G-20 वर्चुअल बैठक | 23 Jul 2020

प्रीलिम्स के लिये:

G-20 समूह, डेटा स्थानीयकरण 

मेन्स के लिये:

वैश्वीकरण और डेटा सुरक्षा से संबंधित प्रश्न 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ‘G-20 डिजिटल अर्थव्यवस्था मंत्रियों’ (G-20 Digital Economy Ministers) की एक वर्चुअल बैठक के दौरान केंद्रीय संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ने सभी डिजिटल प्लेटफार्मों को नागरिकों के डेटा (Data) की गोपनीयता और इसकी रक्षा से जुड़ी चिंताओं के प्रति संवेदनशील तथा उत्तरदायी होने की आवश्यकता पर बल दिया है।

प्रमुख बिंदु:

  • 22 जुलाई, 2020 को सऊदी अरब की अध्यक्षता में G-20 समूह के तहत ‘G-20 डिजिटल अर्थव्यवस्था मंत्रियों’ की एक वर्चुअल बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक के दौरान केंद्रीय संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ने कहा कि वर्तमान में डेटा के क्षेत्र में नवाचार और डेटा के स्वतंत्र प्रवाह के साथ-साथ हमें डेटा की संप्रभुता को समझना बहुत ही आवश्यक है।
  • साथ ही उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि डेटा पर पूर्ण रूप से संबंधित संप्रभु राष्ट्र का अधिकार होना चाहिये।
  • हालाँकि सुरक्षा के साथ-साथ डेटा क्षेत्र में नवाचारों को अवसर प्रदान करना भी आवश्यक है अतः दोनों में संतुलन बनाए रखना बहुत ही आवश्यक है।
  • इन चिंताओं को देखते हुए विश्व भर में उपस्थिति डिजिटल प्लेटफॉर्म को विश्वसनीय और सुरक्षित होना चाहिये।
    • गौरतलब है कि हाल ही में केंद्र सरकार ने चीन से जुड़े हुए 59 मोबाइल एप पर प्रतिबंध लगा दिया था।   

COVID-19 और डिजिटल तकनीकी:

  • इस बैठक में केंद्रीय संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ने COVID-19 के नियंत्रण हेतु भारत के प्रयासों को रेखांकित किया।  ‘
  • उन्होंने इस महामारी को रोकने के लिये भारत सरकार द्वारा आरोग्य सेतु एप, क्वारंटाइन चेतावनी प्रणाली (COVID-19 Quarantine Alert System- CQAS) और COVID-19 सावधान (बल्‍क मैसेजिंग प्रणाली) के महत्त्वपूर्ण योगदान से जुड़े अनुभव साझा किये। 

डेटा (Data):  

  • सूचना प्रोद्योगिकी के क्षेत्र में डेटा से आशय जानकारियों और सूचनाओं के ऐसे स्वरूप से है  जो कंप्यूटर के पढ़ने या प्रसंस्करण (Processing) के लिये उपयुक्त होता है।  
  • सामान्य भाषा में देखा जाए तो दैनिक जीवन में लोगों द्वारा मोबाइल या कंप्यूटर द्वारा भेजे जाने वाले संदेश, चित्र, सोशल मीडिया की गतिविधियाँ और ऑनलाइन खरीद की जानकारी से लेकर फिंगर प्रिंट, संवेदनशील सरकारी दस्तावेज़ आदि डेटा का उदाहरण हैं। 

डेटा स्थानीयकरण की आवश्यकता क्यों?

  • हाल के वर्षों में वैश्विक बाज़ार में डेटा नईं पूंजी बनकर उभरा है, डेटा स्थानीयकरण के कुछ महत्त्वपूर्ण कारक निम्नलिखित हैं-
    • राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता:  डेटा के स्थानीयकरण के माध्यम से राष्ट्रीय हितों (आर्थिक और रणनीतिक) में इसका प्रयोग किया जा सकता है। साथ ही डेटा से जुड़ी किसी गैर-कानूनी गतिविधि की स्थिति में भारतीय कानूनों के तहत इसके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।  
    • आर्थिक हित:  डेटा स्थानीयकरण से स्थानीय उद्योगों को बाज़ार की प्रतिस्पर्द्धा में मज़बूत बढ़त प्राप्त होगी जिससे देश में आधारभूत संरचना के विकास के साथ स्थानीय स्तर पर रोज़गार के नए अवसर उत्पन्न किये जा सकेंगे। साथ ही यह कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence-AI) जैसे तकनीकी क्षेत्रों में नवोन्मेष को बढ़ावा देनी में भी सहायक होगा।   
    • नागरिक स्वतंत्रता का संरक्षण:  डेटा के स्थानीयकरण से लोगों की व्यक्तिगत जानकारियों की गोपनीयता और सुरक्षा (Privacy and Security)  को सुनिश्चित किया जा सकेगा। साथ ही नागरिक अधिकारों का  उल्लंघन होने पर आसानी से कानूनी कार्रवाई की जा सकेगी।   

G-20 देश और डेटा सुरक्षा:

  • 22 जुलाई की बैठक के अंत में एक मंत्रिस्तरीय घोषणापत्र जारी किया गया।  
  • इसके अनुसार- डेटा, सूचना, विचारों और ज्ञान का सीमा पार प्रवाह से उच्च उत्पादकता, उन्नत नवाचार और बेहतर सतत् विकास को को बढ़ावा मिलता है।
  • हालाँकि इस घोषणापत्र में इस बात को स्वीकार किया गया कि डेटा का मुक्त प्रवाह कुछ चुनौतियों (जैसे-गोपनीयता और व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा) को बढ़ाता है।
  • इस घोषणापत्र में डिजिटल अर्थव्यवस्था को परिभाषित करने और मापने के लिये "डिजिटल अर्थव्यवस्था को मापने हेतु सामान्य रूपरेखा" (Common Framework for Measuring the Digital Economy) नामक G-20 रोडमैप  को शामिल किया गया।
    • इसमें शामिल संकेतक बुनियादी ढांचे, प्रौद्योगिकी और नवाचारों, समाज को सशक्त बनाने, नौकरियों और कौशल विकास से संबंधित हैं।
    • इस घोषणा-पत्र में ‘कृत्रिम बुद्धिमत्ता के लिये मानव केंद्रित दृष्टिकोण’ (human-centered approach to AI) पर बल दिया गया।  

डेटा सुरक्षा से जुड़े मतभेद:

  • राष्ट्रीय सीमाओं के बीच डेटा के प्रवाह को प्रतिबंधित करने और डेटा संरक्षण कानूनों के संदर्भ में वैश्विक स्तर पर देशों के बीच बड़ा मतभेद रहा है।  
  • गौरतलब है कि वर्ष 2019 में जापान के ओसाका शहर में आयोजित G-20 देशों के 14 वें शिखर सम्मेलन के दौरान G-20 देशों ने ‘ओसाका ट्रैक’ (Osaka track) फ्रेमवर्क के तहत राष्ट्रीय सीमाओं के बीच डेटा के प्रवाह को प्रोत्साहित किया था।
  • परंतु भारत ने डेटा-स्थानीयकरण की विचारधारा का समर्थन करते हुए इस समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किये थे।            

डेटा सुरक्षा हेतु भारत सरकार के प्रयास:

  • भारत में शीघ्र ही एक मज़बूत व्यक्तिगत डेटा सुरक्षा कानून लाने की तैयारी की जा रही है, जो न सिर्फ नागरिकों की डेटा गोपनीयता से जुड़ी चिंताओं को दूर करेगा बल्कि नवाचार और आर्थिक विकास के लिये डेटा की उपलब्धता सुनिश्चित करेगा। 
  • भारत में किसी व्यक्ति द्वारा कंप्यूटर  में सग्रहित डेटा से छेड़छाड़, किसी की निजता का उल्लंघन, डेटा का अनधिकृत उपयोग, फर्ज़ी डिजिटल हस्ताक्षर का प्रयोग और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मामलों में ‘सूचना तकनीक अधिनियम, 2000’ के तहत कार्रवाई की जा सकती है।     

अन्य प्रयास:

  • वर्ष 2018 में न्यायमूर्ति बी. एन. श्रीकृष्ण की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति ने डेटा संरक्षण पर एक मसौदा प्रस्तुत किया था।
  • इस मसौदे के तहत व्यक्तिगत और संवेदनशील डेटा की सुरक्षा के संदर्भ में कड़े नियमों का सुझाव दिया गया था।  

आगे की राह:

  • इस बैठक के दौरान G-20 देशों के सदस्यों ने डेटा के मुक्त प्रवाह से जुड़ी चुनौतियों को उपयुक्त कानूनों के माध्यम से दूर करने की आवश्यकता को स्वीकार किया है। जिससे बिना किसी पक्षपात के डेटा के मुक्त प्रवाह को अधिक सुविधाजनक बनाते हुए उपभोक्ता और व्यापार के विश्वास (Consumer and Business Trust)को मज़बूत किया जा सके।
  • वर्तमान में सूचना प्रौद्योगिकी के विकास के साथ-साथ डेटा का महत्त्व हर क्षेत्र के भविष्य के लिये निर्णायक हो गया है ऐसे में नागरिकों की निजता, राष्ट्रीय सुरक्षा और तकनीकी विकास आदि जैसे पहलुओं को देखते हुए डेटा सुरक्षा और इसका स्थानीयकरण बहुत ही आवश्यक है।

स्रोत: द इंडियन एक्सप्रेस