फ्रीबी कल्चर | 28 Jul 2022

प्रिलिम्स के लिये:

तर्कहीन फ्रीबीज़, सार्वजनिक वितरण प्रणाली, वित्तीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (FRBM), वित्त आयोग।

मेन्स के लिये:

फ्रीबीज़ और अर्थव्यवस्था पर इसका प्रभाव।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से पूछा कि क्या चुनाव अभियानों के दौरान तर्कहीन फ्रीबीज़ (मुफ्त उपहार) वितरित करना आर्थिक रूप से व्यवहार्य है।

  • इसने तर्कहीन चुनावी फ्रीबीज़ पर अंकुश लगाने में वित्त आयोग की विशेषज्ञता का उपयोग करने का भी उल्लेख किया है।
  • भारत निर्वाचन आयोग के अनुसार, क्या ऐसी नीतियाँ आर्थिक रूप से व्यवहार्य हैं या राज्य के आर्थिक स्वास्थ्य पर इसका प्रतिकूल प्रभाव एक ऐसा प्रश्न है जिस पर राज्य के मतदाताओं को विचार करना और निर्णय लेना है।

फ्रीबी:

राजनीतिक दल लोगों के वोट को सुरक्षित करने के लिये मुफ्त बिजली/पानी की आपूर्त्ति, बेरोज़गारों, दैनिक वेतनभोगी श्रमिकों और महिलाओं को भत्ता, साथ-साथ गैजेट जैसे- लैपटॉप, स्मार्टफोन आदि की पेशकश करने का वादा करते हैं।

राज्यों को कर्जमाफी या मुफ्त बिजली, साइकिल, लैपटॉप, टीवी सेट आदि के रूप में मुफ्त उपहार देने की आदत हो गई है।

  • लोकलुभावन वादों या चुनावों को ध्यान में रखकर किये जाने वाले ऐसे कुछ खर्चों पर निश्चय ही प्रश्न उठाए जा सकते हैं।
    • लेकिन यह देखते हुए कि पिछले 30 वर्षों से देश में समानता बढ़ रही है, सब्सिडी के रूप में आम आबादी को किसी प्रकार की राहत प्रदान करना अनुचित नहीं माना जा सकता, बल्कि वास्तव में अर्थव्यवस्था के विकास पथ पर बने रहने के लिये यह आवश्यक है।

फ्रीबीज़ की आवश्यकता:

  • विकास को सुगम बनाना: ऐसे कुछ उदाहरण हैं जो दिखाते हैं कि कुछ व्यय, परिव्यय के समग्र लाभ के रूप में होते हैं जैसे कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली, रोज़गार गारंटी योजनाएँ, शिक्षा के लिये समर्थन और विशेष रूप से महामारी के दौरान स्वास्थ्य सुविधा के लिये किया गया परिव्यय।
  • अल्प विकसित राज्यों को मदद: गरीबी से पीड़ित आबादी के एक बड़े हिस्से के साथ तुलनात्मक रूप से निम्न स्तर के विकास वाले राज्यों को इस तरह की निःशुल्क सुविधाएँ रूरत/मांपरआधारित होती हैं और इस क्रम में उनका उत्थान करने के लिये उन्हें सब्सिडी प्रदान करना अपरिहार्य हो जाता है।
  • अपेक्षाओं की पूर्ति: भारत जैसे देश में जहाँ राज्यों में विकास का एक निश्चित स्तर होता है (अथवा नहीं होता है), चुनाव के अवसर पर किये गए लोकलुभावन वायदे से जनता की अपेक्षाओं की पूर्ति की जाती है।

फ्रीबीज़ की कमियाँ:

  • समष्टि अर्थव्यवस्था के लिये अस्थिर: फ्रीबीज़ समष्टि अर्थव्यवस्था की स्थिरता के बुनियादी ढाँचे को कमजोर करते हैं, फ्रीबीज़ की राजनीति व्यय प्राथमिकताओं को विकृत करती है और यह परिव्यय किसी-न-किसी रूप में सब्सिडी पर केंद्रित रहता है।
  • राज्यों की वित्तीय स्थिति पर प्रभाव: निःशुल्क उपहार देने से अंततः सरकारी खजाने पर विपरीत प्रभाव पड़ता है और भारत के अधिकांश राज्यों में मज़बूत वित्तीय व्यवस्था नहीं है, अक्सर राजस्व के मामले में संसाधन बहुत सीमित होते हैं।
  • स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के खिलाफ: चुनाव से पहले सार्वजनिक धन से तर्कहीन मुफ्त का वादा मतदाताओं को अनुचित रूप से प्रभावित करता है, सभी को समान अवसर की स्वतंत्रता में बाधा उत्पन्न करता है, तथा चुनाव प्रक्रिया की शुचिता को नष्ट करता है।
  • पर्यावरण से दूर: जब मुफ्त बिज़ली दी जाएगी, तो इससे प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक उपयोग होगा और अक्षय ऊर्जा प्रणाली से ध्यान भी विचलित हो जाएगा।

आगे की राह

  • मुफ्त के आर्थिक प्रभावों को समझना: यह इस बारे में नहीं है कि फ्रीबीज़ कितने सस्ते हैं बल्कि लंबे समय में अर्थव्यवस्था, जीवन की गुणवत्ता और सामाजिक सामंजस्य के लिये ये कितने महंगे हैं।.
    • इसके बजाय हमें लोकतंत्र और सशक्त संघवाद के माध्यम से दक्षता के लिये प्रयास करना चाहिये जहाँ राज्य अपने अधिकार का उपयोग नवीन विचारों और सामान्य समस्याओं के समाधान के लिये कर सकें तथा जिनका अन्य राज्य अनुकरण कर सकते हैं।
  • सब्सिडी और मुफ्त में अंतर: आर्थिक अर्थों में मुफ्त के प्रभावों को समझने और इसे करदाता के पैसे से जोड़ने की ज़रूरत है।
    • सब्सिडी और मुफ्त में अंतर करना भी आवश्यक है क्योंकि सब्सिडी के उचित और विशेष रूप से लक्षित लाभ हैं जो मांगों से उत्पन्न होते हैं।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्षों के प्रश्न:

प्रश्न. सरकार द्वारा की जाने वाली निम्नलिखित कार्रवाइयों पर विचार कीजिये: (2010)

  1. कर की दरों में कटौती
  2. सरकारी खर्च में वृद्धि
  3. आर्थिक मंदी के संदर्भ में सब्सिडी को समाप्त करना,

उपर्युक्त कार्यों में से किसे/किन्हें "राजकोषीय प्रोत्साहन" पैकेज का हिस्सा माना जा सकता है?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (a)

व्याख्या:

  • सार्वजनिक खर्च में वृद्धि या कराधान के स्तर में कमी सरकार द्वारा आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने और समर्थन प्रदान करने के लिये किया जा सकता है। विभिन्न व्यवसायों को दिये जाने वाले अधिकांश सरकारी राहत पैकेजों को राजकोषीय प्रोत्साहन का एक रूप माना जा सकता है। अंतः कथन 1 और 2 सही हैं।
  • 'प्रोत्साहन' नीति निर्माताओं द्वारा उपायों के पैकेज के माध्यम से अर्थव्यवस्था में मंदी को कम करने का एक प्रयास है। 'मौद्रिक प्रोत्साहन' केंद्रीय बैंक को पैसे की आपूर्ति का विस्तार कर या उपभोक्ता खर्च को बढ़ा कर पैसे की लागत (ब्याज़ दरों) को कम करने के लिए किया जाता है। 'राजकोषीय प्रोत्साहन' में सरकार को अपने स्वयं के खजाने से अधिक खर्च करना या उपभोक्ताओं के हाथों में अधिक पैसा देने के लिये कर दरों में कमी करना शामिल है।
  • सब्सिडी को समाप्त करना सरकार के व्यय पक्ष को युक्तिसंगत बनाने का एक हिस्सा है। यह राजकोषीय प्रोत्साहन के बजाय राजकोषीय सुदृढ़ीकरण की दिशा में एक कदम है। अत: कथन 3 सही नहीं है। अतः विकल्प (a) सही उत्तर है।

प्रश्न: किस तरह से मूल्य सब्सिडी को प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) में बदलने से भारत में सब्सिडी का परिदृश्य बदल सकता है? चर्चा कीजिये। (2015, मुख्य परीक्षा)

स्रोत: द हिंदू