आपदा प्रबंधन के लिये फ्यूल सेल प्रौद्योगिकी | 07 Mar 2020

प्रीलिम्स ले लिये:

फ्यूल सेल प्रौद्योगिकी

मेन्स के लिये:

आपातकालीन संचालन केंद्र

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ‘इंटरनेशनल एडवांस्ड रिसर्च फॉर पाउडर मेटलर्जी एंड न्यू मैटेरियल्स’ (International Advanced Research for Powder Metallurgy & New Materials- ARCI) विकास केंद्र, हैदराबाद के वैज्ञानिकों ने ‘पॉलिमर इलेक्ट्रोलाइट मेम्ब्रेन फ्यूल सेल’ (Polymer Electrolyte Membrane fuel cells- PEMFC) का विकास किया है।

मुख्य बिंदु:

  • ARCI विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (Centre of Department of Science and Technology- DST) का एक स्वायत्त अनुसंधान एवं विकास केंद्र है।
  • ARCI के फ्यूल सेल प्रौद्योगिकी केंद्र, चेन्नई द्वारा 1-20 किलोवाट (kW) की पावर रेंज वाले इन-हाउस PEMFC सिस्टम को विकसित किया है।

पॉलिमर इलेक्ट्रोलाइट मेम्ब्रेन फ्यूल सेल (PEMFC):

  • PEMFC हाइड्रोजन ईधन में संग्रहीत रासायनिक ऊर्जा को सीधे तथा दक्ष तरीके से विद्युत ऊर्जा में बदलता है साथ ही इसमें पारंपरिक बैटरी; जो ऊर्जा बैकअप के लिये ग्रिड-ऊर्जा पर निर्भर रहती है, की भी आवश्यकता नहीं होती है।
  • PEMFC तकनीक पर आधारित फ्यूल सेल का विकेंद्रीकृत बिजली उत्पादन प्रणालियों में अनुप्रयोग किया जा सकता है साथ ही इसका परिचालन कम तापमान पर किया जा सकता है।
  • ये सेल उप-उत्पाद के रूप में केवल जल का निर्माण करते हैं।

तकनीक के लाभ:

  • ऊर्जा के उपभोग में कमी आएगी तथा स्थायी विद्युत आपूर्ति संभव होगी।
  • प्रदूषक उत्सर्जन और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता में कमी आएगी।
  • विकेंद्रीकृत बिजली उत्पादन प्रणालियों में अनुप्रयुक्त करना संभव होगा।

आपातकालीन संचालन केंद्र:

  • 10 kW क्षमता से युक्त ‘आपातकालीन संचालन केंद्र’ (Emergency Operation Centres- EOC) का निर्माण किया जाएगा। इन EOC में फ्यूल सेल स्टैक (ग्रिड पावर की आवश्यकता के बिना हाइड्रोजन गैस का उपयोग करके स्थायी बिजली प्रदान करना) स्थापित किये जाएंगे ताकि लगातार विद्युत की आपूर्ति संभव हो सके।
  • इन EOC को एयर मूविंग सब सिस्टम, पावर कंट्रोल डिवाइसेज़ तथा कंट्रोल एंड मॉनिटरिंग सिस्टम को प्राकृतिक आपदा प्रबंधन उपायों के अनुरूप बनाया गया है।

आपदा प्रबंधन में अनुप्रयोग:

  • आपदा प्रबंधन चक्र में हाल ही में मूलभूत परिवर्तन (Paradigm Shift ) आया है तथा वर्तमान समय में आपदा अनुक्रिया-केंद्रित (Response-Centric) चरण के स्थान पर आपदा प्रबंधन चक्र के प्रारंभिक तथा आपदा के दौरान चरण पर अधिक बल दिया जा रहा है, ताकि भविष्य की आपात-स्थितियों का सामना किया जा सके।
  • इस हेतु सभी देश आपदा नियंत्रण कक्षों (Control Rooms) को आपातकालीन संचालन केंद्रों (EOC) में बदल रहे हैं।
  • EOC अत्याधुनिक संचार प्रणालियों से युक्त होते हैं तथा आपातकालीन स्थिति के दौरान EOC तुरंत प्रतिक्रिया करके आपदा के ‘गोल्डन हाॅवर’ (दुर्घटना के तुरंत बाद के कुछ घंटो का समय) के दौरान तत्काल सहायता प्रदान करते हैं।

आपदा प्रबंधन के चरण:

  • आपदा पूर्व-तैयारी (Pre-Crisis Preparedness):
    • रोकथाम (Prevention)
    • शमन (Mitigation)
    • तैयारी (Preparedness)
  • आपदा के दौरान
    • आपातकालीन प्रत्युत्तर तथा तुरंत सहायता उपलब्ध करना।

आपदा के बाद का चरण:

  • बचाव (Rescue)
  • राहत (Relief)
  • पुनर्वास (Rehabilitation)
  • पुनर्निर्माण (Reconstruction)

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तमिलनाडु सरकार की पहल:

  • वैज्ञानिकों द्वारा विकसित PEMFC तकनीक तमिलनाडु तथा देश के अन्य राज्यों में ऐसे आपातकालीन संचालन केंद्रों को स्थापित करने में मदद करेगी। अकेला तमिलनाडु राज्य प्रतिवर्ष 5-6 चक्रवातों से प्रभावित होता है, जिनमें से 2-3 चक्रवात गंभीर प्रकृति के होते हैं।
  • इन चुनौतियों को देखते हुए तमिलनाडु सरकार ने 10 kW क्षमता वाले फ्यूल सेल स्टैक प्रणाली के साथ मौजूदा नियंत्रण कक्ष को EOC में परिवर्तित करने का फैसला किया।

बदलती जनसांख्यिकी एवं सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों ने भारत में आपदा जोखिमों के प्रति सुभेद्यता को बढ़ा दिया है ऐसे में EOC का निर्माण इन आपदाओं से निपटने में मदद करेगा।

स्रोत: PIB