चीनी मिलों को सीधे गन्ने के रस से एथनॉल बनाने की अनुमति संबंधी अधिसूचना जारी | 28 Jul 2018

चर्चा में क्यों?

केंद्र सरकार ने चीनी मिलों को सीधे गन्ने के रस या फिर बी श्रेणी के शीरे (मोलासेस) से एथनॉल बनाने की अनुमति देने के निर्णय को अधिसूचित कर दिया है। इस संबंध में 1966 का गन्ना नियंत्रण आदेश संशोधित किया गया है। इस निर्णय से चीनी मिलें गन्ने के अधिक उत्पादन की स्थिति में गन्ने से सीधे एथनॉल बना सकेंगी।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, यदि चीनी मिल सीधे गन्ने के रस या फिर बी श्रेणी के शीरे से एथनॉल का उत्पादन करती है, तो 600 लीटर एथनॉल के उत्पादन को एक टन चीनी के उत्पादन के बराबर माना जाएगा।
  • अभी तक चीनी मिलें केवल निम्न श्रेणी के शीरे (C मोलासेस) से ही एथनॉल बना सकती थीं। गन्ने का रस निकालने के बाद जो शीरा बच जाता था, उसमें से चीनी मिलें एथनॉल का उत्पादन करती थीं।
  • शीरे का उपयोग एल्कोहल और स्प्रिट समेत कई अन्य उत्पादों को बनाने में होता है। जून में केंद्र सरकार ने पहली बार बी श्रेणी के शीरे से बने एथनॉल के लिये दिसंबर 2018  से शुरू हो रहे नए सत्र हेतु 47.49 रुपए प्रति लीटर दर तय की थी।
  • इसके अलावा निम्न श्रेणी के शीरे से तैयार एथनॉल की दर में भी केंद्र सरकार ने 3 रुपए की बढ़ोतरी करके दर को 43.70 रुपए प्रति लीटर तय किया है।
  • देश में पेट्रोल में 10 प्रतिशत एथनॉल को मिलाना अनिवार्य किया गया है, लेकिन पर्याप्त मात्रा में एथनॉल की उपलब्धता नहीं होने के कारण यह 4 प्रतिशत तक सिमट कर रह गया है।
  • केंद्र सरकार द्वारा एथनॉल के ऊँचे दाम तय करने से चीनी मिलें एथनॉल का उत्पादन बढ़ाने को प्रोत्साहित होंगी।
  • चीनी मिलों ने दिसंबर 2018 से शुरू होने वाले पेराई सीज़न के दौरान तेल कंपनियों को 158 करोड़ लीटर एथनॉल की आपूर्ति करने के लिये अनुबंध किये हैं। जबकि पिछले वर्ष केवल 78.6 करोड़ लीटर एथनॉल की आपूर्ति की गई थी।
  • चीनी मिलों को घाटे का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि 257 मिलियन टन की घरेलू मांग के मुकाबले 2017-18 सीज़न में 32 मिलियन टन के रिकॉर्ड आउटपुट के कारण चीनी की कीमतें उत्पादन लागत से नीचे गिर गई हैं।