वैश्विक अर्थव्यवस्था पर कोरोनावायरस का प्रभाव | 04 Apr 2020

प्रीलिम्स के लिये

कोरोनावायरस से संबंधित तथ्य

मेन्स के लिये

कोरोनावायरस महामारी का आर्थिक प्रभाव

चर्चा में क्यों?
संयुक्त राष्ट्र (United Nations-UN) के अनुसार, कोरोनावायरस (COVID-19) महामारी के कारण वर्ष 2020 में वैश्विक अर्थव्यवस्था तकरीबन 1 प्रतिशत तक कम हो सकती है। साथ ही यह चेतावनी भी दी है कि यदि बिना पर्याप्त राजकोषीय उपायों के आर्थिक गतिविधियों पर प्रतिबंध और अधिक बढ़ाया जाता है तो वैश्विक अर्थव्यवस्था और अधिक प्रभावित हो सकती है।

प्रमुख बिंदु

  • संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक मामलों के विभाग (United Nations Department of Economic and Social Affairs- UN DESA) द्वारा किये गए विश्लेषण के अनुसार, कोरोनावायरस (COVID-19) महामारी वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को बाधित कर रही है।
  • ध्यातव्य है कि बीते महीने के दौरान लगभग 100 देशों ने अपनी राष्ट्रीय सीमाओं को बंद कर दिया है, जिसके कारण लोगों का आवागमन और पर्यटन की गति पूरी तरह से रुक गई है, जो कि वैश्विक वृद्धि में बाधा बन गया है।
  • DESA के अनुसार, ‘विश्व के लगभग सभी देशों में लाखों श्रमिकों को नौकरी के संकट का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा विभिन्न सरकारें कोरोनावायरस के प्रकोप से निपटने के लिये बड़े प्रोत्साहन पैकेजों पर भी विचार कर रही हैं, जिनके कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था और अधिक प्रभावित हो सकती है।’
    • उल्लेखनीय है कि वर्ष 2009 में वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान वैश्विक अर्थव्यवस्था में 1.7 प्रतिशत की कमी आई थी। 
  • विदित हो कि DESA द्वारा किये गए विश्लेषण के अनुसार, कोरोनावायरस (COVID-19) के प्रकोप से पूर्व विश्व उत्पादन में वर्ष 2020 में 2.5 प्रतिशत की गति से वृद्धि होने की उम्मीद थी।

चुनौतियाँ

  • अनुमान के अनुसार, यदि सरकारें आय सहायता प्रदान करने और उपभोक्ता को खर्च करने हेतु प्रेरित करने में विफल रहती हैं तो वैश्विक अर्थव्यवस्था में और अधिक कमी आ सकती है।
  • DESA के अनुसार वैश्विक अर्थव्यवस्था पर कोरोनावायरस (COVID-19) की गंभीरता का प्रभाव मुख्य रूप से दो कारकों पर निर्भर करेगा- लोगों की आवाजाही और प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में आर्थिक गतिविधियों पर प्रतिबंध की अवधि; और संकट के लिये राजकोषीय उपायों का वास्तविक आकार और प्रभावकारिता।
  • DESA के पूर्वानुमान के अनुसार, यूरोप और उत्तरी अमेरिका में लॉकडाउन ने सेवा क्षेत्र को काफी बुरी तरह से प्रभावित किया गया है, विशेष रूप से ऐसे उद्योग जिनमें प्रत्यक्ष वार्ता शामिल है जैसे- खुदरा व्यापार, हॉस्पिटैलिटी, मनोरंजन और परिवहन आदि।
  • विश्लेषण के अनुसार, दुनिया भर के सभी व्यवसाय अपना राजस्व खो रहे हैं, जिसके कारण बेरोज़गारी में तेज़ी से वृद्धि होने की संभावना है।
  • विश्लेषण में यह भी चेतावनी दी गई है कि विकसित अर्थव्यवस्थाओं में लंबे समय तक आर्थिक प्रतिबंधों का नकारात्मक प्रभाव जल्द ही व्यापार और निवेश के माध्यम से विकासशील देशों को प्रभावित करेगा।
    • यूरोपीय संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका में उपभोक्ता खर्च में तेज़ी से हो रही गिरावट विकासशील देशों से उपभोक्ता वस्तुओं के आयात को प्रभावित करेगा।
  • पर्यटन और कमोडिटी निर्यात पर निर्भर विकासशील देश विशेष रूप से आर्थिक जोखिम का सामना कर रहे हैं।
  • इस महामारी के प्रभावस्वरूप वैश्विक विनिर्माण उत्पादन में उल्लेखनीय कमी कर सकता है और यात्रियों की संख्या में हुई तीव्र गिरावट ऐसे देशों की अर्थव्यवस्था को काफी प्रभैत करेगा जो मुख्य रूप से पर्यटन पर निर्भर हैं।

उपाय

  • विश्लेषकों के अनुसार, वैश्विक अर्थव्यवस्था पर वायरस के प्रभाव को कम करने के लिये सही ढंग से तैयार किया गया राजकोषीय प्रोत्साहन पैकेज की आवश्यकता है, जिसमें वायरस के प्रसार को रोकने के लिये स्वास्थ्य व्यय को प्राथमिकता और महामारी से प्रभावित परिवारों को आर्थिक सहायता प्रदान करना शामिल हो।
  • आर्थिक और सामाजिक मामलों के महासचिव के अनुसार, सभी राष्ट्रों को कुछ तात्कालिक नीतिगत उपायों की आवश्यकता है, जो न केवल महामारी को रोकने और जीवन को बचाने की दिशा में कार्य करें बल्कि समाज में सबसे कमज़ोर व्यक्ति को आर्थिक संकट से बचाने और आर्थिक विकास तथा वित्तीय स्थिरता बनाए रखने में भी सहायक हों।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस