जीनोम प्रोजेक्ट से मानव विकास का अध्ययन | 13 Jul 2017

संदर्भ
विदित हो कि भारतीय वैज्ञानिक देश के कई नृजातीय समुदायों के हज़ारों जीनोमों का प्रतिचित्रण करने के लिये एक महत्त्वाकांक्षी कार्यक्रम की कार्ययोजना बना रहे हैं। यह भारत द्वारा की गई ऐसी एक पहल है, जिससे उन जीनों और आनुवंशिक विविधताओं की पहचान करने में सहायता मिलेगी, जो विभिन्न वंशानुगत रोगों के कारण बनते हैं। वर्तमान में इन रोगों से प्रतिरक्षा के लिये कोई भी तकनीक अथवा कार्यक्रम उपलब्ध नहीं है।

प्रमुख बिंदु

  • इस प्रोजेक्ट को लॉन्च करने का निर्णय सेंटर फॉर ब्रेन रिसर्च (CBR) के प्रमुख जीनोम वैज्ञानिकों की बैठक में लिया गया था। सेंटर फॉर ब्रेन रिसर्च बंगलुरु में स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान का एक स्वायत्त निकाय है।
  • वैज्ञानिकों का कहना था कि भारत ने कभी भी मानव-जीनोमों के प्रतिचित्रण को महत्त्व नहीं दिया है, जबकि भारत जैसे जातीय विविधता वाले देश में अब तक कम से कम 1000 जीनोमों का प्रतिचित्रण हो जाना चाहिये था। 
  • व्यक्तियों में आनुवंशिक विविधताओं की पहचान करना स्वास्थ्य संबंधी रोगों के उपचार हेतु महत्त्वपूर्ण है तथा वे व्यक्तियों के विभिन्न समूहों के विकास, प्रवास और जनसंख्या का अध्ययन करने का एक उपयोगी उपकरण भी है।

क्यों महत्त्वपूर्ण है यह प्रोजेक्ट ?

  • प्रतिवर्ष भारत में जन्मजात रोगों से युक्त 1 लाख से अधिक बच्चों का जन्म होता है, परन्तु इसके लिये ज़िम्मेदार जीनों के विषय में सीमित जानकारी ही उपलब्ध है।
  • वर्तमान में सार्वजनिक रूप से कोई भी भारतीय जीनोम उपलब्ध नहीं है। यह जीनोम प्रोजेक्ट इस कमी को दूर करने में मददगार होगा।
  • इम्फाल में स्थित जैव संसाधन और सतत विकास संस्थान के निदेशक दीनबंधु साहू का कहना है कि वे इस उद्यम का हिस्सा बनने से काफी उत्साहित हैं। उनके अनुसार,वे देश के उत्तर-पूर्वी भाग के नमूनों को भी एकत्रित करेंगे। भारत के उत्तर-पूर्वी भाग में 220 से अधिक नृजातीय समूह विद्यमान हैं।