कुशल मज़दूरों को ऊपर उठाने की आवश्यकता | 08 May 2018

संदर्भ

वर्तमान विश्व में तेज़ी से विघटनकारी प्रौद्योगिकियाँ हमारे जीवन को बदल रही हैं और तेज़ी से ऐसा प्रचार होते दिख रहा है कि एआई, ऑटोमेशन व रोबोटिक्स वह कार्य कर रहे हैं जिन्हें मनुष्य द्वारा किया जाना असंभव है। अतः चिंताएँ बढ़ रही हैं कि ये प्रौद्योगिकियाँ मानव का स्थान ले रही हैं और उन्हें बेरोज़गार बना रही हैं। इसका प्रभाव उन क्षेत्रों में ज्यादा व्यापक तौर पर दिखाई दे रहा है, जहाँ  अकुशल श्रमिकों की संख्या अधिक है।

प्रमुख बिंदु 

  • यह महत्त्वपूर्ण है कि इन तकनीकी बदलावों के वास्तविक होने के बावजूद, नौकरियाँ बढ़ती रहेंगी किंतु इसके साथ ही बढ़ी अनिवार्यता के अनुरूप कुशल, रीस्किल्ड श्रमिकों को बढ़ाना भी महत्त्वपूर्ण है ताकि देश और व्यवसाय नई अर्थव्यवस्था में सफल हो सकें।
  • तकनीकी, कौशल भविष्य में समाज और डिजिटल कौशल की मुद्रा की तरह है और तकनीकी नौकरियों में कुशल श्रमिकों की आवश्यकता और उनकी मांग अन्य क्षेत्रों में भी समान रूप से है।
  • ज़ाहिर है, वैश्विक स्तर पर कौशल अंतराल विद्यमान है, लेकिन प्रश्न यह है कि क्या हम भविष्य के लिये इस अंतर को कम करने हेतु उचित कदम उठा रहे हैं?
  • इसी संदर्भ में कैपेगिनी द्वारा किए गये एक वैश्विक अध्ययन जिससे पता चलता है कि 55 प्रतिशत संगठनों ने यह स्वीकार किया था कि न केवल कौशल अंतराल बढ़ा है बल्कि यह निरंतर जारी है।
  • जब विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों का अध्ययन किया गया तो पाया गया की 70 प्रतिशत अमेरिकी कंपनियों ने कौशल अंतराल को स्वीकार किया जबकि भारत ने 64 प्रतिशत, ब्रिटेन ने 57 प्रतिशत, जर्मनी ने 55 प्रतिशत तथा फ्रांस में 52 प्रतिशत कौशल अंतराल को स्वीकार किया।
  • गार्टनर के अनुसार इस अंतर को पाटना इतना आसान नहीं है और साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि 2020 तक डिजिटल नौकरियों में प्रासंगिक प्रतिभा की अनुपलब्धता के कारण 30 प्रतिशत तकनीकी नौकरियाँ अनुपलब्ध होंगी।

कौशल विकास और विश्व परिदृश्य

  • दुनिया भर में कंपनियों को जल्द से जल्द यह समझना होगा कि ये विशिष्ट कौशल क्या हैं और अल्पकालिक अवधि के लिये क्या किया जाना आवश्यक है।
  • प्रतिभा गतिशीलता (Talent mobility) अल्पकालिक चुनौतियों का समाधान तो करेगी, लेकिन यह भी स्पष्ट है कि केंद्रित री-स्किलिंग ड्राइव से नहीं बचा जा सकता और सभी राष्ट्रों को इससे गुज़रना ही होगा।
  • डिजिटल क्रांति के अवसरों को प्राप्त करने के लिये आवश्यक आधारभूत कौशल स्टेम (Science, Technology, Engineering and Math) प्रतिभा पूल का विस्तार करने की आवश्यकता है। 
  • अमेरिका जो नवाचार और प्रौद्योगिकी में अग्रणी है हर साल 1 प्रतिशत से भी कम की दर से स्टेम डिग्रियाँ बढ़ा रहा है। हालाँकि, सॉफ्टवेयर विकास रोज़गार और योग्य अमेरिकी आवेदकों के बीच 2020 में 1.4 मिलियन लोगों का अंतर है।
  • वहीं यूके में 40,000 स्टेम स्नातकों की कमी है, जिससे अतिरिक्त सकल घरेलू उत्पाद में सालाना 63 अरब पाउंड की हानि होने का अनुमान है।
  • इसके अलावा एआई और डेटा वैज्ञानिक नौकरियों की मांग आपूर्ति से अधिक है साथ ही, अगले तीन वर्षों में साइबर सुरक्षा और कौशल की कमी का अनुमान 3 मिलियन से अधिक है तथा DevOps और Cloud Architecture जैसी नौकरियों में उम्मीदवारों की तुलना में रिक्तियाँ अधिक हैं।
  • वास्तविकता यही है कि कोई भी देश या कंपनी इन चुनौतियों का सामना किये बिना विकास की राह पर आगे नहीं बढ़ कर सकता है। 

कौशल विकास और भारत

  • भारत का तकनीकी क्षेत्र भी अपनी डिजिटल क्षमताओं के निर्माण और अपनी स्टेम प्रतिभा को बढ़ाने के लिये समान रूप से ध्यान दे रहा है।
  • लगभग 25 अरब डॉलर के डिजिटल राजस्व और आधे मिलियन प्रशिक्षित डिजिटल पेशेवरों के साथ, उद्योग तेज़ी से वैश्विक कॉरपोरेशन के लिये डिजिटल समाधान का भागीदार बन रहा है।
  • इससे उद्योग शिफ्ट को व्यावसायिक मॉडल में बदलने में सहायता मिलती है, जिसमें डोमेन और तकनीकी पेशेवरों का वैश्विक प्रतिभा पूल बनाना, प्रमुख बाजारों में नवाचार केंद्र स्थापित करना, नए तकनीक तथा रचनात्मक डिज़ाइन और स्टार्टअप के साथ साझेदारी के लिये  अधिग्रहण शामिल हैं।
  • हमारे उद्योग वैश्विक स्तर पर स्किलिंग और रीस्किलिंग पहलों पर समान रूप से ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
  • साथ ही औद्योगिक क्षेत्र अग्रणी वैश्विक विश्वविद्यालयों के साथ अनुसंधान साझेदारी, इंटर्नशिप, राज्य स्तरीय संलग्नक, छात्रवृत्ति और सामाजिक पहलों में स्टेम कार्यक्रम, स्किलिंग आदि गतिविधियाँ अपना रहे हैं। 
  • इसके आलवा इंटरप्ले पर नौ नई उभरती प्रौद्योगिकियाँ जिनपर ध्यान देने की भी आवश्यकता है, जो इस प्रकार हैं - सोशल/मोबाइल, क्लाउड, बिग डेटा एनालिटिक्स, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, रोबोटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, वीआर, 3डी प्रिंटिंग और साइबर सिक्योरिटी।
  • अनुमानतः इस श्रृंखला के परिणामस्वरूप 55 नए रोज़गारों की भूमिका बढ़ेगी।
  • ध्यातव्य है कि चौथी औद्योगिक क्रांति के परिवर्तन की गति अभूतपूर्व है और इसमें फिर से स्किलिंग सहित अभिनव सोच में एक बड़ा कदम शामिल है।
  • साथ ही, कुशल प्रतिभा गतिशीलता के लिये यह एक देश, कंपनियों और नागरिकों के लिये एक सफल परिदृश्य भी है।
  • नवाचार का विचार एक स्तरीय है। मिसाल के तौर पर भारत, अमेरिका और इज़राइल के तीन राष्ट्रों में स्टार्टअप पारिस्थितिक तंत्र बहुत परिपक्व हैं, लेकिन यह बाहर से आने वाले नवाचारों की तुलना में बहुत अलग है।
  • भारत अनुप्रयोग नवाचार के लिये एक मज़बूत दावा कर सकता है, जबकि, इज़राइल में, यह टिकाऊ नवाचार का विषय है और वहीं अमेरिका में अकसर सफलतापूर्वक नवाचार (breakthrough innovation) को अपनाया जाता है।
  • राष्ट्रों को सहयोग करने, आईपी स्थानांतरित करने, सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने, प्रतिभा को तैयार करने और एक-दूसरे के पूरक के लिये  भारत के पास ज़बरदस्त अवसर है और यह तभी संभव है जब प्रतिभा भौगोलिक सीमाओं और आप्रवासन कानूनों द्वारा सीमित न हो, जो कि दंडनीय हैं।


क्या हो आगे का रास्ता?

  • तकनीकों के इस बदलते दौर में लोगों को ‘फिटर’ और ‘प्लम्बर’ जैसे कार्यों के लिये प्रशिक्षित करना उतना व्यावहारिक नहीं है।
  • अब ज़रूरत इस बात की है कि उन्हें ड्रोन और रोबोट्स के कल-पुर्ज़े ठीक करने का कौशल दिया जाए और इस कौशल विकास की ज़िम्मेदारी हमारी शिक्षा व्यवस्था को उठानी होगी।
  • लोगों को विशेषज्ञतापूर्ण कार्यों के लिये कौशल दिया जाए और इसके लिये अवसंरचना का भी विकास किया जाए।
  • पूर्व की औद्योगिक क्रांतियों के अनुभवों से यह ज्ञात होता है कि इन परिवर्तनों से सर्वाधिक प्रभावित वे समूह होते हैं जो अपनी कौशल क्षमता में निश्चित समय के भीतर वांछनीय सुधार लाने में असमर्थ होते हैं अतः सरकार को चाहिये कि ऐसे लोगों को प्रशिक्षण के लिये पर्याप्त समय के साथ-साथ संसाधन भी उपलब्ध कराए।