गज यात्रा, मेघालय | 30 May 2018

संदर्भ

वर्ष 2014 में, मेघालय की गारो की पहाड़ियों के ग्रामवासियों ने अपने समुदाय के स्वामित्व वाली भूमि का प्रयोग हाथियों को रास्ता देने के लिये विलेज रिज़र्व फॉरेस्ट का निर्माण करने के लिये किया। उस भाव प्रदर्शन को ध्यान में रखते हुए, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय तथा वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया (WTI) ने गारो हिल्स के प्रमुख शहर तुरा से 'गज यात्रा' की शुरुआत की है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • 'गज यात्रा', "भारत के राष्ट्रीय विरासत पशु का उत्सव मानती हुई यात्रा" का उद्देश्य पूरे भारत में 100 हाथी गलियारों को सुरक्षित करना है। 
  • इन 100 गलियारों में से चार मेघालय में हैं, जिनमें सिजू-रिवाक गलियारा शामिल है जिसका प्रयोग 1,000 हाथियों द्वारा राज्य में बलपाकर और नोकरिक राष्ट्रीय उद्यानों के बीच यात्रा करने के लिए किया जाता है।
  • इस अभियान की शुरुआत गारो हिल्स से की गयी है, जहाँ लोगों ने मानव तथा हाथी के बीच सामंजस्य स्थापित करने तथा हूलोक गिबन (hoolock गिबन) जैसे जानवरों को संरक्षण प्रदान करने के लिये सामुदायिक वनों का निर्माण किया है।
  • इस कार्यक्रम में लोगों के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए जिलों में हाथी का शुभंकर लेना घूमना शामिल है।
  • राज्य में मानव-पशु संघर्षों के 14,700 मामले हुए हैं जो स्थान की संकीर्णता और कम भोजन उपलब्ध होने के कारण हो सकते हैं।
  • इस यात्रा की शुरुआत के दौरान मनुष्यों और जानवरों के बीच सह-अस्तित्व की ओर बढ़ने और पहल की सफलता के लिये संरक्षणवादियों की सहायता करने के समर्थन में, भूमि के पारंपरिक संरक्षक नोकमास की भूमिका को रेखांकित किया गया।
  • मानव बस्तियों के विस्तार के परिणामस्वरूप गारो हिल्स में हाथियों के निवास स्थान प्रभावित हुए हैं, जिससे संघर्ष हो रहा है।

गज यात्रा 

  • गज यात्रा का उद्घाटन 12 अगस्त, 2017 को विश्व हाथी दिवस के अवसर पर किया गया था।
  • हाथियों के संरक्षण के लिये राष्ट्रव्यापी अभियान ‘गज यात्रा’ का मूल उद्देश्य है।
  • यह अभियान हाथियों की बहुलता वाले 12 राज्यों में चलाया जाएगा।
  • मंत्रालय द्वारा 2012 में जारी किया गया ‘गजु’ शुभंकर हाथी, इस अभियान में प्रमुखता से शामिल किया जाएगा।
  • यह अभियान वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इण्डिया द्वारा चलाया जाएगा।

पृष्ठभूमि

हाथी (वैज्ञानिक नाम : Elephas Maximus indicus) विश्व में सबसे बड़ा स्थलीय स्तनधारी है। भारतीय हाथी मुख्यतः मध्य एवं दक्षिणी ‘पश्चिमी घाट’, उत्तर-पूर्व भारत तथा दक्षिणी प्रायद्वीपीय भारत के कुछ हिस्सों में पाया जाता है। इसे भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची-1 में तथा ‘पशु-पक्षियों की संकटग्रस्त प्रजातियों के अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर अभिसमय (CITES) के परिशिष्ट-1 (Appendix-1) में शामिल किया गया है।

  • 12 अगस्त, 2017 को केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा ‘पहले समन्वय-आधारित अखिल भारतीय हाथी संख्या आकलन’ (First-ever Synchronised All-India Elephant Population Estimation) के प्रारंभिक परिणाम जारी किये गए।
  • इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हाथियों की कुल संख्या 27,312 दर्ज की गई है।
  • देश में हाथियों की सर्वाधिक संख्या कर्नाटक (6049) में दर्ज की गई है।
  • इस दृष्टि से असम (5719) दूसरे तथा केरल (3054) तीसरे स्थान पर है।
  • उल्लेखनीय है कि भारत में हाथियों की पिछली गणना वर्ष 2012 में संपन्न हुई थी, जिसमें हाथियों की संख्या 29,391 और 30,711 के मध्य आँकी गई थी।