सरकार द्वारा किसान कल्याण निधि के लिये जीएसटी में बढ़ोतरी पर विचार | 05 Jun 2018

चर्चा में क्यों?

जीएसटी परिषद द्वारा गठित मंत्रियों के समूह (GOM) के विचाराधीन प्रस्ताव के मुताबिक किसान कल्याण कोष के वित्तपोषण के लिये वस्तु एवं सेवा कर (GST) दरों में 1% की वृद्धि की जा सकती है। वृद्धि को गन्ना किसानों के बीच संकट कम करने के लिये सरकार द्वारा प्रस्तावित शुगर उपकर के विकल्प के रूप में देखा जा रहा है।

कृषि संकट को कम करना 

  • जीएसटी दरों में वृद्धि के प्रस्ताव में गन्ना किसानों समेत समस्त किसानों को लाभ पहुँचाने के लिये तथा किसान कल्याण निधि के वित्तपोषण हेतु केंद्र और राज्यों के बीच अतिरिक्त राजस्व साझा करना शामिल है।
  • असम के वित्त मंत्री हेमंत बिस्वा शर्मा के नेतृत्व में पाँच सदस्यीय जीओएम ने इथेनॉल पर जीएसटी में मौजूदा 18% लेवी से 5% की कमी और चीनी के निर्यात के लिये सरकारी सब्सिडी में वृद्धि की जाँच की।
  • केरल के वित्त मंत्री थॉमस इसहाक ने सभी स्लैबों में जीएसटी में एक समान 1% की वृद्धि की संभावना पर चर्चा की।
  • इसमें से 0.5% को केंद्र के साथ रखा जा सकता है और शेष राज्यों के साथ।
  • इस धन का उपयोग सभी किसानों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिये किया जा सकता है|
  • लेकिन सेस लगाना जीएसटी के सिद्धांत को धोखा देना होगा| वर्तमान में जीएसटी दर स्लैब 5%, 12%, 18% और 28% पर आँका गया है, जबकि कुछ वस्तुओं पर शून्य है।
  • गन्ना किसानों के लिये उत्पन्न स्थिति के मामले में किसानों के लिये वित्तीय सहायता का विस्तार करना होगा और राज्यों को वितरण के लिये अपने हिस्से पर नियंत्रण रखना होगा।

शुगर सेस का विरोध 

  • केरल ने 4 मई को जीएसटी परिषद की बैठक में चीनी पर उपकर लगाने को लेकर पहले ही असंतोष व्यक्त किया था।
  • उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु तथा महाराष्ट्र ने भी इसका विरोध किया है|
  • महाराष्ट्र ने कहा कि जीओएम ने एक महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट परिषद को प्रस्तुत करने का फैसला किया है और अटॉर्नी जनरल की राय का इंतजार किया जा रहा है कि जीएसटी पर सेस कल्याणकारी उद्देश्यों के लिये  लगाया जा सकता है या इसे केवल मुआवज़े के प्रयोजनों के लिये लगाया जा सकता है।
  • परिषद जीओएम की रिपोर्ट पर अंतिम निर्णय करेगी। इथेनॉल पर जीएसटी को 18% से काम कर 5% तक लाने की संभावना पर भी चर्चा की गई जिससे गन्ना किसानों की मदद मिलेगी।
  • इस साल देश में उपलब्ध पर्याप्त चीनी भंडार को ध्यान में रखते हुए चीनी पर निर्यात सब्सिडी बढ़ाने की संभावना का भी पता लगाया जा रहा है क्योंकि यहाँ इस उत्पाद को अन्य देशों की तुलना में बहुत अधिक कीमत पर बेचा जाता है|
  • लगभग 20 किलोग्राम प्रति व्यक्ति खपत के साथ चीनी की वार्षिक आवश्यकता लगभग 250 लाख मीट्रिक टन है।
  • इस साल चीनी का उत्पादन पिछले वर्ष से 45 लाख मीट्रिक टन रिजर्व के साथ 320 लाख मीट्रिक टन रहा है।