गंगा के डेल्टा का जल-स्तर | 09 Jan 2020

प्रीलिम्स के लिये:

ग्लोबल वार्मिंग

मेन्स के लिये:

गंगा के डेल्टाई क्षेत्र में जलस्तर बढ़ने के अनुमान का कारण

चर्चा में क्यों?

हाल ही हुए में एक नए अध्ययन में पूर्वी भारत और बांग्लादेश के क्षेत्र में बहने वाली गंगा, ब्रह्मपुत्र और मेघना नदी के डेल्टा का जलस्तर इस सदी के अंत तक 1.4 मीटर तक बढ़ने का अनुमान लगाया है।

मुख्य बिंदु:

  • यह अध्ययन फ्राँस स्थित CNRS इंस्टीट्यूट सहित विभिन्न देशों के अध्ययनकर्त्ताओं द्वारा किया गया है।
  • जलस्तर में वृद्धि और भूस्खलन के क्षेत्रीय अनुमानों की जानकारी देने वाला यह अध्ययन PNAS नामक जर्नल में प्रकाशित किया गया।

अध्ययन से संबंधित प्रमुख तथ्य:

  • इस अध्ययन में जलस्तर में वृद्धि और और भूस्खलन के क्षेत्रीय अनुमानों के बारे में बताया गया है।
  • हालाँकि वैज्ञानिकों ने कहा है कि जलस्तर बढ़ने की सीमा और उससे पड़ने वाले प्रभावों के बारे में अभी भी पूरी जानकारी प्राप्त नहीं है।
  • वैज्ञानिकों ने कहा है कि यह क्षेत्र प्रायः तीव्र मानसूनी वर्षा, समुद्र के बढ़ते जलस्तर, नदियों के बहाव और भूस्खलन से भी प्रभावित रहता है।
  • वैज्ञानिकों का कहना है कि अब तक के पूर्वानुमान जल स्तर के अत्यधिक क्षेत्रीय मापों पर आधारित हैं।
  • वर्तमान अध्ययन में इस डेल्टा के 101 स्थानों पर समुद्र के जलस्तर का मासिक विश्लेषण किया गया।
  • इसके लिये उन्होंने भौगोलिक क्षेत्रों से संबंधित डेटा को एकत्र करते हुए स्थानीय प्रभावों को अलग कर उसकी गुणवत्ता मापी और समय के साथ-साथ जलस्तर में आए बदलावों का अनुमान लगाया।

वर्ष 2012 तक जलस्तर में तीन मिमी. तक की वृद्धि:

  • इस अध्ययन के अनुसार, वर्ष 1968 और 2012 के बीच जलस्तर में प्रति वर्ष औसतन तीन मिलीमीटर की वृद्धि हुई है।
  • यह समुद्र के जलस्तर में होने वाली वैश्विक वृद्धि की तुलना में अधिक है, जो इसी समयावधि में प्रति वर्ष 2 मिमी. है।

वर्ष 2012 तक भूस्खलन में 1 से 7 मिमी. तक की वृद्धि:

  • इस अध्ययन के अनुसार, वर्ष 1993 और 2012 के बीच डेल्टा में अधिकतम भूस्खलन एक से सात मिमी. प्रतिवर्ष के बीच था।
  • अध्ययन में कहा गया है कि यदि इसी दर से भूस्खलन जारी रहा तो 1986-2005 की तुलना में सदी के अंत तक ग्रीनहाउस गैस शमन परिदृश्य (Greenhouse Gas Mitigation Scenario) के बावजूद डेल्टा के जल स्तर में 85-140 सेमी. तक वृद्धि हो सकती है।

गंगा, ब्रह्मपुत्र और मेघना नदी का डेल्टाई क्षेत्र:

  • अध्ययनकर्त्ताओं के अनुसार, यह न केवल विश्व में सबसे बड़ा बल्कि सबसे घनी आबादी वाला डेल्टा है।
  • यह डेल्टा जलवायु परिवर्तन के लिये संवेदनशील स्थानों में से भी एक है।
  • बांग्लादेश के दो-तिहाई भाग तथा पूर्वी भारत के कुछ क्षेत्रों से निर्मित इस डेल्टा में पहले से ही बाढ़ का खतरा रहता है। इतना ही नहीं, इस क्षेत्र में अक्सर तीव्र मानसूनी बारिश, समुद्र के बढ़ते जलस्तर और भूस्खलन का भी प्रभाव रहता है।

बढ़ते हुए जलस्तर के कारण ज़मीन के पानी में डूबने की गति जलवायु परिवर्तन पर बनी सरकारों की समिति के आकलन से कहीं तेज़ है। इससे लोगों के जीवन पर पड़ने वाले प्रभावों को समझने के लिये विस्तृत अध्ययन की सिफारिश भी की गई है। हालाँकि अभी तक यह आकलन नहीं हुआ है कि कितने लोगों पर इसका क्या असर होगा। यदि यह क्षेत्र मानसूनी बाढ़ की चपेट में आता रहा तो इस क्षेत्र में समुद्र का जलस्तर बढ़ने से स्थायी बाढ़ के हालात बन सकते हैं।

स्रोत- बिज़नेस स्टैंडर्ड