युद्ध बंदियों हेतु जिनेवा कन्वेंशन | 28 Feb 2019

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत ने पाकिस्तान के बालाकोट में जैश-ए-मुहम्मद के कैंप के खिलाफ कार्रवाई की थी जिसके प्रतिक्रियास्वरूप पाकिस्तानी एयरफोर्स ने भी भारतीय सैन्य स्थल पर कार्रवाई कर दी।

प्रमुख बिंदु

  • इस कार्रवाई में भारत को अपना एक मिग 21 खोना पड़ा, जबकि एक पायलट लापता हो गया। पाकिस्तान ने दावा किया है कि भारतीय वायुसेना का पायलट उनकी हिरासत में है।
  • भारत ने पाकिस्तान से विंग कमांडर अभिनंदन की रिहाई की मांग करते हुए जिनेवा कन्वेंशन, 1949 का हवाला दिया है।

जिनेवा कन्वेंशन, 1949

  • 1864 और 1949 के बीच जिनेवा में संपन्न जिनेवा कन्वेंशन (Geneva Convention) कई अंतर्राष्ट्रीय संधियों की एक ऐसी श्रृंखला है जो युद्धबंदियों (Prisoners of War-POW) और नागरिकों के अधिकारों को बरकरार रखने हेतु युद्ध में शामिल पक्षों को बाध्यकारी बनाती है।
  • जिनेवा कन्वेंशन में चार संधियाँ और तीन अतिरिक्त प्रोटोकॉल (मसौदे) शामिल हैं, जिनका मकसद युद्ध के वक्त मानवीय मूल्यों को बनाए रखने के लिये कानून तैयार करना है।
  • 1949 के समझौते में शामिल दो अतिरिक्त प्रोटोकॉल 1977 में अनुमोदित किये गए थे।
  • दुनिया के सभी देश जिनेवा कन्वेंशन के हस्ताक्षरकर्त्ता हैं। हालिया घटनाक्रम भी जिनेवा कन्वेंशन के दायरे में आता है क्योंकि जिनेवा कन्वेंशन के प्रावधान शांतिकाल, घोषित युद्ध और यहाँ तक कि उन सशस्त्र संघर्षों में भी लागू होते हैं जिन्हें एक या अधिक पक्षों द्वारा युद्ध के रूप में मान्यता नहीं दी गई हो।

युद्धबंदियों हेतु प्रावधान

  • जिनेवा कन्वेंशन के मुताबिक, युद्धबंदी के साथ अमानवीय बर्ताव नहीं किया जाएगा और उसे किसी भी तरह से प्रताड़ित या फिर उसका शोषण नहीं किया जाएगा।
  • जिनेवा कन्वेंशन के तहत कोई भी देश अपने युद्धबंदी को न तो अपमानित कर सकता है और न ही डरा-धमका सकता है।
  • कोई देश युद्धबंदी से उसकी जाति, धर्म या रंग-रूप के बारे में नहीं पूछ सकता और अगर कोशिश की भी जाए तो युद्धबंदी अपने नाम, सर्विस नंबर और रैंक के अलावा कुछ भी अन्य जानकारी नहीं देगा।
  • हिरासत में लेने वाला देश युद्धबंदी के खिलाफ संभावित युद्ध अपराध का मुकदमा चला सकता है, लेकिन उस हिंसा की कार्रवाई के लिये नहीं जो अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानूनों के तहत आती हो।
  • किसी देश का सैनिक जैसे ही पकड़ा जाता है उस पर यह संधि लागू हो जाती है।
  • कन्वेंशन के अनुसार, युद्ध खत्म होने पर युद्धबंदी को तुरंत रिहा किया जाना चाहिये।
  • युद्धबंदियों के साथ किसी भी तरह का भेदभाव नहीं किया जाएगा। कन्वेंशन के अनुच्छेद 3 के अनुसार, युद्धबंदियों का सही तरीके के इलाज किया जाएगा।
  • कोई भी देश अपने युद्धबंदी के साथ ऐसा व्यवहार नहीं कर सकता जिससे कि जनमानस के बीच किसी तरह की उत्सुकता पैदा हो।
  • जिनेवा कन्वेंशन के तहत युद्धबंदी को उचित भोजन दिया जाना चाहिये और हर तरह से उसकी देखभाल की जानी चाहिये।

स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस