सेना में लैंगिक समानता बहाल करने का प्रयास | 11 Sep 2017

चर्चा में क्यों?

  • सरकार ने भारतीय थलसेना की सैन्य पुलिस (Army’s Corps of Military Police) में महिला जवानों को भर्ती करने का निर्णय लिया है।
  • यह प्रयास इसलिये महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि महिलाओं को पहली बार सेना के गैर-अधिकारी कैडर में शामिल किया जाएगा। 
  • हालाँकि उन्हें युद्ध के मैदान से दूर ही रखा जाएगा यानी कि वे नॉन-कॉम्बैट (non-combat) जवानों की भूमिका में रहेंगी।

पृष्ठभूमि

  • दरअसल, लगभग 3,500 महिला अधिकारी सशस्त्र बलों का हिस्सा हैं, जिनमें से सभी नॉन-कॉम्बैट भूमिकाओं में हैं।
  • वर्ष 1992 में पहली बार मेडिकल कोर के अलावा अन्य कोर में महिला अधिकारियों को सेना में शामिल करने की अनुमति दी गई थी।
  • नौसेना में महिलाओं को अभी भी पनडुब्बियों और युद्धपोतों में सेवा देने की अनुमति नहीं है।
  • वहीं थलसेना उन्हें लड़ाई के मैदान में आगे नहीं रखती और न ही उन्हें टैंक यूनिट में सेवा देने का मौका मिलता है।

वर्तमान प्रयास

  • गौरतलब है कि भारतीय थलसेना की सैन्य पुलिस में महिलाओं को शामिल करने की एक योजना को अंतिम रूप दे दिया गया है। इस प्रयास को सेना में लिंग समानता सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
  • इस प्रयास के तहत सैन्य पुलिस में करीब 800 महिलाओं को शामिल किया जाएगा, जिनमें 52 महिला जवानों को हर साल शामिल करने की योजना है।

निष्कर्ष

  • हमारे देश में महिला अधिकारी सेनाओं में नॉन-कॉम्बेट रोल यानि प्रशासन, शिक्षा, सिग्नल्स, इंटेलीजेंस, इंजीनियरिंग, एटीसी इत्यादि में ही काम कर सकती हैं।
  • देश में महिलाओं को सेना में कॉम्बेट रोल देने के लिये काफी समय से आवाज उठ रही है, लेकिन सेनाएँ खुद महिलाओं की भूमिका को लेकर संशय में हैं।
  • यहाँ तक की रक्षा मंत्रालय के नेतृत्व में तीनों सेनाओं की एक उच्च स्तरीय समिति ने 2006 में और फिर 2011 में महिलाओं को लड़ाकू बेड़े में शामिल करने से साफ इंकार कर दिया था।
  • महिलाओं को एयर फोर्स में फाइटर स्ट्रीम में शामिल करने की घोषणा हो चुकी है, लेकिन नौसेना और थलसेना में ऐसे प्रयासों की कमी रही है। हालाँकि अब महिलाओं को सेना में महत्त्वपूर्ण भूमिका देने पर ज़ोर दिया जा रहा है।