गोदावरी वैली एरिया और COVID-19 | 20 Apr 2020

प्रीलिम्स के लिये

गोदावरी नदी घाटी, गोदावरी नदी, पोलावरम सिंचाई परियोजना

मेन्स के लिये

आदिवासी आबादी से संबंधित मुद्दे, सिंचाई परियोजना और उनसे जुड़े कुछ संवेदनशील विषय 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में गोदावरी नदी घाटी क्षेत्र में निवास करने वाली आदिवासी आबादी के बीच COVID-19 परीक्षण करने के लिये आंध्र प्रदेश सरकार को निर्देश देने के लिये सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई है।

प्रमुख बिंदु

  • याचिका में कहा गया है कि गोदावरी नदी घाटी क्षेत्र, जहाँ आदिवासी आबादी निवास कर रही हैं, पोलावरम सिंचाई परियोजना (Polavaram Irrigation Project) वाले क्षेत्र के समीप है।
  • गोदावरी नदी घाटी क्षेत्र आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा और छत्तीसगढ़ तक विस्तारित है।
  • आंध्र प्रदेश में गोदावरी नदी पर पोलावरम सिंचाई परियोजना के निर्माण के लिये COVID-19 महामारी के कारण लागू किये गए लॉकडाउन के आदेश का स्पष्ट रूप से उल्लंघन किया गया है।
  • अभी भी बड़ी संख्या में प्रवासी श्रमिक परियोजना स्थल पर बिना सैनिटाइज़र और मास्क के काम कर रहे हैं। समस्या यह है कि ये श्रमिक आदिवासी आबादी के करीब निवास करते है।
  • आदिवासी लोगों, जो घने जंगलों और नदी घाटी के अन्य अनुसूचित क्षेत्रों में रहते हैं, के बीच जागरूकता की कमी ने उनके बीच COVID-19 संक्रमण के खतरे को और अधिक गंभीर बना दिया है।
  • कोंडा रेडिस (Konda reddis), कोयस (Koyas) और कोलम (Kolam) गोदावरी घाटी में रहने वाली लोकप्रिय जनजातियाँ हैं। कोंडा रेड्डी और कोलम विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों (PVTG) का हिस्सा हैं।

विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह

(Particularly Vulnerable Tribal Groups- PVTGs)

  • PVTGs (पूर्व में आदिम जनजातीय समूह/PTG के रूप में वर्गीकृत) भारत सरकार द्वारा किया जाने वाला वर्गीकरण है जो विशेष रूप से निम्न विकास सूचकांकों वाले कुछ समुदायों की स्थितियों में सुधार को सक्षम करने के उद्देश्य से सृजित किया गया है।
  • इसका सृजन ढेबर आयोग की रिपोर्ट (1960) के आधार पर किया गया था, जिसमें कहा गया था कि अनुसूचित जनजातियों के विकास दर में असमानता थी।
  • ऐसे समूह की प्रमुख विशेषताओं में आदिम-कृषि प्रणाली का प्रचलन, शिकार और खाद्य संग्रहण का अभ्यास, शून्य या नकारात्मक जनसंख्या वृद्धि, अन्य जनजातीय समूहों की तुलना में साक्षरता का अत्यंत निम्न स्तर आदि शामिल हैं।
  • 1000 से कम व्यक्तियों की आबादी वाले PVTGs हैं: बिरजिया (झारखंड), सेंटीनलीज़, ग्रेट अंडमानी, ओंगे, शोम्पेन (अंडमान, निकोबार), बिरहोर (छतीसगढ़, झारखंड), असुर (बिहार, झारखंड), मनकीडिया (ओडिशा), चोलानैक्कन (केरल), सावर (बिहार), राजी (उत्तराखंड), सौरिया पहाड़िया (बिहार, झारखंड), कोरवा (बिहार, झारखंड), टोडा (कर्नाटक), कोटा (तमिलनाडु)।

गोदावरी नदी

  • यह सबसे बड़ी प्रायद्वीपीय नदी है। यह महाराष्ट्र के नासिक ज़िले में पश्चिम घाट की ढालों से निकलती है।
  • इसकी लंबाई लगभग 1,500 कि.मी. है। यह बहकर बंगाल की खाड़ी में गिरती है। प्रायद्वीपीय नदियों में इसका अपवाह तंत्र सबसे बड़ा है। इसकी द्रोणी महाराष्ट्र (नदी द्रोणी का 50 प्रतिशत भाग), मध्य प्रदेश, उड़ीसा तथा आंध्र प्रदेश में स्थित है।
  • गोदावरी में अनेक सहायक नदियाँ मिलती हैं, जैसे- पूर्णा, वर्धा, प्राणहिता, मंजरा, वेनगंगा तथा पेनगंगा। इनमें से अंतिम तीनों सहायक नदियाँ बहुत बड़ी हैं। बड़े आकार और विस्तार के कारण इसे ‘दक्षिण गंगा’ के नाम से भी जाना जाता है।

स्रोत: द हिंदू