वन अधिकार अधिनियम को सुगम बनाने हेतु FRA सेल्स की स्थापना | 21 Jun 2025

प्रिलिम्स के लिये:

वन अधिकार अधिनियम (FRA), 2006, वनवासी, लघु वनोपज (MFP), वन (संरक्षण) अधिनियम 1980 (FCA)

मेन्स के लिये:

ज़िला-स्तरीय वन अधिकार अधिनियम (FRA) सेल्स से संबंधित महत्त्व और चुनौतियाँ, वन अधिकार अधिनियम, चुनौतियाँ एवं उपाय। 

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय ने धरती आबा जनजाति ग्राम उत्कर्ष अभियान (DAJGUA) के तहत वन अधिकार अधिनियम (FRA), 2006 के कार्यान्वयन को सुगम बनाने के लिये 18 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में 324 ज़िला-स्तरीय FRA सेल स्थापित करने की मंज़ूरी प्रदान की है।

ज़िला-स्तरीय वन अधिकार अधिनियम (FRA) सेल क्या हैं?

  • परिचय: ज़िला-स्तरीय FRA सेल प्रशासनिक सहायता इकाइयाँ हैं, जिन्हें वन अधिकार अधिनियम (FRA), 2006 के कार्यान्वयन को सुगम बनाने हेतु DAJGUA योजना के तहत स्थापित किया गया है।
    • इन सेल्स को केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा अनुदान-सहायता (Grants-in-aid) के माध्यम से केंद्रीय रूप से वित्तपोषित किया जाता है।
  • उद्देश्य: विशेष रूप से आदिवासी बहुल ज़िलों में वन अधिकार दावों को तैयार करने और प्रस्तुत करने में आदिवासी दावेदारों और ग्राम सभाओं की सहायता करना, जिसका उद्देश्य दस्तावेज़ीकरण, क्षेत्र सुविधा और डेटा प्रबंधन में सुधार करके देरी और अस्वीकृति को कम करना है।
  • कानूनी आधार: ये सेल DAJGUA दिशा-निर्देशों के तहत कार्य करते हैं, न कि FRA अधिनियम के तहत।
  • प्रमुख कार्य:
    • वन भूमि के सीमांकन और वन बस्तियों तथा अवर्गीकृत गाँवों को राजस्व गाँवों में परिवर्तित करने की सुविधा प्रदान करना।
    • FRA रिकॉर्ड्स के डिजिटलीकरण और राज्य एवं केंद्रीय पोर्टलों पर समय से अपलोड करने में सहयोग प्रदान करना।
    • FRA प्रक्रियाओं को सुचारू बनाने के लिये राज्य जनजातीय कल्याण विभागों, स्थानीय प्रशासन और ग्राम सभाओं के साथ समन्वय स्थापित करना।
  • नए FRA सेल से संबंधित प्रमुख चिंताएँ:
    • FRA सेल्स के निर्माण से वन अधिकार अधिनियम के वैधानिक ढाँचे के बाहर एक समानांतर प्रणाली का गठन हो सकता है, जिसके परिणामस्वरूप भूमिकाओं और ज़िम्मेदारियों के संबंध में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
    • इस बात का जोखिम है कि FRA ,सेल ग्राम सभा वन अधिकार समितियों (FRC), उप-मंडल स्तरीय समितियों (SDLC) ज़िला स्तरीय समितियों (DLC) और राज्य निगरानी समितियों जैसे मौजूदा वैधानिक निकायों के साथ दावेदार सहायता, दस्तावेजीकरण, समन्वय और रिकॉर्ड रखने जैसी भूमिकाओं में ओवरलैप हो सकते हैं , जिससे ज़िम्मेदारियों के बारे में भ्रम पैदा हो सकता है और सुचारू कार्यान्वयन में बाधा आ सकती है।
    • SDLC और DLC की अनियमित बैठकें तथा वन विभागों द्वारा स्वीकृत दावों के क्रियान्वयन में देरी जैसे संरचनात्मक मुद्दों का समाधान अकेले नए FRA सेल्स द्वारा संभव नहीं है।

वन अधिकार अधिनियम (FRA), 2006 क्या है?

  • अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 या वन अधिकार अधिनियम (FRA), वन में रहने वाले अनुसूचित जनजातियों (ST) और अन्य पारंपरिक वन निवासियों (OTFD) द्वारा सामना किये गए ऐतिहासिक अन्याय को ठीक करने का प्रयास करता है, जिनके पास वन भूमि और संसाधनों पर कानूनी स्वामित्व नहीं था। 
  • उद्देश्य : पात्र वनवासी समुदायों को वन भूमि अधिकार प्रदान करना, आजीविका सुरक्षा, समुदाय आधारित वन प्रशासन और बेदखली के विरुद्ध कानूनी सुरक्षा सुनिश्चित करना।
  • प्रमुख प्रावधान: 
    • स्वामित्व अधिकार: लघु वन उपज (MFP) पर स्वामित्व प्रदान करता है। वन उपज के संग्रह, उपयोग और निपटान की अनुमति देता है। 
      • MFP से तात्पर्य वनस्पति मूल के सभी गैर-लकड़ी वन उत्पादों से है, जिसमें बाँस, झाड़-झंखाड़, स्टंप और बेंत शामिल हैं। 
    • सामुदायिक अधिकार: इसमें निस्तार (सामुदायिक वन संसाधन का एक प्रकार)  जैसे पारंपरिक उपयोग अधिकार शामिल हैं।
    • पर्यावास अधिकार: आदिम जनजातीय समूहों और पूर्व-कृषि समुदायों के उनके पारंपरिक पर्यावासों के अधिकारों की रक्षा करता है। 
    • सामुदायिक वन संसाधन (CFR): समुदायों को पारंपरिक रूप से संरक्षित वन संसाधनों की रक्षा, पुनर्जनन और स्थायी प्रबंधन करने में सक्षम बनाता है।
      • यह अधिनियम सरकार द्वारा प्रबंधित लोक कल्याण परियोजनाओं के लिये वन भूमि के उपयोग की सुविधा प्रदान करता है, जो ग्राम सभा की मंज़ूरी के अधीन है।
  • विकेंद्रीकृत ढाँचा: FRA नीचे से ऊपर की ओर शासन मॉडल का अनुसरण करता है, जो ग्राम सभा को दावों को आरंभ करने और सत्यापित करने का अधिकार देता है।
    • गाँव स्तर पर दावों पर कार्रवाई करने के लिये ग्राम सभा द्वारा वन अधिकार समितियों (FRC) का गठन किया जाता है।
    • इन दावों की समीक्षा उप-मंडल स्तरीय समितियों (SDLC) द्वारा की जाती है और ज़िला स्तरीय समितियों (DLC) द्वारा अनुमोदित की जाती है। राज्य निगरानी समितियाँ समग्र कार्यान्वयन की देखरेख करती हैं।

वन अधिकार अधिनियम (FRA), 2006 का महत्त्व क्या है?

  • ऐतिहासिक अधिकारों की मान्यता: वन अधिकार अधिनियम, 2006 ऐतिहासिक अन्याय को सुधारते हुए वन भूमि और संसाधनों पर अनुसूचित जनजातियों (ST) और अन्य पारंपरिक वनवासियों (OTFD) के व्यक्तिगत अधिकारों (पात्र ST और OTFD के लिये अधिकतम 4 हेक्टेयर तक) और सामुदायिक अधिकारों (चराई, मछली पकड़ना, लघु वनोपज, जल निकाय आदि) को कानूनी रूप से मान्यता देता है, जिन्हें औपनिवेशिक और उत्तर-औपनिवेशिक वन कानूनों के तहत नज़रअंदाज़ किया गया था। 
    • यह अधिनियम PVTG के आवासीय अधिकारों और घुमंतू समुदायों के लिये मौसमी सुलभता को भी मान्यता देता है।
  • विकेन्द्रीकृत शासन के माध्यम से सशक्तीकरण: यह अधिनियम ग्राम सभा को अधिकार प्रदान करता है कि वह दावों का सत्यापन करे, सामुदायिक वन संसाधनों (CFR) का प्रबंधन करे, जैव विविधता का संरक्षण करे तथा सतत् वन शासन की निगरानी करे, जिससे विकेन्द्रीकृत और सहभागी निर्णय-निर्माण प्रक्रिया को बढ़ावा मिलता है।
  • बेदखली से संरक्षण और विकास का अधिकार: भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 के साथ मिलकर, यह अधिनियम वनवासियों को पुनर्वास के बिना बेदखल किये जाने से संरक्षण प्रदान करता है, और शिक्षा, स्वास्थ्य और आवास जैसी आवश्यक सामुदायिक बुनियादी सुविधाओं के लिये वन भूमि के आवंटन की अनुमति देता है।
  • समावेशी और सतत् संरक्षण: वनों, वन्यजीवों, जल स्रोतों और पारिस्थितिक क्षेत्रों के संरक्षण के लिये अधिकार धारकों और ग्राम सभाओं को ज़िम्मेदारी सौंपी गई है, विशेष रूप से PVTG और कमज़ोर वन समुदायों के लिये पारंपरिक ज्ञान को सतत् उपयोग के साथ मिश्रित किया गया है।

वन अधिकार अधिनियम, 2006 पर अधिक जानकारी

वन अधिकार अधिनियम, 2006 के कार्यान्वयन से संबंधित प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं?

पढ़ने के लिये क्लिक कीजिये: FRA, 2006 के कार्यान्वयन से संबंधित प्रमुख चुनौतियाँ

वन अधिकार अधिनियम के कार्यान्वयन को सशक्त बनाने के लिये क्या कदम उठाए जाने चाहिये?

पढ़ने के लिये क्लिक कीजिये: FRA के कार्यान्वयन को सशक्त बनाने हेतु उठाए जाने वाले कदम

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. एक केंद्रीय योजना के तहत FRA सेल बनाने के कानूनी और प्रशासनिक प्रभावों की चर्चा कीजिये, जबकि वन अधिकार अधिनियम, 2006 राज्य-नेतृत्व वाले कार्यान्वयन का प्रावधान करता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा के विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स 

प्रश्न. राष्ट्रीय स्तर पर अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिये कौन सा मंत्रालय नोडल एजेंसी है?

(a) पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय
(b) पंचायती राज मंत्रालय
(c) ग्रामीण विकास मंत्रालय
(d) जनजातीय मामलों का मंत्रालय

उत्तर: (d) 


प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:

  1.  भारतीय वन अधिनियम, 1927 में हाल में हुए संशोधन के अनुसार, वन निवासियों को वनक्षेत्रों में उगने वाले बाँस को काट गिराने का अधिकार है।
  2.  अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पारंपरिक वनवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 के अनुसार, बाँस एक गौण वनोपज है।
  3.  अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पारंपरिक वनवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006, वन निवासियों को गौण वनोपज के स्वामित्व की अनुमति देता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)