पारंपरिक चिकित्सा के लिये वैश्विक केंद्र: गुजरात | 19 Apr 2022

प्रिलिम्स के लिये:

GCTM, WHO, पारंपरिक चिकित्सा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस

मेन्स के लिये:

ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन (GCTM) और इसका महत्त्व, पारंपरिक औषधि

चर्चा में क्यों?

हाल ही में गुजरात के जामनगर में अपनी तरह के पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) पारंपरिक चिकित्सा वैश्विक केंद्र/ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन (GCTM) के लिये शिलान्यास समारोह आयोजित किया गया था।

  • इसके अतिरिक्त वैश्विक आयुष निवेश और नवाचार सम्मेलन इस महीने के अंत में गांधीनगर में आयोजित किया जाएगा, जिसका उद्देश्य पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र में निवेश और नवाचारों को बढ़ावा देना है।
    • यह दीर्घकालिक साझेदारी और निर्यात को बढ़ावा देने तथा एक स्थायी पारिस्थितिकी तंत्र का पोषण करने का एक अनूठा प्रयास है।

GCTM की स्थापना का उद्देश्य:

  • तकनीकी प्रगति के साथ एकीकरण:
    • केंद्र का लक्ष्य पारंपरिक चिकित्सा की क्षमता को तकनीकी प्रगति और साक्ष्य-आधारित अनुसंधान के साथ एकीकृत करना है।
  • नीतियाँ और मानक निर्धारित करना:
    • यह पारंपरिक चिकित्सा उत्पादों पर नीतियों और मानकों को निर्धारित करने की कोशिश करेगा साथ ही देशों को एक व्यापक, सुरक्षित व उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य प्रणाली बनाने में मदद करेगा।
  • WHO की रणनीति को लागू करने हेतु समर्थन प्रयास:
    • यह WHO’s की पारंपरिक चिकित्सा रणनीति (2014-23) को लागू करने के प्रयासों का समर्थन करेगा।
      • इसका उद्देश्य सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज़ के लक्ष्य को आगे बढ़ाने में पारंपरिक चिकित्सा की भूमिका को मज़बूत करने के लिये नीतियों और कार्य योजनाओं को विकसित करने में राष्ट्रों का समर्थन करना है।
    • WHO’s के अनुमान के अनुसार, दुनिया की 80% आबादी पारंपरिक चिकित्सा का उपयोग करती है।
    • भारत ने GCTM’s की स्थापना, बुनियादी ढाँचे और संचालन का समर्थन करने के लिये अनुमानित 250 मिलियन अमेरिकी डॉलर की मदद का वादा किया है।
  • चार मुख्य रणनीतिक क्षेत्रों पर ध्यान देना:
    • साक्ष्य और अधिगम
    • डेटा और विश्लेषण
    • स्थिरता और इक्विटी 
    • वैश्विक स्वास्थ्य के लिये पारंपरिक चिकित्सा के योगदान को अनुकूलित करने के लिये नवाचार और प्रौद्योगिकी।

पारंपरिक चिकित्सा (Traditional Medicine):

  • परिचय:
    • WHO के अनुसार पारंपरिक चिकित्सा "ज्ञान, कौशल और प्रथाओं का कुल योग है जो स्वदेशी और विभिन्न संस्कृतियों ने समय के साथ स्वास्थ्य को बनाए रखने तथा शारीरिक एवं मानसिक बीमारी को रोकने, निदान और उपचार करने के लिये उपयोग किया है"।
    • इसकी पहुँच में प्राचीन प्रथाओं जैसे एक्यूपंक्चर (Acupuncture), आयुर्वेदिक दवा और हर्बल मिश्रण के साथ-साथ आधुनिक औषधि भी शामिल हैं।
  • भारत में पारंपरिक चिकित्सा:
    • भारत में इसे अक्सर प्रथाओं और उपचारों जैसे कि योग, आयुर्वेद, सिद्ध के रूप में परिभाषित किया जाता है। 
      • ये उपचार और प्रथाएँ ऐतिहासिक रूप से और साथ ही अन्य भारतीय परंपरा का हिस्सा रही हैं - जैसे की होम्योपैथी (जो वर्षों से भारतीय परंपरा का एक हिस्सा है)।
      • तमिलनाडु और केरल में मुख्य रूप से सिद्ध प्रणाली का पालन किया जाता है
      • सोवा-रिग्पा प्रणाली मुख्य रूप से लेह-लद्दाख तथा हिमालयी क्षेत्रों जैसे सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, दार्जिलिंग, लाहौल और स्पीति में प्रचलित है।

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पारंपरिक चिकित्सा के ज्ञान को आगे बढ़ाने की क्या आवश्यकता:

  • पारंपरिक चिकित्सा में एकीकरण का अभाव:
    • राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणालियाँ और रणनीतियाँ अभी तक पारंपरिक चिकित्सा कर्मियों, मान्यता प्राप्त पाठ्यक्रमों और स्वास्थ्य सुविधाओं को पूरी तरह से एकीकृत नहीं करती हैं।
  • जैव विविधता का संरक्षण:
    • जैव विविधता और और उसके स्थिर संरक्षण की आवश्यकता है क्योंकि आज अनुमोदित फार्मास्युटिकल उत्पादों में से लगभग 40% प्राकृतिक पदार्थों से ही प्राप्त होते हैं।
      • उदाहरण के लिये: एस्पिरिन की खोज विलो पेड़ की छाल का उपयोग कर पारंपरिक चिकित्सा योग पर आधारित थी, गर्भनिरोधक गोली जंगली रतालू पौधों की जड़ों से विकसित की गई थी और कैंसर के उपचार गुलाबी पेरिविंकल पर आधारित थे।
  • पारंपरिक चिकित्सा के अध्ययन में आधुनिकीकरण:
    • डब्ल्यूएचओ ने पारंपरिक चिकित्सा के अध्ययन के तरीकों के आधुनिकीकरण का उल्लेख किया है। 
      • वर्तमान में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग पारंपरिक चिकित्सा के  साक्ष्य और रुझानों को मानचित्रित करने के लिये किया जाता है।
      • कार्यात्मक चुंबकीय अनुनाद इमेजिंग (Functional Magnetic Resonance Imaging) का उपयोग मस्तिष्क गतिविधि और विश्राम प्रतिक्रिया का अध्ययन करने हेतु किया जाता है जो कुछ पारंपरिक चिकित्सा उपचारों जैसे ध्यान और योग का हिस्सा है तथा जिन्हें तनावपूर्ण समय में मानसिक स्वास्थ्य में सुधार के लिये शीघ्रता से तैयार किया जाता हैं।
  • अन्य देशों के लिये एक हब के रूप में सेवा करना:
    • पारंपरिक औषधियों को भी मोबाइल फोन एप्स, ऑनलाइन कक्षाओं और अन्य तकनीकों द्वारा व्यापक रूप से अद्यतन किया जा रहा है।
    • GCTM अन्य देशों के लिये एक हब के रूप में कार्य करेगा और पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों और उत्पादों पर मानकों का निर्माण करेगा।

भारत द्वारा पूर्व में किये गए समान सहयोगात्मक प्रयास:

  • परियोजना सहयोग समझौता (PCA) :
    • वर्ष 2016 में आयुष मंत्रालय द्वारा पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र में WHO के साथ एक परियोजना सहयोग समझौते (PCA) पर हस्ताक्षर किये गए।
      • इसका उद्देश्य पारंपरिक चिकित्सा संबंधी चिकित्सकों के लिये योग, आयुर्वेद, यूनानी और पंचकर्म में प्रशिक्षण हेतु मानक निर्मित करना था।
      • सहयोग का उद्देश्य डब्ल्यूएचओ की पारंपरिक और पूरक चिकित्सा रणनीति के विकास और कार्यान्वयन में डब्ल्यूएचओ का समर्थन करके पारंपरिक चिकित्सा और उपभोक्ता संरक्षण की गुणवत्ता तथा सुरक्षा को बढ़ावा देना है।
  • संबंधित समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर:
    • अमेरिका, जर्मनी, ब्रिटेन, कनाडा, मलेशिया, ब्राज़ील, ऑस्ट्रेलिया, ऑस्ट्रिया, ताज़िकिस्तान, सऊदी अरब, इक्वाडोर, जापान, रीयूनियन द्वीप, कोरिया और हंगरी इंडोनेशिया के संस्थानों, विश्वविद्यालयों तथा संगठनों के साथ सहयोगात्मक अनुसंधान एवं  पारंपरिक औषधि के विकास हेतु  कम से कम 32 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किये  गए हैं।।
    • इसके अलावा वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) तथा बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन द्वारा भारत के भीतर और बाहर शोधकर्त्ताओं  के बीच वैज्ञानिक एवं तकनीकी अनुसंधान के अवसरों की पहचान करने हेतु एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गये हैं। पारंपरिक औषधि के साथ-साथ अन्य क्षेत्रों में फाउंडेशन-वित्त पोषित संस्थाओं के साथ सहयोग भी शामिल है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस