कॉरपोरेट दिवालियापन से निपटने हेतु प्रारंभिक सीमा में बढ़ोतरी | 31 Mar 2020

प्रीलिम्स के लिये:

कोरोना वायरस, MCA-21

मेंस के लिये:

कोरोना वायरस से निपटने हेतु भारत सरकार के प्रयास

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्र सरकार ने कॉरपोरेट दिवालियापन की कार्यवाई शुरू करने हेतु प्रारंभिक सीमा (Insolvency Threshold) को 1 लाख रुपए से बढ़ाकर 1 करोड़ रुपए करने की घोषणा की है। 

प्रमुख बिंदु:

  • उल्लेखनीय है कि यह कदम कोरोना वायरस के प्रकोप (Corona Virus Outbreak) के दौरान कंपनियों पर अनुपालन बोझ को कम करने और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को दिवालिया होने से रोकने के लिये किया गया है। 
  • इस कदम से कंपनियों को मौजूदा व्यावसायिक परिस्थितियों में कंपनियों और पेशेवरों पर बोझ को कम करने तथा व्यावसायिक ज़रूरतों को तत्काल पूरा करने की अनुमति मिलेगी। 
  • यदि 30 अप्रैल तक कोरोना वायरस की वज़ह से उत्पन्न परिस्थितियों में सुधार न होने पर सरकार छह महीने के लिये कंपनियों के खिलाफ दिवालिया कार्यवाही शुरू करने पर रोक लगा सकती है।
  • गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय के MCA-21 पोर्टल के साथ अनिवार्य फाइलिंग पर स्थगन की घोषणा की है। इस अवधि के दौरान अनिवार्य फाइलिंग देर से दाखिल करने पर आरोपित अतिरिक्त शुल्क को भी हटा दिया गया है।
    • MCA-21, भारत सरकार के कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय (Ministry of Corporate Affairs- MCA) की एक ई-गवर्नेंस पहल है, जो कॉर्पोरेट संस्थाओं, पेशेवरों और नागरिकों को मंत्रालय की सेवाओं की आसान और सुरक्षित पहुँच के लिये सक्षम बनाता है।
  • विशेषज्ञों के अनुसार, दिवाला कार्यवाई की शुरुआत हेतु प्रारंभिक सीमा में वृद्धि से मध्यम, लघु और सूक्ष्म उद्यमों (MSMEs) को आवश्यक सुरक्षा प्राप्त होगी।
  • कंपनी अधिनियम के तहत 'कम-से-कम एक निदेशक के वर्ष में कम-से-कम 182 दिनों तक देश में निवास करने' की आवश्यक शर्त से भी कंपनियों को बाहर रखा जाएगा।

दिवाला एवं दिवालियापन हेतु सामान्य कार्य प्रक्रिया

  • अगर कोई कंपनी कर्ज वापस नहीं चुकाती तो ‘दिवाला एवं दिवालियापन कानून’ (IBC) के तहत कर्ज़ वसूलने के लिये उस कंपनी को दिवालिया घोषित कर दिया जाता है।
  • इसके लिये नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) की विशेष टीम कंपनी से बात करती है और कंपनी के मैनेजमेंट के राजी होने पर कंपनी को दिवालिया घोषित कर दिया जाता है। 
  • इसके बाद उसकी पूरी संपत्ति पर बैंक का कब्ज़ा हो जाता है और बैंक उस संपत्ति को किसी अन्य कंपनी को बेचकर अपना कर्ज वसूल सकता है।
  • IBC में बाज़ार आधारित समय-सीमा के तहत इन्सॉल्वेंसी समाधान प्रक्रिया का प्रावधान है।
  • IBC की धारा 29 में यह प्रावधान किया गया है कि कोई बाहरी व्यक्ति (थर्ड पार्टी) ही कंपनी को खरीद सकता है।

पृष्ठभूमि 

  • केंद्र सरकार ने आर्थिक सुधारों की दिशा में कदम उठाते हुए एक नया दिवालियापन संहिता संबंधी विधेयक 2016 में पारित किया था। 
  • दिवाला एवं दिवालियापन संहिता,1909 के 'प्रेसीडेंसी टाउन इन्सॉल्वेन्सी एक्ट’ और 'प्रोवेंशियल इन्सॉल्वेन्सी एक्ट 1920’ को रद्द करती है तथा कंपनी एक्ट, लिमिटेड लाइबिलिटी पार्टनरशिप एक्ट और 'सेक्यूटाईज़ेशन एक्ट' समेत कई कानूनों में संशोधन करती है। 
  • दरअसल, कंपनी या साझेदारी फर्म व्यवसाय में नुकसान के चलते कभी भी दिवालिया हो सकते हैं और यदि कोई आर्थिक इकाई दिवालिया होती है तो इसका तात्पर्य यह है कि वह अपने संसाधनों के आधार पर अपने ऋणों को चुका पाने में असमर्थ है। 
  • ऐसी स्थिति में कानून में स्पष्टता न होने पर ऋणदाताओं को भी नुकसान होता है और स्वयं उस व्यक्ति या फर्म को भी तरह-तरह की मानसिक एवं अन्य प्रताड़नाओं से गुज़रना पड़ता है।

स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस