वायु कनेक्टिविटी: संभावनाएँ एवं विकास | 29 Aug 2019

संदर्भ

भारत के बहुत कम राज्यों में नागरिक उड्डयन विभाग (Civil Aviation Departments) सक्रिय हैं। वर्तमान में भारत में विमानन बाज़ार की पहुँच केवल 7% है। जबकि भारत में घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों की अधिकता को देखते हुए यह अनुमान लगाया जाता है कि भारतीय विमानन क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर शीर्ष तीन देशों में शामिल होने की क्षमता है।

राज्यों की निष्क्रिय भूमिका

  1. नागरिक उड्डयन केंद्रीय क्षेत्र का विषय है और राज्य इसके प्रति उदासात्मक रवैया अपनाते हैं।
  2. जब केंद्र सरकार ने हवाई अड्डों का विकास जारी रखा और हवाई संपर्क को बढ़ाया उसमें भी राज्यों की भूमिका निष्क्रिय थी।

राज्यों की बढ़ती हुई भूमिका

  1. राज्यों के सहयोग को नागरिक उड्डयन क्षेत्र की वृद्धि में एक प्रमुख कारक के रूप में देखा जाता है।
  2. क्षेत्रीय कनेक्टिविटी स्कीम, उड़े देश का आम नागरिक (Ude Desh ka Aam Naagrik- UDAN) इस क्षेत्र के विकास में राज्य सरकारों की हिस्सेदारी को विकसित करने के लिये एक अंतर्निहित तंत्र है।
  3. केंद्र सरकार के साथ 30 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने पहले ही एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर कर दिये हैं।
  4. ‘उड़ान’ को सुलभ और सस्ता बनाने के लिये अब राज्यों और केंद्र की नीतियों को आपस में जोड़ा जा रहा है।

ईंधन का मूल्य निर्धारण

  1. भारत में किसी भी एयरलाइन के लिये विमानन टरबाइन ईंधन (Aviation Turbine Fuel-ATF) की लागत कुल परिचालन लागत की लगभग 40% है।
  2. पेट्रोलियम उत्पादों को GST से बाहर रखना राज्य सरकारों के लिये अनिवार्य हो सकता है।
  3. राज्यों द्वारा ATF पर लगाए जाने वाले मूल्य वर्द्धित कर (VAT) की दर 25% है जो कि बहुत अधिक है तथा यह नागरिक उड्डयन की विकास दर को कम कर देती है।
  4. इस क्षेत्र में हवाई संपर्क के विस्तार के परिणामस्वरूप बढ़ी आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि हो रही है, जिसके द्वारा किसी भी उल्लेखनीय राजस्व हानि की भरपाई की जा सकती है।
  5. एक अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (International Civil Aviation Organization- ICAO) के अध्ययन से पता चला है कि नागरिक उड्डयन के आउटपुट गुणक और रोज़गार गुणक क्रमशः 3.25 और 6.10 हैं।
  6. UDAN ने राज्य सरकारों को इस योजना के तहत संचालित उड़ानों के लिये ATF पर VAT को 1% तक कम करने के लिये प्रेरित किया है।
  7. झारसुगुड़ा (ओडिशा) और कोल्हापुर (महाराष्ट्र) जैसे हवाई अड्डों ने इन दुर्गम क्षेत्रों को जोड़ने के लिये एयरलाइनों को सफलतापूर्वक आकर्षित किया है।

एयरपोर्ट विकास (Airport development)

  1. कई क्षेत्रीय हवाई अड्डे ऐसे हैं जो राज्यों द्वारा अपने दम पर या भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (Airports Authority of India-AAI) के सहयोग से विकसित किये जा सकते हैं।
  2. अवसंरचना विकास के लिये सार्वजनिक-निजी साझेदारी के विभिन्न मॉडलों का लाभ उठाया जा सकता है।
  3. ‘नो-फ्रिल एयरपोर्ट्स' (No-Frill Airports) बनाने के लिये नवाचारी मॉडलों को खोजा जा सकता है।
  4. भारत में आज़ादी के बाद से अब तक लगभग 70 हवाई अड्डे थे। UDAN के तहत केंद्र सरकार ने पिछले दो वर्षों में 24 Unserved Airports का संचालन किया है तथा अगले 5 वर्षों में 100 और विकसित किये जाने की योजना हैं।

आंतरिक भाग (Hinterland) को जोड़ना

  1. राज्य और केंद्र सरकार दूरदराज के क्षेत्रों में हवाई सेवा विकसित करने के लिये एयरलाइंस का समर्थन करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।
  2. एयरलाइंस और एयरपोर्ट ऑपरेटरों की परिचालन लागत को कम करने के लिये राज्य सरकारों को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिये; उदाहरण के लिये, वैट में कमी करने जैसे वित्तीय समर्थन; एयरलाइनों के साथ व्यवहार्यता अंतर वित्त पोषण तथा गैर-वित्तीय प्रोत्साहन जैसे हवाई अड्डे के संचालकों को मुफ्त में सुरक्षा प्रदान करना, आदि कार्य किये जा सकते हैं।
  3. केंद्र सरकार ने ATF पर उत्पाद शुल्क में रियायतों को घोषणा की हैं और हवाई अड्डों के विकास के लिये बजटीय आवंटन भी सुनिश्चित किया हैं। इसने एयरलाइंस ट्रंक मार्गों के बजाय क्षेत्रीय असंबद्ध मार्गों पर कार्य करने के लिये प्रोत्साहित करने का काम किया है।

आगे की राह

क्षेत्रीय से लेकर सुदूर क्षेत्रों तक कनेक्टिविटी को बढ़ाने के लिये एयरलाइंस को आकर्षित करने हेतु निम्न हस्तक्षेप आवश्यक हैं:

  1. अवसंरचनात्मक बाधाओं और दुर्गम भू-भाग को ध्यान में रखते हुए छोटे विमान ऑपरेटरों को प्रोत्साहित करना।
  2. ऐसे क्षेत्र जिन्हें सड़क या रेल द्वारा सार्थक रूप से नहीं जोड़ा जा सकता हैं उन्हें हवाई मार्ग से जोड़ा जाना चाहिये।
  3. हवाई संपर्क न केवल यात्रा के समय को कम करेगा बल्कि आपात स्थिति में भी एक वरदान साबित होगा।
  4. यह पूर्वोत्तर भारत, द्वीपों और पहाड़ी राज्यों के लिये भी उपयोगी साबित होगा।
  5. राज्यों को क्षेत्रीय कनेक्टिविटी के उद्देश्यों को पूरा करने के लिये हवाई संपर्क का समर्थन करना चाहिये तथा पर्यटन, स्वास्थ्य और बीमा से संबंधित अपनी प्रासंगिक योजनाओं को अधिक सफल बनाने के प्रयास करने चाहिये।
  6. राज्यों को विमानन क्षेत्र की सुविधा के लिये एक अनुकूल व्यापार वातावरण बनाने की आवश्यकता है। केंद्र और राज्य दोनों सरकारों के सहयोग से हवाई अड्डों के विकास, विमान सेवाओं के विकास में तेज़ी आ सकती है।

स्रोत: द हिंदू