर्दिष्ट किया जाता है।
  • डॉलर बॉण्ड के विपरीत (जहाँ उधारकर्त्ता को मुद्रा जोखिम उठाना पड़ता है)  मसाला बॉण्ड में निवेशकों को जोखिम उठाना पड़ता है।
  • नवंबर 2014 में विश्व बैंक के इंटरनेशनल फाइनेंस कॉरपोरेशन द्वारा पहला मसाला बॉण्ड जारी किया गया था।

4. विनिर्माण कंपनियों को 5 करोड़ डॉलर तक की ईसीबी को एक्सेस करने की अनुमति : ECB के माध्यम से 50 मिलियन डॉलर तक की उधार लेने वाली विनिर्माण कंपनियाँ केवल एक वर्ष की अवधि के लिये ऐसा करने में सक्षम होंगी। उल्लेखनीय है कि पहले यह अनुमति तीन साल की अवधि के लिये थी।

5. बाह्य वाणिज्यिक उधार के संदर्भ में आधारभूत संरचना ऋण हेतु अनिवार्य हेजिंग शर्तों की समीक्षा : बाह्य वाणिज्यिक उधार (External Commercial Borrowing- ECB) मार्ग के माध्यम से आधारभूत संरचना ऋण के लिये अनिवार्य हेजिंग (वित्तीय हानि से बचाव) स्थितियों की समीक्षा की जाएगी ।

उल्लेखनीय है कि वर्तमान में इन ऋणों को संभालने के लिये उधारकर्त्ताओं पर कोई बाध्यता नहीं है।