विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम | 19 Oct 2023

प्रिलिम्स के लिये:

विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम, वर्ष 1976 का आपातकाल

मेन्स के लिये:

विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम और इसका महत्त्व, विदेशी अंशदान (विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2020

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों? 

गृह मंत्रालय से प्राप्त हालिया आँकड़ों से भारत में विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (Foreign Contribution Regulation Act- FCRA), 2010 के तहत गैर-सरकारी संगठनों (Non-Governmental Organizations- NGO) के पंजीकरण से संबंधित एक चिंताजनक पैटर्न की जानकारी मिली है।

  • आँकड़ों से प्राप्त जानकारी में चिंता का मुख्य विषय यह है कि गैर-सरकारी संगठन FCRA पंजीकरण में अपने परिचालन क्षेत्रों का सही ब्योरा प्रस्तुत नहीं कर रहे हैं और ऐसी गतिविधियों में शामिल हैं जो उनके घोषित उद्देश्यों से काफी अलग हैं

विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम: 

  • परिचय:
    • विदेशी सरकारों द्वारा भारत के आंतरिक मामलों को प्रभावित करने के लिये स्वतंत्र संगठनों की सहायता से किये जाने वाले वित्तपोषण की आशंकाओं को ध्यान में रखते हुए FCRA को वर्ष 1976 में आपातकाल के दौरान अधिनियमित किया गया था।
    • इस कानून ने व्यक्तियों और संघों को दिये जाने वाले विदेशी अंशदान को विनियमित करने की मांग की ताकि वे "एक संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य के मूल्यों के अनुरूप" कार्य कर सकें।
  • FCRA में संशोधन:
    • वर्ष 2010 का संशोधन:
      • विदेशी धन के उपयोग पर "कानून को सशक्त करने" तथा "राष्ट्रीय हित में हानिकारक किसी भी गतिविधि" के लिये उसके उपयोग को "प्रतिबंधित" करने हेतु वर्ष 2010 में एक संशोधित FCRA अधिनियमित किया गया था। 
    • वर्ष 2020 का संशोधन: 
      • यह किसी अन्य व्यक्ति या संगठन को विदेशी योगदान के हस्तांतरण पर रोक लगाता है।
      • प्रशासनिक खर्चों के लिये विदेशी अंशदान के उपयोग की सीमा को 50% से घटाकर 20% किया गया।
  • FCRA पंजीकरण:
    • भारत में विदेशी दान प्राप्त करने के लिये FCRA के तहत पंजीकरण आवश्यक है।
      • यह सांस्कृतिक, आर्थिक, शैक्षिक, धार्मिक या सामाजिक कार्यक्रमों सहित विभिन्न कार्य क्षेत्रों में संलग्न व्यक्तियों या संघों को प्रदान किया जाता है।
      • पारदर्शिता और कानून का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिये FCRA इन परिभाषित क्षेत्रों में विदेशी योगदान को नियंत्रित करता है।
    • संस्थाएँ अपने कार्यक्रमों के आधार पर विविध गतिविधियों के लिये अनुमति देते हुए कई श्रेणियों के तहत पंजीकरण कर सकती हैं।
    • विदेशी धनराशि प्राप्त करने के लिये आवेदकों को नई दिल्ली में भारतीय स्टेट बैंक की एक निर्दिष्ट शाखा में बैंक खाता खोलना होगा।
  • FCRA पंजीकरण के तहत गतिविधियों पर प्रतिबंध:
    • आवेदक को फर्ज़ी संस्थाओं का प्रतिनिधित्व नहीं करना चाहिये।
    • आवेदक को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से धार्मिक रूपांतरण गतिविधियों में शामिल नहीं होना चाहिये।
    • आवेदक का इतिहास सांप्रदायिक तनाव या वैमनस्य से संबंधित अभियोजन से संबद्ध नहीं होना चाहिये।
    • आवेदक देशद्रोह से संबंधित गतिविधियों में शामिल नहीं होना चाहिये।
    • FCRA उम्मीदवारों, पत्रकारों, मीडिया कंपनियों, न्यायाधीशों, सरकारी कर्मचारियों, राजनेताओं और राजनीतिक संगठनों को विदेशी धन प्राप्त करने से रोकता है।
  • वैधता और नवीनीकरण:
    • FCRA पंजीकरण पाँच वर्ष के लिये वैध है और NGO को पंजीकरण की समाप्ति के छह महीने के अंदर नवीनीकरण के लिये आवेदन करना आवश्यक है।
    • सरकार के पास विभिन्न कारणों से किसी NGO का FCRA पंजीकरण रद्द करने का अधिकार है, जिसमें अधिनियम का उल्लंघन या लगातार दो वर्षों तक उनके चुने हुए क्षेत्र में उचित गतिविधि की कमी शामिल है।
      • एक बार रद्द होने के बाद कोई NGO तीन वर्ष तक पुन: पंजीकरण के लिये अयोग्य होता है।
  • FCRA 2022 के नियम:
    • जुलाई 2022 में MHA ने FCRA नियमों में बदलाव किये। इन बदलावों में समझौता योग्य अपराधों की संख्या 7 से बढ़ाकर 12 करना शामिल है।
    • नियमों ने बैंक खाते खोलने की अधिसूचना के लिये सीमा भी बढ़ा दी और दूर के रिश्तेदारों के योगदान के लिये अधिकतम राशि 1 लाख रुपए से बढ़ाकर 10 लाख रुपए कर दी, जिसके लिये सरकारी अधिसूचना की आवश्यकता नहीं है।

FCRA के संबंध में NGO की चिंताएँ: 

  • सख्त अनुपालन:
    • FCRA पंजीकरण प्रक्रिया के लिये व्यापक दस्तावेज़ीकरण की आवश्यकता होती है और इसमें सख्त अनुपालन शामिल होता है, जो NGO के लिये चुनौतियाँ उत्पन्न कर सकता है।
    • FCRA की व्याख्यात्मक अस्पष्टता का फायदा अधिकारियों द्वारा NGO को लक्षित और प्रतिबंधित करने के लिये किया जा सकता है।
  • प्रशासनिक देरी: 
    • FCRA पंजीकरण और नवीनीकरण के लिये लंबी प्रशासनिक प्रक्रियाओं के कारण NGO के संचालन एवं फंडिंग तक पहुँच में बाधा उत्पन्न होती है।
  • पारदर्शिता की कमी:
    • FCRA के तहत प्राप्त विदेशी धन के उपयोग में पारदर्शिता की कमी के लिये कुछ गैर-सरकारी संगठनों की आलोचना की गई है।
      • चिंताएँ अक्सर तब उत्पन्न होती हैं जब इन फंड के विशिष्ट उद्देश्यों और लाभार्थियों का स्पष्ट रूप से खुलासा नहीं किया जाता है।
  • फंडिंग तक असमान पहुँच :
    • जटिल FCRA पंजीकरण प्रक्रिया संगठनों के लिये चुनौतियाँ खड़ी करती है, साथ ही उच्च अस्वीकृति दर विदेशी योगदान प्राप्त करने की उनकी क्षमता को प्रभावित करती है।
  • राजनीतिक प्रभाव की संभावना:
    • कुछ व्यक्तियों ने FCRA पंजीकरण और विनियमन प्रक्रिया में राजनीतिक प्रभाव को लेकर चिंता व्यक्त की है, जो FCRA पंजीकरण की मंज़ूरी या अस्वीकृति को प्रभावित कर सकता है।

आगे की राह 

  • विदेशी योगदान के किसी भी संभावित दुरुपयोग को रोकने के लिये निरीक्षण तंत्र को मज़बूत करना।
  • वैध गैर-सरकारी संगठनों के लिये वित्तपोषण तक पहुँच को बढ़ावा देने के लिये FCRA पंजीकरण प्रक्रिया को सरल और तेज़ करना।
  • यह सुनिश्चित करना कि FCRA पंजीकरण और विनियमन प्रक्रियाएँ राजनीतिक प्रभाव से मुक्त हैं और वस्तुनिष्ठ मानदंडों पर आधारित हैं।
  • गैर-सरकारी संगठनों को विदेशी धन के उपयोग पर स्पष्ट और विस्तृत रिपोर्ट प्रदान करने के लिये प्रोत्साहित किया जाना, यह सुनिश्चित करते हुए कि उद्देश्यों तथा लाभार्थियों का स्पष्ट रूप से खुलासा किया जाए।