वैश्विक जलवायु जोखिम सूचकांक 2020 | 05 Dec 2019

प्रीलिम्स के लिये:

वैश्विक जलवायु जोखिम सूचकांक

मेन्स के लिये:

जलवायु परिवर्तन संबंधी मुद्दे

चर्चा में क्यों?

हाल ही में पर्यावरण थिंक टैंक जर्मनवाच द्वारा वैश्विक जलवायु जोखिम सूचकांक जारी किया गया।

प्रमुख बिंदु:

  • रिपोर्ट के अनुसार, विगत 20 वर्षों में कुल 12000 मौसम संबंधी घटनाओं में लगभग 5,00,000 लोगों की मौत हुई और लगभग 3.54 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान हुआ।
  • वैश्विक जलवायु जोखिम सूचकांक के अनुसार, वर्ष 2018 में जापान, फिलीपींस और जर्मनी सबसे अधिक जलवायु परिवर्तन से प्रभावित देश पाए गए, इसके बाद क्रमशः मेडागास्कर, भारत और श्रीलंका का स्थान रहा।
    • जापान ने वर्ष 2018 में अत्यधिक बारिश के बाद बाढ़, गर्मी और गत 25 वर्षों में सबसे विनाशकारी तूफान जेबी का सामना किया।
    • रिपोर्ट के अनुसार वर्ष का सबसे शक्तिशाली श्रेणी-5 का मैंगहट तूफान सितंबर महीने में उत्तरी फिलीपींस से होकर गुज़रा।
    • इसकी वजह से करीब ढाई लाख लोगों को विस्थापित होना पड़ा और प्राण घातक भूस्खलन की घटनाएँ हुईं।
    • जर्मनी को वर्ष 2018 में दीर्घकालिक गर्मी और सूखे का सामना करना पड़ा। जमर्नी के औसत तापमान में लगभग तीन डिग्री सेल्सियस की वृद्धि दर्ज़ की गई।
    • मेडागास्कर को विनाशकारी तूफान एवा का सामना करना पड़ा।
    • भारत में केरल में आई बाढ़ के अलावा पूर्वी तटों को तितली और गाज़ा तूफानों का भी सामना करना पड़ा जिसमें लगभग 1000 लोगों को अपनी जान गँवानी पड़ी।
      • केरल में आई बाढ़ पिछले 100 सालों में सबसे विनाशकारी साबित हुई।
      • इसमें लगभग 2,20,000 लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा।
      • 20000 घर और 80 बाँध बर्बाद हो गए इसके अलावा लगभग 2.8 बिलियन डॉलर की क्षति हुई।
  • वर्ष 1999 से 2018 तक जलवायु परिवर्तन से सबसे अधिक प्रभावित देश प्यूर्टो रिको, म्याँमार और हैती रहे हैं।
    • रिपोर्ट के अनुसार इस पूरी अवधि में जलवायु परिवर्तन से प्रभावित देशों की सूची में फिलीपींस, पाकिस्तान और वियतनाम क्रमशः चौथे, पांचवे और छठे स्थान पर है।
  • रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2018 में जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाली क्षति का एक प्रमुख कारण हीटवेव थीं।
  • रिपोर्ट में COP 25 सम्मेलन में मौसम जनित समस्याओं से प्रभावित देशों के आर्थिक मदद के लिये विचार करने की बात की गई है।

Climate Risk Index

वैश्विक जलवायु जोखिम सूचकांक:

  • इस सूचकांक के अंतर्गत जलवायु परिवर्तन के कारण उत्पन्न मौसम सम्बन्धी समस्याओं के वैश्विक स्तर पर पड़ने वाले प्रभाव का विश्लेषण किया जाता है।

स्रोत: द हिंदू